शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्गों सहित सभी जल स्त्रोतों के आसपास कूड़े कचरे की डंपिंग रोकने के ठोस उपाय करने के आदेश जारी किए हैं. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने शहरी विकास विभाग के सचिव को प्रदेश की 3, 226 ग्राम पंचायतों के सचिवों सहित सभी नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और संबंधित जिलाधीशों के साथ मीटिंग कर उत्पादित ठोस कचरे के उचित प्रबंधन पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं.
कोर्ट ने ठोस कचरे के प्रबंधन के साथ साथ दोषियों को दंडित करने के लिए उपलब्ध कानूनों का प्रयोग करने के आदेश भी दिए हैं. कोर्ट ने सभी सचिवों को 12 अगस्त 2024 तक अपने जवाब दायर करने को कहा है. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने नदियों, नालों और झरनों में कूड़े कचरे की डंपिंग पर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद कचरे की डंपिंग संबंधी मामले आते रहते हैं. इस मामले में कोर्ट ने सभी संबंधित अधिकारियों और कर्मियों को आदेश दिए थे कि वो ठोस, गीले कचरे को अलग-अलग एकत्र करें और निर्दिष्ट वाहनों के जरिए अलग-अलग ठिकाने तक पहुंचाएं. सभी नगरपालिका अधिकारियों को आदेश का पालन करने और अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त समय भी दिया गया था.
कोर्ट ने अपने आदेशों की अनुपालना की जिम्मेदारी संबंधित आयुक्तों, नगर निगमों के सचिवों, नगर पालिका परिषदों के कार्यपालक अधिकारियों एवं नगर पंचायतों के सचिवों पर डाली थी. उक्त अधिकारियों को कोर्ट के इन आदेशों के क्रियान्वयन के संबंध में अपना व्यक्तिगत शपथ पत्र मामले की अगली सुनवाई तक दाखिल करने को भी कहा गया था. कोर्ट ने केंद्र सरकार के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल को बिलासपुर, घुमारवीं, चुवाड़ी, बंजार, चौपाल,नेरवा,रोहड़ू, ठियोग, आनी, शाहपुर, चिरगांव और अम्ब में कूड़ा निस्तारित संयंत्र स्थापित करने अथवा डंप करने के लिए चयनित स्थानों से जुड़े मुद्दों पर केंद्र सरकार की ओर से विशेष हिदायत पेश करने के आदेश भी दिए थे.