शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में पूर्व विधायक सुधीर शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ दायर मानहानि से जुड़े मामले पर सुनवाई 27 मई तक के लिए टल गई है. प्रार्थी ने इस मामले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को उनके खिलाफ विवादित बयानबाजी करने से रोकने की मांग के लिए अंतरिम राहत संबंधी आवेदन दायर किया है. इस आवेदन पर 2 मई को हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सुक्खू को नोटिस जारी किया था.
इस नोटिस की तामील की सूचना प्राप्त न होने के कारण हाईकोर्ट ने नोटिस की तामील संबंधी रिपोर्ट का इंतजार एक और सप्ताह के लिए करने के आदेश जारी करते हुए सुनवाई 27 मई को निर्धारित की है. इससे पहले कोर्ट ने सुधीर शर्मा को एकपक्षीय अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया था कि मामले को अति आवश्यक तौर पर सुने जाने बाबत वादी सुधीर शर्मा की ओर से कोई विशेष कारण नहीं दिया गया है.
कोर्ट ने कहा था कि मामले पर अति आवश्यक सुनवाई बाबत कुछ दैनिक समाचार पत्रों में चार व पांच अप्रैल 2024 को प्रकाशित खबरों को आधार बनाया गया है. जबकि इस मामले को 25 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट के समक्ष दायर किया गया है. विवादित समाचार के प्रकाशकों को प्रतिवादी बनाए बगैर आवेदन की गुणवत्ता को लेकर विचार करना अति आवश्यक है और प्रतिवादी को सुने बगैर इस मामले में एक पक्षीय अंतरिम राहत दिया जाना कानूनी तौर पर वाजिब नहीं होगा. न्यायालय ने अंतरिम राहत दिए जाने बाबत दायर किए गए आवेदन पर मुख्यमंत्री को दस्ती नोटिस जारी किए थे और मामले पर सुनवाई 16 मई 2024 को निर्धारित की थी.
सुधीर शर्मा का आरोप है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने भाषणों में बार-बार उन पर कीचड़ उछाला और कई अपमानजनक टिप्पणियां की है, जिससे उनकी मानहानि हुई है. सुधीर शर्मा की ओर से दायर मामले के अनुसार सीएम सुक्खू ने उन पर कई झूठे आरोप और गलत टिप्पणियां की है. दलील है कि उन पर 15 करोड़ में बिकने के झूठे आरोप लगाए गए और सबूत होने की बात फैलाई गई. लेकिन सीएम सुक्खू एक भी सबूत पेश नहीं कर पाए.
मुख्यमंत्री के बयान बाकायदा अखबार और टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक प्रकाशित और प्रसारित हुए हैं, जिससे सुधीर शर्मा के अनुसार उनकी छवि, प्रतिष्ठा और मान की हानि हुई है. इसकी भरपाई के लिए मुख्यमंत्री पर 5 करोड़ की मानहानि का दावा किया गया है. सुधीर शर्मा ने इससे पहले एक लीगल नोटिस जारी कर मुख्यमंत्री से माफी मांगने और मुआवजे के तौर पर 5 करोड़ रुपये की मांग की थी.
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