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हिंडौन प्रकरण: मजिस्ट्रेट के बचाव में उतरी आरजेएस एसोसिएशन, याचिका पेश - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

Hindaun Case, करौली के हिंडौन थाना क्षेत्र में दुष्कर्म पीड़िता के बयान दर्ज होने के दौरान उसके साथ प्रताड़ना व SC-ST एक्ट के मामले में संबंधित मजिस्ट्रेट के पक्ष में आरजेएस उतर आई है. साथ ही एसोसिएशन के अध्यक्ष की ओर से मजिस्ट्रेट के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए हाईकोर्ट में आराधिक याचिका पेश की गई.

Hindaun Case
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 5, 2024, 9:48 PM IST

जयपुर. करौली के हिंडौन थाना इलाके में दुष्कर्म पीड़िता के बयान दर्ज होने के दौरान उसके साथ प्रताड़ना व एससी-एसटी एक्ट के मामले में संबंधित मजिस्ट्रेट के पक्ष में राजस्थान न्यायिक अधिकारी सेवा एसोसिएशन उतर आई है. एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन गर्ग की ओर से मजिस्ट्रेट के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए हाईकोर्ट में आराधिक याचिका पेश की गई. इस पर हाईकोर्ट आगामी सप्ताह सुनवाई करेगा. याचिका में राज्य सरकार, केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय के सचिव, राज्य के सीएस, गृह सचिव, डीजीपी, एसपी करौली, एएसपी हिंडौन, एसएचओ हिंडौन व पीड़िता सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया है.

याचिका में मजिस्ट्रेट के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करवाने का आग्रह किया है. याचिका में संबंधित पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने, मीडिया को जजेज के निजी कानूनी केसों की रिपोर्टिंग संवेदनशीलता से करने और मजिस्ट्रेट को सुरक्षा मुहैया कराए जाने का भी आग्रह किया गया है. याचिका में कहा गया है कि जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले संबंधित हाईकोर्ट के सीजे से मंजूरी लेना जरूरी होता है, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने इस कानूनी प्रावधान की अवहेलना करते हुए सीधे तौर पर ही जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली.

इसे भी पढ़ें - करौलीः पुलिस ने आरोपी के खिलाफ नहीं की कार्रवाई तो दुष्कर्म पीड़िता ने जहर खाकर दी जान

वहीं, एफआईआर दर्ज होने के बाद मीडिया ने इसे प्रकाशित किया और इससे आमजन में न्यायालयों की छवि भी धूमिल हुई. यदि जजों के खिलाफ जल्दबाजी व बिना मंजूरी के एफआईआर दर्ज होने लगी तो इससे जजेज पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा और प्रकरणों में निष्पक्ष तौर पर फैसला सुनाया जाना उनके लिए कठिन हो जाएगा. गौरतलब है कि पीड़िता दुष्कर्म से जुड़े मामले में मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने गई थी. उसी दौरान मजिस्ट्रेट ने उसे कपड़े उतार कर चोट दिखाने को कहा था.

जयपुर. करौली के हिंडौन थाना इलाके में दुष्कर्म पीड़िता के बयान दर्ज होने के दौरान उसके साथ प्रताड़ना व एससी-एसटी एक्ट के मामले में संबंधित मजिस्ट्रेट के पक्ष में राजस्थान न्यायिक अधिकारी सेवा एसोसिएशन उतर आई है. एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन गर्ग की ओर से मजिस्ट्रेट के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए हाईकोर्ट में आराधिक याचिका पेश की गई. इस पर हाईकोर्ट आगामी सप्ताह सुनवाई करेगा. याचिका में राज्य सरकार, केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय के सचिव, राज्य के सीएस, गृह सचिव, डीजीपी, एसपी करौली, एएसपी हिंडौन, एसएचओ हिंडौन व पीड़िता सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया है.

याचिका में मजिस्ट्रेट के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करवाने का आग्रह किया है. याचिका में संबंधित पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने, मीडिया को जजेज के निजी कानूनी केसों की रिपोर्टिंग संवेदनशीलता से करने और मजिस्ट्रेट को सुरक्षा मुहैया कराए जाने का भी आग्रह किया गया है. याचिका में कहा गया है कि जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले संबंधित हाईकोर्ट के सीजे से मंजूरी लेना जरूरी होता है, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने इस कानूनी प्रावधान की अवहेलना करते हुए सीधे तौर पर ही जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली.

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वहीं, एफआईआर दर्ज होने के बाद मीडिया ने इसे प्रकाशित किया और इससे आमजन में न्यायालयों की छवि भी धूमिल हुई. यदि जजों के खिलाफ जल्दबाजी व बिना मंजूरी के एफआईआर दर्ज होने लगी तो इससे जजेज पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा और प्रकरणों में निष्पक्ष तौर पर फैसला सुनाया जाना उनके लिए कठिन हो जाएगा. गौरतलब है कि पीड़िता दुष्कर्म से जुड़े मामले में मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने गई थी. उसी दौरान मजिस्ट्रेट ने उसे कपड़े उतार कर चोट दिखाने को कहा था.

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