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हाईकोर्ट में हिमाचल सरकार ने रोया आर्थिक संकट का रोना, अदालत ने कहा-देना ही होगा पेंडिंग एरियर - Himachal HC on pending arrears case

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 7, 2024, 4:41 PM IST

Himachal HC on pending arrears case: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पेंडिंग एरियर से जुड़े एक मामले में सुनवाई की. इस दौरान राज्य सरकार ने प्रदेश की आर्थिक संकट खराब होने का हवाला दिया, लेकिन कोर्ट ने कहा सरकार को पेंडिंग एरियर देना ही होगा.

Himachal High court
हिमाचल हाईकोर्ट (ETV Bharat)

शिमला: गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पेंडिंग एरियर से जुड़े एक मामले में राज्य सरकार को हाईकोर्ट से झटका लगा है. शिमला स्थित राज्य सचिवालय से सेक्शन ऑफिसर के तौर पर सेवानिवृत हुए एक अधिकारी के एरियर से जुड़ा मामला हाईकोर्ट में चल रहा है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत में खजाने की कमजोर हालत का तर्क रखा. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कोई राहत नहीं दी और दो-टूक कहा कि वित्तीय संकट का तर्क मान्य नहीं है. साथ ही कहा कि पेंडिंग एरियर जारी करना ही होगा. अदालत ने राज्य सरकार को एरियर जारी करने के लिए 21 दिन का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी.

कंटेप्ट याचिका पर चल रही है सुनवाई: दरअसल, सचिवालय से सेवानिवृत सेक्शन ऑफिसर सुरेंद्र राणा वर्सेज गवर्नमेंट ऑफ हिमाचल प्रदेश मामले में कंटेप्ट याचिका पर सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि इस समय खजाने की हालत ठीक नहीं है. वित्तीय संकट की स्थिति है. राज्य सरकार का पक्ष डिप्टी एडवोकेट जनरल ने रखा और कहा कि कमजोर वित्तीय संकट के कारण अभी एरियर का भुगतान करना संभव नहीं हो पा रहा है. राज्य सरकार के इस तर्क को अदालत ने खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि उसके फैसले को लागू न करने के लिए ये तर्क पर्याप्त नहीं है.

यहां उल्लेखनीय है कि सेक्शन ऑफिसर सुरेंद्र राणा से जुड़े इस केस में 19 सितंबर 2023 को पहला आदेश आया था, उस समय हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को जनवरी 2016 से 30 अप्रैल 2018 तक का वेतन और पेंशन का एरियर देने के आदेश जारी किए थे. ये एरियर छह प्रतिशत ब्याज राशि के साथ देने के लिए कहा था.

2018 में रिटायर हुए थे राणा: मामले के अनुसार याचिकाकर्ता सुरेंद्र सिंह राणा ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी कि वो शिमला स्थित राज्य सचिवालय से वर्ष 2018 में 30 अप्रैल को बतौर सेक्शन ऑफिसर सेवानिवृत हुए थे. हिमाचल प्रदेश में सरकारी सेक्टर में पहली दिसंबर 2022 को नए वेतन आयोग के अनुसार संशोधित पे स्केल की अधिसूचना जारी हुई थी. ये अधिसूचना पहली जनवरी 2016 से लागू होनी थी. इसके संदर्भ में 21 जून 2022 को ऑफिस आर्डर जारी हुए थे.

सुरेंद्र राणा का कहना था कि इस आदेश के अनुसार वह पहली जनवरी 2016 से रिटायरमेंट की अवधि तक रिवाइज्ड एरियर के हकदार थे, लेकिन उन्हें यह एरियर जारी नहीं किया गया. इस पर अदालत से सुरेंद्र राणा के हक में फैसला आया. हाईकोर्ट ने एरियर का भुगतान छह प्रतिशत ब्याज सहित जारी करने के आदेश दिए. जब हिमाचल सरकार ने एरियर जारी नहीं किया तो सुरेंद्र राणा ने अवमानना याचिका दाखिल की. इस याचिका की सुनवाई में राज्य सरकार ने अदालत में तर्क रखा कि अभी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया.

ये भी पढ़ें: बिल आधारित कर्मियों को भी डेली वेजर्स की तरह नियमित करने के आदेश, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

शिमला: गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पेंडिंग एरियर से जुड़े एक मामले में राज्य सरकार को हाईकोर्ट से झटका लगा है. शिमला स्थित राज्य सचिवालय से सेक्शन ऑफिसर के तौर पर सेवानिवृत हुए एक अधिकारी के एरियर से जुड़ा मामला हाईकोर्ट में चल रहा है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत में खजाने की कमजोर हालत का तर्क रखा. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कोई राहत नहीं दी और दो-टूक कहा कि वित्तीय संकट का तर्क मान्य नहीं है. साथ ही कहा कि पेंडिंग एरियर जारी करना ही होगा. अदालत ने राज्य सरकार को एरियर जारी करने के लिए 21 दिन का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी.

कंटेप्ट याचिका पर चल रही है सुनवाई: दरअसल, सचिवालय से सेवानिवृत सेक्शन ऑफिसर सुरेंद्र राणा वर्सेज गवर्नमेंट ऑफ हिमाचल प्रदेश मामले में कंटेप्ट याचिका पर सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि इस समय खजाने की हालत ठीक नहीं है. वित्तीय संकट की स्थिति है. राज्य सरकार का पक्ष डिप्टी एडवोकेट जनरल ने रखा और कहा कि कमजोर वित्तीय संकट के कारण अभी एरियर का भुगतान करना संभव नहीं हो पा रहा है. राज्य सरकार के इस तर्क को अदालत ने खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि उसके फैसले को लागू न करने के लिए ये तर्क पर्याप्त नहीं है.

यहां उल्लेखनीय है कि सेक्शन ऑफिसर सुरेंद्र राणा से जुड़े इस केस में 19 सितंबर 2023 को पहला आदेश आया था, उस समय हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को जनवरी 2016 से 30 अप्रैल 2018 तक का वेतन और पेंशन का एरियर देने के आदेश जारी किए थे. ये एरियर छह प्रतिशत ब्याज राशि के साथ देने के लिए कहा था.

2018 में रिटायर हुए थे राणा: मामले के अनुसार याचिकाकर्ता सुरेंद्र सिंह राणा ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी कि वो शिमला स्थित राज्य सचिवालय से वर्ष 2018 में 30 अप्रैल को बतौर सेक्शन ऑफिसर सेवानिवृत हुए थे. हिमाचल प्रदेश में सरकारी सेक्टर में पहली दिसंबर 2022 को नए वेतन आयोग के अनुसार संशोधित पे स्केल की अधिसूचना जारी हुई थी. ये अधिसूचना पहली जनवरी 2016 से लागू होनी थी. इसके संदर्भ में 21 जून 2022 को ऑफिस आर्डर जारी हुए थे.

सुरेंद्र राणा का कहना था कि इस आदेश के अनुसार वह पहली जनवरी 2016 से रिटायरमेंट की अवधि तक रिवाइज्ड एरियर के हकदार थे, लेकिन उन्हें यह एरियर जारी नहीं किया गया. इस पर अदालत से सुरेंद्र राणा के हक में फैसला आया. हाईकोर्ट ने एरियर का भुगतान छह प्रतिशत ब्याज सहित जारी करने के आदेश दिए. जब हिमाचल सरकार ने एरियर जारी नहीं किया तो सुरेंद्र राणा ने अवमानना याचिका दाखिल की. इस याचिका की सुनवाई में राज्य सरकार ने अदालत में तर्क रखा कि अभी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया.

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