शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने संशोधित वेतनमान के अनुसार ग्रेच्युटी की बकाया राशि जारी न करने पर उच्च शिक्षा निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अदालती आदेशों की अवमानना का मुकदमा चलाया जाए.
कोर्ट ने प्रार्थियों को संशोधित वेतनमान के आधार पर ग्रेच्युटी जारी करने के आदेश दिए थे. अदालत ने इसी साल 4 जनवरी को उच्च शिक्षा निदेशक की उपस्थिति में आदेश जारी किए थे कि 15 मार्च तक प्रार्थियों के सेवानिवृत्ति लाभ जारी कर दिए जाएं. अदालती आदेश के बावजूद शिक्षा विभाग ने याचिकाकर्ता गजराज ठाकुर और अन्य प्रार्थियों को संशोधित वेतनमान के आधार पर संशोधित ग्रेच्युटी की बकाया राशि जारी नहीं की. कोर्ट ने कहा कि 31 दिसंबर 2020 और 31 जनवरी 2017 को सेवानिवृत्त होने वाले प्रार्थियों को कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद संशोधित ग्रेच्युटी की बकाया राशि जारी नहीं की गई.
अदालत ने 15 मार्च को अपने 4 जनवरी के आदेशों की अनुपालना 20 मार्च तक करने के आदेश दिए. इस पर शिक्षा विभाग ने 20 मार्च तक कोर्ट से अगले वित्तीय वर्ष में प्रार्थियों की बकाया राशि चुकाने की मोहलत मांगी, जिसे नामंजूर करते हुए आदेश दिए थे कि यदि प्रार्थियों की संशोधित ग्रेच्युटी की बकाया राशि 18 अप्रैल तक जारी न हुई तो वह स्वयं कोर्ट में उपस्थित रह कर अपना स्पष्टीकरण दे.
अब वीरवार को मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में अतिरिक्त उच्च शिक्षा निदेशक उपस्थित हुए. कोर्ट ने प्रार्थियों की बकाया राशि जारी न करने को प्रथम दृष्टया अपने आदेशों की अवहेलना का मामला पाया. अतः अपने स्पष्ट आदेशों के बावजूद प्रार्थियों को बकाया राशि जारी न करने पर कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया. मामले पर सुनवाई 22 अप्रैल को निर्धारित की गई है.
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