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पुलिस कर्मियों के पदों को जिला से स्टेट कैडर में बदलने पर विचार करे सरकार, हाईकोर्ट का अहम आदेश

हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पुलिस कर्मियों के पदों को जिला से स्टेट कैडर में बदलने को लेकर विचार करने को कहा है.

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 26, 2024, 6:56 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस कर्मियों के पदों को जिला कैडर से स्टेट कैडर में बदलने पर विचार करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश देते हुए कहा कि अब समय आ गया है, जब पुलिस विभाग को अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों के पद और प्रोफाइल पर ध्यान दिए बिना राज्य कैडर बनाने के प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पुलिस जिला बद्दी के एक पुलिस स्टेशन द्वारा महिला से बदसलूकी करने से जुड़े मामले की निष्पक्ष जांच न करने पर यह आदेश जारी किए. कोर्ट ने पुलिस महानिरीक्षक द्वारा पेश की गई रिपोर्ट का अवलोकन करने के पश्चात पाया कि अधिकांश पुलिस अधिकारी व कर्मी इस मामले में लापरवाह रहे है. इस कारण कोर्ट ने इन सभी पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाने आदेश दिए चाहे भले ही उनमें कुछ सेवानिवृत्त हो गए हो. इस बाबत अनुपालना रिपोर्ट 10 जनवरी 2025 को न्यायालय के समक्ष पेश करने के आदेश दिए गए है.

कोर्ट ने पुलिस जिला बद्दी में पुलिस स्टेशनों के कामकाज में गंभीर गड़बड़ी पाई थी. इसका एक कारण वहां तैनात कई अधिकारियों/कर्मचारियों का अपने संबंधित स्थानों पर असाधारण रूप से लंबा कार्यकाल भी माना गया था. इसलिए पुलिस जिला बद्दी के एसपी से पुलिस जिला बद्दी के पुलिस स्टेशनों में तैनात उन पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों का ब्यौरा मांगा था. जिन्होंने पुलिस जिला, बद्दी में तीन वर्ष से अधिक समय पूरा कर लिया है.

इस पर कोर्ट को बताया गया था कि पुलिस स्टेशनों में तैनात कर्मियों के पद जिला कैडर होने के कारण उन्हें बद्दी पुलिस जिले में ही एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन में किया जाता है। पुलिस जिला बद्दी का क्षेत्र कम होने के कारण उन्हें आसपास ही तैनात किया जाता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है. एक ही स्थान पर सेवाएं देने से पुलिसकर्मियों पर अराजकता और मिलीभगत के आरोप लगते है. पुलिस में प्रचलित रवैये और दृष्टिकोण के कारण लोगों को निकट भविष्य में पुलिस से बेहतर सेवाएं मिलने की उम्मीद नहीं है और आपराधिक न्याय के लिए भविष्य अंधकारमय लग रहा है.

कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए कि जब तक पुलिस के सभी पदों को स्टेट कैडर बनाए जाने का निर्णय नहीं ले लिया जाता, तब तक पुलिस विभाग को जिला रोल पर लाए गए एनजीओ ग्रेड-II को राज्य में कहीं भी सतर्कता, सीआईडी, टीटीआर, रेंजर कार्यालय, सीटीएस, पुलिस मुख्यालय आदि में तैनात किया जा सकता है.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एनजीओ ग्रेड-II को बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद बटालियनों में भी तैनात किया जा सकता है. हालांकि, वह बटालियन संबंधित पुलिस कर्मी के गृह जिले में नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने पुलिस विभाग के हर कांस्टेबल को साइबर अपराध, सतर्कता, खुफिया नारकोटिक्स, एसडीआरएफ आदि के लिए विशेष पुलिस दल में स्थानांतरित करने पर जोर दिया और कहा कि आज के समय में आधुनिक पुलिसिंग की सख्त जरूरत है. कोर्ट ने उपरोक्त आदेशों बाबत पुलिस महानिदेशक को 30 नवम्बर तक अपना शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश भी जारी किए.

ये भी पढ़ें: "5 लाख नौकरियों का वादा कर सत्ता में आई थी कांग्रेस, उल्टा डेढ़ लाख पदों को कर दिया समाप्त"

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस कर्मियों के पदों को जिला कैडर से स्टेट कैडर में बदलने पर विचार करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश देते हुए कहा कि अब समय आ गया है, जब पुलिस विभाग को अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों के पद और प्रोफाइल पर ध्यान दिए बिना राज्य कैडर बनाने के प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पुलिस जिला बद्दी के एक पुलिस स्टेशन द्वारा महिला से बदसलूकी करने से जुड़े मामले की निष्पक्ष जांच न करने पर यह आदेश जारी किए. कोर्ट ने पुलिस महानिरीक्षक द्वारा पेश की गई रिपोर्ट का अवलोकन करने के पश्चात पाया कि अधिकांश पुलिस अधिकारी व कर्मी इस मामले में लापरवाह रहे है. इस कारण कोर्ट ने इन सभी पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाने आदेश दिए चाहे भले ही उनमें कुछ सेवानिवृत्त हो गए हो. इस बाबत अनुपालना रिपोर्ट 10 जनवरी 2025 को न्यायालय के समक्ष पेश करने के आदेश दिए गए है.

कोर्ट ने पुलिस जिला बद्दी में पुलिस स्टेशनों के कामकाज में गंभीर गड़बड़ी पाई थी. इसका एक कारण वहां तैनात कई अधिकारियों/कर्मचारियों का अपने संबंधित स्थानों पर असाधारण रूप से लंबा कार्यकाल भी माना गया था. इसलिए पुलिस जिला बद्दी के एसपी से पुलिस जिला बद्दी के पुलिस स्टेशनों में तैनात उन पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों का ब्यौरा मांगा था. जिन्होंने पुलिस जिला, बद्दी में तीन वर्ष से अधिक समय पूरा कर लिया है.

इस पर कोर्ट को बताया गया था कि पुलिस स्टेशनों में तैनात कर्मियों के पद जिला कैडर होने के कारण उन्हें बद्दी पुलिस जिले में ही एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन में किया जाता है। पुलिस जिला बद्दी का क्षेत्र कम होने के कारण उन्हें आसपास ही तैनात किया जाता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है. एक ही स्थान पर सेवाएं देने से पुलिसकर्मियों पर अराजकता और मिलीभगत के आरोप लगते है. पुलिस में प्रचलित रवैये और दृष्टिकोण के कारण लोगों को निकट भविष्य में पुलिस से बेहतर सेवाएं मिलने की उम्मीद नहीं है और आपराधिक न्याय के लिए भविष्य अंधकारमय लग रहा है.

कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए कि जब तक पुलिस के सभी पदों को स्टेट कैडर बनाए जाने का निर्णय नहीं ले लिया जाता, तब तक पुलिस विभाग को जिला रोल पर लाए गए एनजीओ ग्रेड-II को राज्य में कहीं भी सतर्कता, सीआईडी, टीटीआर, रेंजर कार्यालय, सीटीएस, पुलिस मुख्यालय आदि में तैनात किया जा सकता है.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एनजीओ ग्रेड-II को बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद बटालियनों में भी तैनात किया जा सकता है. हालांकि, वह बटालियन संबंधित पुलिस कर्मी के गृह जिले में नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने पुलिस विभाग के हर कांस्टेबल को साइबर अपराध, सतर्कता, खुफिया नारकोटिक्स, एसडीआरएफ आदि के लिए विशेष पुलिस दल में स्थानांतरित करने पर जोर दिया और कहा कि आज के समय में आधुनिक पुलिसिंग की सख्त जरूरत है. कोर्ट ने उपरोक्त आदेशों बाबत पुलिस महानिदेशक को 30 नवम्बर तक अपना शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश भी जारी किए.

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