शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार फिर से कर्ज का घी पीने की तैयारी कर रही है. उपचुनाव में वोटिंग खत्म होते ही कर्ज उठाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. राज्य सरकार 500 करोड़ रुपये का लोन लेने जा रही है.
वित्त विभाग ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है और संभवत: गुरुवार को अधिसूचना जारी हो जाएगी. ये लोन ओपन मार्केट से लिया जाएगा. कर्ज लेने की रफ्तार इस कदर है कि इस वित्त वर्ष में अप्रैल से लेकर जुलाई तक (पांच सौ करोड़ रुपए सहित) कुल लोन 3400 करोड़ रुपये हो जाएगा यानी अभी तक 2900 करोड़ रुपए कर्ज उठाया जा चुका है और जुलाई महीने के 500 करोड़ रुपये मिलाकर ये 3400 करोड़ रुपये हो जाएगा.
अब मौजूदा वित्त वर्ष में दिसंबर तक पांच महीने का समय बचा है. अभी सरकार के पास अप्रैल से दिसंबर तक की अवधि के लिए 6000 करोड़ रुपये की लोन लिमिट है. दिसंबर से लेकर मार्च तक तक तिमाही के लिए केंद्र सरकार की तरफ से अलग से लोन लिमिट सेंक्शन होगी.
इस तरह जुलाई तक 3400 करोड़ रुपये लोन हो जाएगा और बाकी बचे पांच महीने के लिए सरकार के पास सेंक्शन लोन लिमिट में से कुल 2600 करोड़ रुपए कर्ज लेने की सीमा रहेगी.
सामान्य खर्च ही होंगे पूरे, कहां से देंगे एरियर व डीए
हिमाचल प्रदेश बुरी तरह से डेब्ट ट्रैप में फंस चुका है. सरकारी कर्मचारियों के वेतन व पेंशन पर खर्च निरंतर बढ़ रहा है. इधर, राज्य सरकार ने ओपीएस लागू की है, जिसका इंपैक्ट आना शुरू हो जाएगा.
वहीं, राज्य सरकार को नए वेतन आयोग के बकाया बचे एरियर के भुगतान के लिए 9000 करोड़ रुपये चाहिए. आलम ये है कि सेवानिवृत हो रहे कर्मचारी व पेंशनर्स भी अपने फाइनेंशियल ड्यूज के लिए हाईकोर्ट जा रहे हैं.
अदालतों से राज्य सरकार को निरंतर कई मामलों में एरियर व पेंशनर्स के बकाया भुगतान के लिए आदेश जारी हो रहे हैं. यही नहीं, भुगतान मय ब्याज यानी ब्याज सहित करने के आदेश जारी किए जा रहे हैं.
कर्ज चुकाने के लिए लेना पड़ रहा कर्ज. राज्य के पास जो जलसंपदा है, उस पर सेस लगाने का अधिकार मिलना चाहिए. राजस्व जुटाने के लिए सरकार ने वाटर सेस लगाया था, लेकिन अदालत ने उस फैसले को होल्ड कर दिया: CM pic.twitter.com/k2CBvh8PSL
— ETVBharat Himachal Pradesh (@ETVBharatHP) June 27, 2024
ये भी पढ़ें: 100 में से 42 रुपये सैलरी व पेंशन पर खर्च, कैसे होगा हिमाचल का विकास
ऐसे में सरकार का वित्तीय संकट और गहरा हो रहा है। हाल ही में एक केस में राज्य सरकार ने जब हाईकोर्ट में खराब वित्तीय संकट का हवाला दिया तो अदालत ने दो-टूक कहा कि जैसे भी हो, भुगतान करना ही होगा.
भयावह हो जाएगा आर्थिक संकट
वित्त वर्ष 2026-27 में जिस समय सोलहवें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होंगी, सरकार को लोन किस्त व ब्याज की अदायगी के लिए 12361 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी. अगले वित्त वर्ष यानी 2027-28 में लोन किस्त के 4730 करोड़ व ब्याज के 8115 करोड़ रुपये को मिलाकर दोनों मदों में कुल 12845 करोड़ रुपये की देनदारी होगी. इसी प्रकार 2028-29 में लोन किस्त 5072 करोड़ व ब्याज अदायगी 8865 करोड़ को मिलाकर एक साल की देनदारी 13937 करोड़ रुपये रहेगीय
वित्त वर्ष 2029-30 में लोन किस्त के 5347 करोड़ रुपये व ब्याज के 9595 करोड़ रुपये को मिलाकर कुल एक साल की देनदारी 14942 करोड़ रुपये होगी. अंतिम वित्त वर्ष यानी 2030-31 में लोन किस्त 6126 करोड़ रुपये व ब्याज अदायगी 10507 करोड़ को मिलाकर ये रकम 14942 करोड़ होगी.
यानी पांच साल में लोन किस्त की अदायगी 26101 करोड़ रुपये व ब्याज के 44617 करोड़ रुपये को मिलाकर कुल पांच साल की देनदारी 70718 करोड़ रुपये होगी. हिमाचल सरकार के पूर्व वित्त सचिव केआर भारती बताते हैं कि कर्ज लेकर खर्च चलाना पड़ रहा है, ये अपने आप में भयावह है. लिए गए कर्ज के ब्याज तक को चुकाने के लिए कर्ज उठाने की नौबत आ चुकी है. यदि फाइनेंस कमीशन से उदार सहायता के रूप में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में अच्छी-खासी बढ़ोतरी न मिली तो सरकार के लिए आने वाला समय अत्यंत कठिन हो जाएगा.