भोपाल: हिंडनबर्ग रिपोर्ट में खुलासे के बाद देश भर में कांग्रेस सत्तापक्ष पर हमलावर है. पार्टी के नेता भाजपा समेत इसमें शामिल लोगों को भी घेरने की कोशिश कर रहे हैं. इसीलिए प्रदेश कांग्रेस ने 22 अगस्त को एमपी बंद का ऐलान किया है. इस दौरान कांग्रेस हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासे के बाद उन लोगों के खिलाफ जांच और कार्रवाई के लिए जिला स्तर पर प्रदर्शन करेगी. इसके साथ ही भोपाल में स्थित ईडी कार्यालय का भी घेराव किया जाएगा. यह बात बुधवार को पीसीसी में आयोजित एक पत्रकारवार्ता में प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल चौधरी ने मीडिया से साझा की.
व्यापम चौराहे से ईडी कार्यालय तक करेंगे पैदल मार्च
कुणाल चौधरी ने बताया कि 'राजधानी भोपाल में जिला कांग्रेस द्वारा आयोजित धरना प्रदर्शन के तहत 22 अगस्त को सुबह 11 बजे कांग्रेसजन, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव व मध्य प्रदेश प्रभारी भंवर जितेन्द्र सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, एमपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता व्यापमं चौराहे पर प्रदर्शन करेंगे. इसके बाद व्यापमं से होते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्यालय जायेंगे. जहां भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेवी) द्वारा की जा रही घोर अनियमितताओं के खिलाफ ईडी कार्यालय के सामने विशाल प्रदर्शन किया जायेगा. साथ ही वरिष्ठ कांग्रेस नेता ईडी कार्यालय पहुंचकर ईडी डायरेक्टर को ज्ञापन सौपेंगे.
कार्पोरेट कंपनियों को फायदा पहुंचा रही मोदी सरकार
कुणाल चौधरी ने कहा कि 'मोदी सरकार ने पहली बार गैर सिविल सेवा की व्यक्ति माधवी पुरी बुच को सेबी का चेयरपर्सन बनाया. उन्होंने गौतम अडाणी समूह की कंपनियों को लाभ पहुंचाने का काम किया. उन्होंने कहा कि सेबी चेयरमैन, अडाणी समूह और सरकार की सांठगांठ स्पष्ट दिखाई देती है. मोदी सरकार रीयल इस्टेट में इन्वेस्ट करने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुसार मनचाहे नियम बना रही है. मुंबई का धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट इसका उदाहरण है. 23000 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट महाराष्ट्र सरकार ने बगैर निर्धारित मापदण्डों और स्थापित बिडिंग प्रोसेस का पालन किये बगैर अडाणी समूह को दे दिया.'
आरईआईटीएस कंपनियों पर किसका लगा पैसा, जांच हो
पत्रकारवार्ता में पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने बताया कि 'सेबी चेयरपर्सन की नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है. देश की वित्तीय व्यवस्था के इतने बड़े नियामक की नियुक्ति में प्रधानमंत्री और उनकी मंत्री परिषद को ही चयन समिति बनाने का अधिकार है. इसलिये वे जिसे चाहे सेबी का चेयरपर्सन बना सकते हैं. सेबी के चेयरपर्सन की नियुक्ति में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जैसी स्थायी समिति होनी चाहिए, जो नियुक्ति की सिफारिश करे और शिकायत प्राप्त होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सके. उन्होंने बताया कि लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स का फायदा उठाने के लिए पहले आरईआईटीएस यूनिट्स को 36 महीने तक रखना पड़ता था. उसके पहले बेचने पर आय अनुसार इनकम टैक्स लगता था.
इस बजट में सरकार ने इस 36 महीने के समय को कम करके 12 महीने कर दिया. अर्थात- सरकार ने आरईआईटीएस को प्रमोट करने के लिये पूरी ताकत लगा दी. इस बात की जॉच होनी चाहिए कि भारत की आरईआईटीएस कंपनियों में किस-किस का पैसा लगा है और किसको इस पीरियड को 12 महीने करने वाले ऑर्डर से फायदा होगा.'
सेबी प्रमुख ने पति की कंपनियों को पहुंचाया लाभ
सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच पर आरोप है कि उन्होंने सेबी चेयरपर्सन के रूप में अडाणी समूह से जुड़ी हुई ऑफशोर कंपनियों द्वारा वित्तीय अनियमितताओं और नियमों का उल्लंघन करने के मामलें में निष्पक्ष जॉच नहीं की. सर्वाेच्च न्यायालय को कहा गया कि इस मामले में उन्हें कुछ नही मिला. माधवी बुच ने सर्वाेच्च न्यायालय से यह बात छिपाई कि जिन फंड की जांच वे कर रही थीं, उनमें उनका या उनके पति का निवेश था. उन्होंने अडाणी समूह की कंपनियों का बचाव किया. उन्होंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि वे खुद व उनके पति धवल बुच अडाणी समूह से जड़ी हुई ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदार है.
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माधवी पुरी बुच 2017 से 2022 तक सेबी में पूर्णकालिक सदस्य अर्थात व्होल टाइम मेंबर थीं, तब उनके पास एक सिंगापुर की एक ऑफशोर फर्म अगोरा पार्टनर्स में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. जब वे सेबी की चेयरपर्सन बन गई, तो उन्होंने यह हिस्सेदारी अपने पति धवल बुच को ट्रांसफर कर दी. माधवी बुच 2015 में ग्लोबल डेवलपमेंट अपॉर्चुनिटीज फण्ड का हिस्सा रही. जब वे सेबी की पूर्णकालिक सदस्य बनी तो उन्होनें अपने निवेश एवं अपने पति की कंपनियों में उनके एवं पति के निवेश की जानकारी सेबी को नहीं दी. माधवी बुच के पास वर्तमान में अगोरा एडवाइजरी नामक कंपनी में 99 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उनके पति धवल बुच इसके डायरेक्टर है. उनके पति धवल बुच इन्वेस्टमेंट मेनेजमेंट कंपनी ब्लेक स्टोन में वरिष्ठ सलाहकार हैं.