करसोग: हिमाचल में लंबे सूखे की वजह से बागवानों ने सेब के नए पौधे लगाने का काम रोक दिया है. बारिश न होने की कारण उद्यान प्रसार केंद्रों में सेब की बिक्री नहीं हो रही है. ऐसे में सूखे की वजह से बागवान तो परेशान हैं ही बागवानी विभाग को भी पौधों की बिक्री न होने से नुकसान उठाना पड़ सकता है. हिमाचल में लंबे समय से बारिश न होने की वजह से सर्दियों के सीजन में सूखे के हालत पैदा हो गए हैं. जिसका सबसे ज्यादा असर कृषि और बागवानी में देखने को मिल रहा है. जमीन में नमी न होने से बागवान सेब की नई पौध नहीं लगा पा रहे हैं. हालांकि बहुत से बागवानों ने नई पौध लगाने के लिए गड्डे भी खोद रखे हैं, लेकिन सूखे की वजह से बागवान सेब सहित अन्य प्रजातियों के पौधे नहीं खरीद रहे हैं. जिससे प्रदेश भर के उद्यान प्रसार केंद्रों में सेब का करीब 70 फीसदी स्टॉक बिकने से रह गया है. जिसका नुकसान बागवानी विभाग को भी उठाना पड़ रहा है. उधर, मौसम विभाग की मानें तो प्रदेश में अभी 27 जनवरी तक बारिश और बर्फबारी होने की कोई संभावना नहीं है. ऐसे में अभी बागवानी विभाग को पौधों की बिक्री के लिए इंतजार करना करना होगा. वहीं, जिन बागवानों ने पौधे खरीद रखे हैं, उन्हें भी अभी बारिश और बर्फबारी के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं.
3.50 लाख पौधों का स्टॉक उपलब्ध: हिमाचल प्रदेश में बागवानों को सेब की विभिन्न किस्मों के पौधे उपलब्ध कराने के लिए उद्यान विभाग ने करीब 5 लाख पौधों की बिक्री का लक्ष्य निर्धारित किया था. विभाग ने अपने स्तर पर प्रदेश भर में 35 नर्सरियों में सेब की उन्नत किस्मों के 10 लाख पौधे तैयार किए हैं. इनमें बागवानों के लिए अच्छी गुणवत्ता के तीन लाख ग्राफ्टेड और दो लाख क्लोनल रूट स्टॉक पौधे उद्यान प्रसार केंद्रों में उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन सूखे की वजह से अभी तक 1.50 लाख के करीब पौधे ही बिक सके हैं. अभी भी उद्यान प्रसार केंद्रों में 3.50 लाख के करीब पौधे उपलब्ध हैं. अगर आने वाले समय में हालत नहीं सुधरते हैं तो बागवानी विभाग को भी लाखों का नुकसान उठाना पड़ सकता है. बता दें कि विभाग ने 20 दिसंबर से ब्लॉक स्तर पर उद्यान प्रसार केंद्रों पर पौधे उपलब्ध करवा दिए गए थे. जिसकी बिक्री 2 जनवरी से शुरू कर दी गई थी.
सेब की इन किस्मों के पौधे हैं उपलब्ध: प्रदेश में बागवानों की डिमांड को देखते हुए विभाग बागवानों को उच्च गुणवत्ता के आधुनिक पौधे उपलब्ध करा रहा है। इसमें वेलॉक्स,सुपर चीफ, गेल गाला, एम्ब्रोसिया, किंग रोट, डार्क बैरन माला, रेडलम गाला, गेल गाला, बेगेंट गाला, बक आई गाला, जेरोमाइन, रेड , शलेक्ट स्पर, चेलन स्पर, स्कार्लेट स्पर-11, ओरेगॉन स्पर-11, रॉयल डिलीशियस, ब्रुक फील्ड गाला, गालावल, गाला शिनगा श्निको, गाला सिमंस, अर्ली रेड वन, रॉयल रेड हनी क्रिस्प, गाला वीनस फेंगल, गाला अल्टिमा, औविल अलौ फूजी, एटेक फूजी, रेड कैमियो, अन्ना, मंचुरियन कैब्स, रेड फूजी, सन फूजी, पिंक लेडी, सेप्टन बंडर, गिब्सन गोल्डन, गोल्डन डेल, जिंजर गोल्ड, ग्रेनी स्मिथ आदि किस्में उपलब्ध हैं. इसके अतिरिक्त क्लोनल रूट स्टॉक बड-9, बड-10, बड-118, ईएमएलए-7, एमएम-106, एमाएम-111, ईएमएलए-9, ईएमएलए-26, ईएमएलाए 27. ईएमएलए-106, ईएमएलए 111, एम-7, एम-9, एम9टी 337, एम 116, एम-793, आदि भी बागवानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
11 जिलों में बारिश की बूंद तक नहीं गिरी: हिमाचल में सूखे की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया सकता है कि 20 जनवरी तक 11 जिलों सोलन, सिरमौर, किन्नौर, लाहौल स्पीति, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, चंबा व कुल्लू में बारिश की बूंद तक नहीं गिरी है. वहीं, एक मात्र जिला शिमला में 0.6 मिलीमीटर बारिश हुई है. ऐसे में विंटर सीजन में 1 जनवरी से लेकर 20 जनवरी तक प्रदेश भर में 0.1 मिलीमीटर हुई है. जो सामान्य से 99 फीसदी कम है. उद्यान विभाग के निदेशक संदीप कदम का कहना है कि सूखे की वजह से बागवान पौधे नहीं खरीद रहे हैं. जिस कारण अभी अब तक करीब 30 फीसदी पौधों की बिक्री हुई है. उन्होंने कहा कि बारिश बर्फचारी होने पर बिक्री में तेजी की उम्मीद है.