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ज्वालामुखी की लुथाण काऊ सेंक्चुरी में दो साल में 1200 गोवंश की मौत, हाईकोर्ट में बोली सरकार, विजिलेंस को दिया जांच का जिम्मा - HC ON COW DEATH IN SANCTUARY

हिमाचल हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने कहा, लुथाण काऊ सेंक्चुरी में 1200 गोवंश की मौत मामले में जांच स्टेट विजिलेंस को सौंपी गई है.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 5, 2024, 10:05 PM IST

Updated : Dec 5, 2024, 10:53 PM IST

शिमला: जिला कांगड़ा की ज्वालामुखी तहसील के तहत लुथाण में स्थापित काऊ सेंक्चुरी में दो साल के भीतर 1200 गोवंश की मौत हो गई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में समय-समय पर आदेश पारित किए थे. इसी मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष कहा कि सैंकड़ों गायों की मौत की जांच का जिम्मा स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो को दिया गया है.

ये काऊ सेंक्चुरी लुथाण गांव में राधे कृष्ण गौ अभ्यारण्य के नाम से स्थापित की गई थी. यहां 20 जनवरी 2022 में काऊ सेंक्चुरी शुरू हुई. आरंभ में यहां 1310 बेसहारा गोवंश रखा गया था. दो साल की अवधि में यहां 1200 गायों की मौत हुई. इस संदर्भ में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी. इसी याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जानकारी दी कि गायों की मौत का जांच का जिम्मा स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो को दिया गया है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जांच अधिकारी सहित संबंधित डीएफओ व पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर को रिकॉर्ड सहित अदालत में मौजूद रहने के आदेश जारी किए.

मामले के अनुसार हाईकोर्ट ने साढ़े तीन करोड़ रुपए की लागत से स्थापित राधे कृष्ण गौ अभ्यारण्य लुथाण जिला कांगड़ा को बंद करने की मांग पर सरकार को नोटिस जारी किए थे. प्रार्थी पवन कुमार ने इस मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव सहित पशु पालन विभाग के सचिव, वन सचिव, गौ सेवा आयोग बालूगंज के निदेशक, केंद्रीय पशुपालन विभाग के सचिव और एनिमल वेलफेयर बोर्ड को इस मामले में प्रतिवादी बनाया है.

मामले में पेश किए गए तथ्यों के अनुसार 23 जनवरी 2019 को हिमाचल सरकार ने राज्य की सड़कों को बेसहारा गोवंश से मुक्त करने के लिए हर जिला में कम से कम एक पशु अभ्यारण्य स्थापित करने के निर्देश दिए थे. फिर 31 जुलाई 2020 को पशु विभाग के तहत अभयारण्य में पशुओं की देखरेख संबंधी एसओपी जारी की गई. उसके बाद 7 अप्रैल 2021 को एक और एसओपी जारी कर गौ सदनों की कार्यप्रणाली तय की गई थी.

राज्य सरकार ने 20 जनवरी 2022 को ज्वालाजी जिला कांगड़ा के लुथाण में राधे कृष्ण गौ अभ्यारण्य स्थापित करने का निर्णय लिया. इसके बाद साढ़े 3 करोड़ रूपए की लागत से यह अभ्यारण्य स्थापित किया गया. दो सालों में वहां 1310 बेसहारा गायों को रखा गया. हैरत की बात है कि इन्हीं दो साल में कुपोषण व बीमारी से 1200 गोवंश की मौत हो गई. दुखद तथ्य ये कि 19 अक्टूबर 2023 को एक ही दिन में 15 गोवंश अव्यवस्था और कु प्रबंधन के कारण मौत का शिकार हुई.

जनहित याचिका दाखिल करने वाले प्रार्थी ने इस अभ्यारण्य को लुथाण इलाके में बंद कर किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थापित करने के आदेशों की मांग की है. इसी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. उल्लेखनीय है कि इसी मामले में हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार से गौ अभ्यारण्यों में खर्च की गई राशि का ब्यौरा मांगा हुआ है. अदालत ने खर्च की गई रकम व उसके उपयोग की सटीक जानकारी अदालत में रखने के आदेश भी जारी किए हुए हैं.

ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, अनुबंध सेवा काल की बैक डेट से दी जाए प्रमोशन, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का है मामला

शिमला: जिला कांगड़ा की ज्वालामुखी तहसील के तहत लुथाण में स्थापित काऊ सेंक्चुरी में दो साल के भीतर 1200 गोवंश की मौत हो गई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में समय-समय पर आदेश पारित किए थे. इसी मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष कहा कि सैंकड़ों गायों की मौत की जांच का जिम्मा स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो को दिया गया है.

ये काऊ सेंक्चुरी लुथाण गांव में राधे कृष्ण गौ अभ्यारण्य के नाम से स्थापित की गई थी. यहां 20 जनवरी 2022 में काऊ सेंक्चुरी शुरू हुई. आरंभ में यहां 1310 बेसहारा गोवंश रखा गया था. दो साल की अवधि में यहां 1200 गायों की मौत हुई. इस संदर्भ में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी. इसी याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जानकारी दी कि गायों की मौत का जांच का जिम्मा स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो को दिया गया है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जांच अधिकारी सहित संबंधित डीएफओ व पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर को रिकॉर्ड सहित अदालत में मौजूद रहने के आदेश जारी किए.

मामले के अनुसार हाईकोर्ट ने साढ़े तीन करोड़ रुपए की लागत से स्थापित राधे कृष्ण गौ अभ्यारण्य लुथाण जिला कांगड़ा को बंद करने की मांग पर सरकार को नोटिस जारी किए थे. प्रार्थी पवन कुमार ने इस मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव सहित पशु पालन विभाग के सचिव, वन सचिव, गौ सेवा आयोग बालूगंज के निदेशक, केंद्रीय पशुपालन विभाग के सचिव और एनिमल वेलफेयर बोर्ड को इस मामले में प्रतिवादी बनाया है.

मामले में पेश किए गए तथ्यों के अनुसार 23 जनवरी 2019 को हिमाचल सरकार ने राज्य की सड़कों को बेसहारा गोवंश से मुक्त करने के लिए हर जिला में कम से कम एक पशु अभ्यारण्य स्थापित करने के निर्देश दिए थे. फिर 31 जुलाई 2020 को पशु विभाग के तहत अभयारण्य में पशुओं की देखरेख संबंधी एसओपी जारी की गई. उसके बाद 7 अप्रैल 2021 को एक और एसओपी जारी कर गौ सदनों की कार्यप्रणाली तय की गई थी.

राज्य सरकार ने 20 जनवरी 2022 को ज्वालाजी जिला कांगड़ा के लुथाण में राधे कृष्ण गौ अभ्यारण्य स्थापित करने का निर्णय लिया. इसके बाद साढ़े 3 करोड़ रूपए की लागत से यह अभ्यारण्य स्थापित किया गया. दो सालों में वहां 1310 बेसहारा गायों को रखा गया. हैरत की बात है कि इन्हीं दो साल में कुपोषण व बीमारी से 1200 गोवंश की मौत हो गई. दुखद तथ्य ये कि 19 अक्टूबर 2023 को एक ही दिन में 15 गोवंश अव्यवस्था और कु प्रबंधन के कारण मौत का शिकार हुई.

जनहित याचिका दाखिल करने वाले प्रार्थी ने इस अभ्यारण्य को लुथाण इलाके में बंद कर किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थापित करने के आदेशों की मांग की है. इसी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. उल्लेखनीय है कि इसी मामले में हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार से गौ अभ्यारण्यों में खर्च की गई राशि का ब्यौरा मांगा हुआ है. अदालत ने खर्च की गई रकम व उसके उपयोग की सटीक जानकारी अदालत में रखने के आदेश भी जारी किए हुए हैं.

ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, अनुबंध सेवा काल की बैक डेट से दी जाए प्रमोशन, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का है मामला

Last Updated : Dec 5, 2024, 10:53 PM IST
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