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4500 करोड़ के हक को दिल्ली पहुंचे सुखविंदर सरकार के अफसर, 1300 करोड़ यूनिट बिजली का है मामला - HP 1300 crore unit electricity case

Himachal 1300 Crore Unit Electricity Case: सुप्रीम कोर्ट ने 13 साल पहले हिमाचल प्रदेश के हक में सुनाया था. जिसके अनुसार पंजाब और हरियाणा से हिमाचल को 4500 करोड़ रुपये मिलने थे. मामला बीबीएमबी से मिलने वाला 4500 करोड़ एरियर का है. इसको लेकर सीएम सुक्खू ने अफसरों को दिल्ली में अटॉर्नी जनरल से मुलाकात करने के लिए भेजा है. पढ़िए पूरी खबर...

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 9, 2024, 11:13 AM IST

शिमला: करीब 13 साल पहले सुप्रीम कोर्ट से हिमाचल के हक में एक फैसला आया था. इस फैसले से हिमाचल को पंजाब और हरियाणा से 4500 करोड़ रुपये मिलने थे. दोनों राज्य हिमाचल के हक पर कुंडली मारकर बैठे रहे. अब हिमाचल सरकार ने पैसे को वापस लेने के प्रयास तेज कर दिए हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने अफसरों को दिल्ली रवाना किया है. मामला बीबीएमबी यानी भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड से हिमाचल को मिलने वाले 4500 करोड़ से ज्यादा के एरियर का है. इसी मामले में अब नए सिरे से सुप्रीम कोर्ट में बुधवार 11 सितंबर को सुनवाई तय हुई है. इसके लिए हिमाचल की सुक्खू सरकार ने अपने अधिकारियों को दिल्ली भेज दिया है. सीएम सुक्खू का मानना है कि केस की सुनवाई से पहले भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल से लेकर एडवोकेट से चर्चा की जाए.

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने भी हिमाचल सरकार के अफसरों ने भारत के अटॉर्नी जनरल से बैठक की थी. उस बैठक में पंजाब और हरियाणा के अधिकारी भी थे. बीबीएमबी एरियर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल के पक्ष में एक आदेश जारी कर रखा है, लेकिन इसे 13 साल से लागू नहीं किया जा सका है. ये आदेश डिक्री यानी हुक्मनामे के रूप में है. वर्ष 2011 के बाद हिमाचल को बढ़ी हुई हिस्सेदारी पर बिजली मिलना शुरू हो गई है, लेकिन बीबीएमबी के प्रोजेक्ट्स के तहत 1966 से भाखड़ा डैम, 1977 से डैहर बिजली परियोजना और 1978 से पोंग डैम प्रोजेक्ट से एरियर मिलना अभी भी बाकी है. बार बार की वार्ता के बाद पंजाब और हरियाणा इस एरियर का भुगतान नकद करने को तैयार नहीं है, लेकिन एरियर की बिजली चुकाने को तैयार हैं. जो बिजली देने को दोनों राज्य तैयार हैं, वो कुल 1300 करोड़ यूनिट बनती है. यदि मामला सिरे चढ़ा और सुक्खू सरकार राजी हुई तो बिजली हिमाचल को मिलेगी.

इस बिंदु पर सहमत हिमाचल
बीबीएमबी परियोजनाओं की 1300 करोड़ यूनिट इस बिजली का भुगतान अगले 15 साल में करने पर भी हिमाचल सहमत है, लेकिन कुछ बिंदुओं पर पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाना अड़े हुए हैं. इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल को राज्यों के बीच मसला सुलझाने को कहा था. हिमाचल सरकार के लिए वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए बीबीएमबी का एरियर एक बड़ी मदद साबित हो सकता है. अगले 15 साल में भी बिजली के तौर पर यदि भुगतान होता है, तो भी सरकार को अतिरिक्त 500 से 700 करोड़ हर साल मिलना शुरू हो जाएंगे. इसलिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य के ऊर्जा विभाग को इस मामले को गंभीरता से लेने को कहा है.

इस समय बीबीएमबी एरियर को लेकर जिन दो बिंदुओं पर पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से गतिरोध है, उनमें एक बिंदु पुराने बिजली प्रोजेक्ट की निर्माण लागत शेयर करने का है. सुक्खू सरकार प्रोजेक्ट की निर्माण लागत में हिस्सेदारी देने को तैयार है, जबकि बिजली की ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस कॉस्ट को लेकर अभी बात जारी है. मरम्मत आदि की यह लागत प्रति यूनिट 10 पैसे से 67 पैसे तक जा सकती है. हिमाचल के लिए ये सौदा हर तरह से लाभ का है. चाहे 4500 करोड़ मिल जाये या फिर 1300 करोड़ यूनिट बिजली. यदि मामला सुलझ गया तो सुक्खू सरकार को राहत मिलेगी. साथ ही खजाने में भी तरलता आएगी। सीएम सदन में कह चुके हैं कि इसके लिए सरकार गंभीर प्रयास कर रही है.

ये भी पढ़ें: शानन प्रोजेक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी हिमाचल सरकार, 99 साल की लीज पूरी होने पर भी 200 करोड़ के कमाऊ पूत को नहीं छोड़ रहा पंजाब

शिमला: करीब 13 साल पहले सुप्रीम कोर्ट से हिमाचल के हक में एक फैसला आया था. इस फैसले से हिमाचल को पंजाब और हरियाणा से 4500 करोड़ रुपये मिलने थे. दोनों राज्य हिमाचल के हक पर कुंडली मारकर बैठे रहे. अब हिमाचल सरकार ने पैसे को वापस लेने के प्रयास तेज कर दिए हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने अफसरों को दिल्ली रवाना किया है. मामला बीबीएमबी यानी भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड से हिमाचल को मिलने वाले 4500 करोड़ से ज्यादा के एरियर का है. इसी मामले में अब नए सिरे से सुप्रीम कोर्ट में बुधवार 11 सितंबर को सुनवाई तय हुई है. इसके लिए हिमाचल की सुक्खू सरकार ने अपने अधिकारियों को दिल्ली भेज दिया है. सीएम सुक्खू का मानना है कि केस की सुनवाई से पहले भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल से लेकर एडवोकेट से चर्चा की जाए.

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने भी हिमाचल सरकार के अफसरों ने भारत के अटॉर्नी जनरल से बैठक की थी. उस बैठक में पंजाब और हरियाणा के अधिकारी भी थे. बीबीएमबी एरियर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल के पक्ष में एक आदेश जारी कर रखा है, लेकिन इसे 13 साल से लागू नहीं किया जा सका है. ये आदेश डिक्री यानी हुक्मनामे के रूप में है. वर्ष 2011 के बाद हिमाचल को बढ़ी हुई हिस्सेदारी पर बिजली मिलना शुरू हो गई है, लेकिन बीबीएमबी के प्रोजेक्ट्स के तहत 1966 से भाखड़ा डैम, 1977 से डैहर बिजली परियोजना और 1978 से पोंग डैम प्रोजेक्ट से एरियर मिलना अभी भी बाकी है. बार बार की वार्ता के बाद पंजाब और हरियाणा इस एरियर का भुगतान नकद करने को तैयार नहीं है, लेकिन एरियर की बिजली चुकाने को तैयार हैं. जो बिजली देने को दोनों राज्य तैयार हैं, वो कुल 1300 करोड़ यूनिट बनती है. यदि मामला सिरे चढ़ा और सुक्खू सरकार राजी हुई तो बिजली हिमाचल को मिलेगी.

इस बिंदु पर सहमत हिमाचल
बीबीएमबी परियोजनाओं की 1300 करोड़ यूनिट इस बिजली का भुगतान अगले 15 साल में करने पर भी हिमाचल सहमत है, लेकिन कुछ बिंदुओं पर पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाना अड़े हुए हैं. इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल को राज्यों के बीच मसला सुलझाने को कहा था. हिमाचल सरकार के लिए वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए बीबीएमबी का एरियर एक बड़ी मदद साबित हो सकता है. अगले 15 साल में भी बिजली के तौर पर यदि भुगतान होता है, तो भी सरकार को अतिरिक्त 500 से 700 करोड़ हर साल मिलना शुरू हो जाएंगे. इसलिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य के ऊर्जा विभाग को इस मामले को गंभीरता से लेने को कहा है.

इस समय बीबीएमबी एरियर को लेकर जिन दो बिंदुओं पर पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से गतिरोध है, उनमें एक बिंदु पुराने बिजली प्रोजेक्ट की निर्माण लागत शेयर करने का है. सुक्खू सरकार प्रोजेक्ट की निर्माण लागत में हिस्सेदारी देने को तैयार है, जबकि बिजली की ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस कॉस्ट को लेकर अभी बात जारी है. मरम्मत आदि की यह लागत प्रति यूनिट 10 पैसे से 67 पैसे तक जा सकती है. हिमाचल के लिए ये सौदा हर तरह से लाभ का है. चाहे 4500 करोड़ मिल जाये या फिर 1300 करोड़ यूनिट बिजली. यदि मामला सुलझ गया तो सुक्खू सरकार को राहत मिलेगी. साथ ही खजाने में भी तरलता आएगी। सीएम सदन में कह चुके हैं कि इसके लिए सरकार गंभीर प्रयास कर रही है.

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