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हिमाचल हाईकोर्ट की बड़ी व्यवस्था, लंबे समय से एक ही जगह सेवारत कर्मियों की डीओ नोट पर ट्रांसफर में कोई बुराई नहीं - HIMACHAL PRADESH HIGH COURT

हिमाचल हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई में कहा लंबे समय से एक जगह पर सेवारत कर्मियों की डीओ नोट पर ट्रांसफर गलत नहीं है.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 6, 2025, 9:43 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने व्यवस्था देते हुए कहा कि लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे कर्मचारियों की डीओ (डेमी ऑफिशियल) नोट पर ट्रांसफर करने में कोई बुराई नहीं है. अदालत के इस आदेश के बाद राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है.

मामला दरअसल यूं है कि संजय कुमार नामक एक कर्मचारी ने अपनी ट्रांसफर के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. संजय कुमार नगर परिषद सुजानपुर-टिहरा जिला हमीरपुर में कार्यकारी अधिकारी के पद पर हैं. उनका तबादला 19 दिसंबर 2024 को नगर परिषद चंबा के लिए किया गया था. उन्होंने अपने तबादला आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि अभी उनका एक स्थान पर सामान्य कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है.

वहीं, राज्य सरकार ने अदालत में संजय कुमार की याचिका का विरोध करते हुए कुछ तथ्य रखे. सरकार की तरफ से अदालत में बताया गया कि लगभग 13 दिन के संक्षिप्त कार्यकाल को छोड़कर याचिकाकर्ता संजय कुमार 27 अगस्त 2019 से सुजानपुर-टिहरा में ही कार्यकारी अधिकारी के रूप में सेवारत है. ऐसे में याचिकाकर्ता ने सुजानपुर-टिहरा में अपना सामान्य कार्यकाल पहले ही पूरा कर लिया है. सरकार ने कहा कि इस प्रकार याचिकाकर्ता के स्थानांतरण आदेश में कोई कमी नहीं है.

अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से एक ही स्थान पर पोस्टेड है तो उसे स्पष्ट रूप से किसी ऐसे व्यक्ति के हस्तक्षेप के आधार पर ट्रांसफर के माध्यम से हटाया जाना जरूरी हो जाता है, जो इस तथ्य को ऑर्डर जारी करने वाले सर्वोच्च कार्यकारी के ध्यान में लाता है. वहीं, याचिकाकर्ता का कहना था कि उसका स्थानांतरण आदेश गलत है क्योंकि उसे वर्तमान स्टेशन पर अपना सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दिए बिना ट्रांसफर किया गया है.

प्रार्थी का कहना था कि उसे अप्रैल, 2023 में सुजानपुर में तैनात किया गया था. अब उसे नगर परिषद चंबा स्थानांतरित कर दिया गया है. प्रार्थी संजय कुमार का कहना था कि उसका तबादला किसी प्रशासनिक जरूरत के कारण नहीं, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप से हुआ है. इसके अलावा प्रार्थी ने ट्रांसफर ऑर्डर के विरोध में कुछ अन्य दिक्कतें भी अदालत के समक्ष रखी थी. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता चार साल और चार महीने से अधिक समय से सुजानपुर-टिहरा में सेवा कर रहा है.

हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि प्रार्थी के पास केवल सुजानपुर-टिहरा में ही सेवा करने का कोई निहित अधिकार नहीं है. ऐसे में प्रार्थी की रिट याचिका में कोई योग्यता नहीं है. अदालत ने दोहराया कि किसी भी कर्मचारी के एक ही कार्य स्थल पर लंबे समय तक बने रहने के तथ्य को उजागर कर उसका ट्रांसफर करवाना कोई गलत तरीका नहीं है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल हाईकोर्ट में 13 जनवरी से 23 फरवरी तक विंटर ब्रेक, चीफ जस्टिस व अन्य जज देखेंगे वेकेशन बेंच

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने व्यवस्था देते हुए कहा कि लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे कर्मचारियों की डीओ (डेमी ऑफिशियल) नोट पर ट्रांसफर करने में कोई बुराई नहीं है. अदालत के इस आदेश के बाद राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है.

मामला दरअसल यूं है कि संजय कुमार नामक एक कर्मचारी ने अपनी ट्रांसफर के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. संजय कुमार नगर परिषद सुजानपुर-टिहरा जिला हमीरपुर में कार्यकारी अधिकारी के पद पर हैं. उनका तबादला 19 दिसंबर 2024 को नगर परिषद चंबा के लिए किया गया था. उन्होंने अपने तबादला आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि अभी उनका एक स्थान पर सामान्य कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है.

वहीं, राज्य सरकार ने अदालत में संजय कुमार की याचिका का विरोध करते हुए कुछ तथ्य रखे. सरकार की तरफ से अदालत में बताया गया कि लगभग 13 दिन के संक्षिप्त कार्यकाल को छोड़कर याचिकाकर्ता संजय कुमार 27 अगस्त 2019 से सुजानपुर-टिहरा में ही कार्यकारी अधिकारी के रूप में सेवारत है. ऐसे में याचिकाकर्ता ने सुजानपुर-टिहरा में अपना सामान्य कार्यकाल पहले ही पूरा कर लिया है. सरकार ने कहा कि इस प्रकार याचिकाकर्ता के स्थानांतरण आदेश में कोई कमी नहीं है.

अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से एक ही स्थान पर पोस्टेड है तो उसे स्पष्ट रूप से किसी ऐसे व्यक्ति के हस्तक्षेप के आधार पर ट्रांसफर के माध्यम से हटाया जाना जरूरी हो जाता है, जो इस तथ्य को ऑर्डर जारी करने वाले सर्वोच्च कार्यकारी के ध्यान में लाता है. वहीं, याचिकाकर्ता का कहना था कि उसका स्थानांतरण आदेश गलत है क्योंकि उसे वर्तमान स्टेशन पर अपना सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दिए बिना ट्रांसफर किया गया है.

प्रार्थी का कहना था कि उसे अप्रैल, 2023 में सुजानपुर में तैनात किया गया था. अब उसे नगर परिषद चंबा स्थानांतरित कर दिया गया है. प्रार्थी संजय कुमार का कहना था कि उसका तबादला किसी प्रशासनिक जरूरत के कारण नहीं, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप से हुआ है. इसके अलावा प्रार्थी ने ट्रांसफर ऑर्डर के विरोध में कुछ अन्य दिक्कतें भी अदालत के समक्ष रखी थी. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता चार साल और चार महीने से अधिक समय से सुजानपुर-टिहरा में सेवा कर रहा है.

हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि प्रार्थी के पास केवल सुजानपुर-टिहरा में ही सेवा करने का कोई निहित अधिकार नहीं है. ऐसे में प्रार्थी की रिट याचिका में कोई योग्यता नहीं है. अदालत ने दोहराया कि किसी भी कर्मचारी के एक ही कार्य स्थल पर लंबे समय तक बने रहने के तथ्य को उजागर कर उसका ट्रांसफर करवाना कोई गलत तरीका नहीं है.

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