धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश में फायर सीजन जारी है. इस बीच जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी लगातारी जारी हैं. पिछले दो साल के मुकाबले इस वर्ष वन मंडल धर्मशाला में अब तक सबसे अधिक जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इन घटनाओं में करीब 65 लाख रुपये के नुकसान का आकलन किया गया है. अब तक वन मंडल में 200 से अधिक आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. गौरतलब है कि वन मंडल धर्मशाला के तहत 72 फॉरेस्ट बीट हैं, जिनमें से 44 बीट अत्याधिक संवेदनशील हैं. हालांकि अन्य बीट्स में भी आग की घटनाएं सामने आती हैं, लेकिन अत्यधिक संवेदनशील बीट्स में ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं.
क्यों लग रही है जंगलों में आग
वन मंडल धर्मशाला के डीएफओ दिनेश शर्मा ने बताया कि पिछले दो सालों की बात करें तो इतनी अधिक संख्या में जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने नहीं आई थीं. इस बार जंगलों में आग लगने की अधिक घटनाओं का एक कारण तापमान में बढ़ोतरी है, जबकि दूसरा कारण मंडल धर्मशाला के डीएफओ दिनेश शर्मा ने बताया कि लोगों द्वारा बरसात में अच्छे घास के लिए लगाई जाने वाली आग है. उन्होंने कहा कि अगर लोग वन क्षेत्र की पगडंडियों से गुजरते हैं तो ध्यान रखें कि माचिस, बीड़ी, सिगरेट न फेंके और जंगलों में आग न लगाएं. जंगलों में रहने वाले जीव-जंतुओं को भी जंगलों की आग से नुकसान पहुंचता है. जंगलों में रहने वाले पक्षियों द्वारा इस समय अंडे दिए होते हैं, आग की वजह से उन्हें भी नुकसान पहुंचता है.
लोगों द्वारा लगाई जा रही जंगलों में आग
डीएफओ दिनेश शर्मा ने कहा कि जंगलों में आग के अधिकतर मामले मानव जनित होते हैं. बहुत कम मामले ऐसे होते हैं, जिनमें चीड़ की पत्तियों में खुद से आग लगे. ऐसे में जंगलों को आग से बचाने के लिए सभी को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए. अगर कोई जंगल में आग लगाते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने सहित कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है.
इस साल अग्निकांड की 200 घटनाएं
वन मंडल धर्मशाला के डीएफओ दिनेश शर्मा ने बताया कि पिछले दो सालों की अपेक्षा इस साल वन मंडल में आग लगने की घटनाएं ज्यादा सामने आई हैं. धर्मशाला वन मंडल की 72 बीट में से 44 अत्याधिक संवेदनशील हैं. जिनमें 200 से अधिक आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वनों को बचाने में सभी का सहयोग अपेक्षित है.
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