शिमला: छोटे पहाड़ी प्रदेश में मंडी सीट इस बार देश भर की हॉट सीटों में शुमार रही. इस सीट पर भाजपा ने बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत को लोकसभा चुनाव के लिए टिकट देकर सुर्खियों में ला दिया. वहीं, कांग्रेस ने भी 2014 और 2019 में भाजपा की हुई जीत के विजय रथ को रोकने के लिए छह बार के सीएम स्व. वीरभद्र सिंह के बेटे और युवा कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह को कंगना के मुकाबले में उतार कर मुकाबले को टक्कर में ला दिया. अब 1 जून को मतदान संपन्न हो चुका है और इसी के साथ बुशहर रियासत के मुखिया यानी किंग विक्रमादित्य सिंह और बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत का भाग्य अब ईवीएम में कैद हो गया. ऐसे में चार जून को सुबह 8 बजे ईवीएम में कैद किस प्रत्याशी की किस्मत साथ देगी, इस पर सभी की नजरें लगी हैं.
एग्जिट पोल के नतीजे
करीब ढ़ाई महीने तक देश में लोकसभा चुनाव का शोर गूंजने के बाद, 1 जून को लोकसभा चुनाव के अंतिम और 7वें चरण के मतदान के बाद जैसे ही एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आए, तो सियासी दलों और नेताओं की धुकधुकी बढ़ गई. कई एग्जिल पोल ने हिमाचल में भाजपा को झटका देते हुए कांग्रेस को 1 से 2 सीटें मिलने का दावा किया है. इससे भाजपा सहित कांग्रेस की नजरें एग्जिट पोल के आंकड़ों पर टिकी हैं. कुछ एग्जिट पोल के इशारे के बाद अब मंडी सीट पर कांग्रेस का हाथ मजबूत होने की सियासी गलियारों में खूब चर्चा है. जानकारों का मानना है कि मंडी सीट पर कांग्रेस बाजी मार सकती है.
सर्वे एजेंसियां | बीजेपी | कांग्रेस | अन्य |
दैनिक भास्कर | 2-3 | 1-2 | 0 |
इंडिया टीवी | 3-4 | 0-1 | 0 |
रिपब्लिक भारत मैटराइज | 2-3 | 1-2 | 0 |
टाइम्स नाउ | 3 | 1 | 0 |
इंडिया न्यू डी डायनामिक | 4 | 0 | 0 |
इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया | 4 | 0 | 0 |
जन की बात | 4 | 0 | 0 |
न्यूज 24 टुडेज चाणक्य | 4 | 0 | 0 |
रिपब्लिक टीवी पी मार्क | 4 | 0 | 0 |
क्या मंडी में फंसी है कंगना की सीट?
अब क्या सचमुच में मंडी में कंगना रनौत की सीट फंसी है? मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत मंडी और कुल्लू में हुई पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की चुनावी रैलियां भी इस अंदेशे की तरफ इशारा कर रही हैं. हालांकि दोनों ही प्रत्याशियों का फैसला 4 जून को ईवीएम खुलने पर ही होगा.
कंगना को टिकट देने पर दिग्गजों की नाराजगी
मंडी सीट पर टिकट की दावेदारी जता रहे नेताओं की उम्मीदों की झटका देते हुए भाजपा ने बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत को टिकट दिया था. ऐसे में मंडी से टिकट की कतार में लगे दिग्गज नेताओं की पार्टी से नाराजगी बढ़ गई थी. इस दौरान कांग्रेस ने युवा नेता एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह को चुनावी मैदान में उतार कर मुकाबले को रोचक स्थित में ला दिया है. जबकि विक्रमादित्य सिंह को टिकट देने को लेकर कांग्रेस पार्टी में कोई विरोध नहीं हुआ. वहीं, टिकट आवंटन से नाराज चल रहे भाजपा नेताओं के प्रति कांग्रेस की तरफ से जताई गई सहानुभूति ने भी आग में घी डालने का काम किया है.
24 मई को मंडी में गरजे थे पीएम मोदी
मंडी में उपजी इस तरह की सियासी परिस्थितियों से पीएम मोदी भी अवगत थे. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी की 24 मई को शिमला संसदीय क्षेत्र के नाहन में चुनावी रैली के बाद पीएम ने मंडी में चुनावी जनसभा को संबोधित कर कंगना के पक्ष में वोट की अपील की. देश में कई बड़े लोकसभा क्षेत्रों को छोड़ पीएम मोदी ने रैली के लिए मंडी को चुना और कंगना के लिए प्रचार किया. जो कि इस ओर इशारा करती है कि मंडी सीट पर विक्रमादित्य सिंह कंगना को कांटे की टक्कर दे रहे हैं.
सीएम योगी की कल्लू रैली
इसके बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी हिमाचल में दो चुनावी जनसभाएं की. जिनमें से एक चुनावी जनसभा सीएम योगी ने मंडी ससंदीय क्षेत्र के तहत कुल्लू में की और कंगना के लिए वोट मांगे. सीएम योगी ने जनसभा के दौरान कंगना रनौत की तुलना महारानी लक्ष्मीबाई, मीराबाई और महारानी पद्मिनी से की थी. सीएम योगी ने मंच से कंगना को अपनी छोटी बहन कह कर पुकारा था.
मंडी संसदीय क्षेत्र में दिखे BJP के बड़े चेहरे
इसके अलावा 28 मई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी रामपुर में चुनावी रैली को संबोधित किया था और कंगना के पक्ष में वोट मांगे थे. वहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी चुनाव प्रचार के आखिरी दिन 30 मई को मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत करसोग में चुनावी जनसभा की थी और कंगना रनौत के पक्ष में मतदान की अपील की थी.
2 महीने तक मंडी में ही डटे रहे जयराम
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी लगातार दो महीनों से मंडी सीट पर ही डेरा डाल रखा था. जयराम ठाकुर लगातार कंगना रनौत के साथ चुनाव प्रचार में जुटे रहे और तकरीबन सभी रैलियों में कंगना के साथ उपस्थित रहे. ऐसे में मंडी सीट पर बड़े नेताओं की बड़े स्तर पर हलचल भी कंगना की सीट फंसे होने की तरफ इशारा कर रही है.
पीएम मोदी व पूर्व सीएम जयराम की नाक का सवाल
मंडी लोकसभा सीट पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर की नाक का सवाल बन गई है. विधानसभा चुनाव में मंडी की दस में से नौ सीटों पर भाजपा को विजय मिली थी. इस बार भी सराज से भाजपा को अच्छी-खासी लीड मिली है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने यहां खूब मेहनत की है. जयराम ठाकुर 2022 में अपना चुनाव प्रदेश में सबसे अधिक लीड के साथ जीते थे. इसके अलावा नौ सीटों पर भी भाजपा को जीत मिली थी. पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां कंगना के समर्थन में रैली की थी. रैली में उमड़ी भारी भीड़ से पीएम भी खुश दिखाई दिए थे. उस रैली ने कंगना के प्रचार को धार दी थी. उसके बाद जयराम ठाकुर निरंतर मंडी में सक्रिय रहे. जयराम ठाकुर पर 2022 की परफार्मेंस दोहराने का भी दबाव था. अब चार जून को ईवीएम खुलने पर ही पता चलेगा कि मंडी ने जयराम ठाकुर को कितना समर्थन दिया है. दूसरे शब्दों में जयराम ठाकुर के गृह जिले में कंगना रनौत को जनता ने कितना गले लगाया है.
कंगना ने खुद को बताया हिमाचल की बेटी
कंगना रनौत का टिकट बहुत पहले फाइनल हो गया था. भाजपा ने 24 मार्च को टिकट घोषित किया था. वहीं, 13 अप्रैल को विक्रमादित्य सिंह की टिकट का ऐलान हुआ था. कंगना ने प्रचार में खूब समय बिताया. उन्होंने मंडयाली बोली में आम जनता से भावुक संवाद किया. हालांकि उन्होंने विक्रमादित्य सिंह पर करारे हमले भी किए और एकबारगी तो प्रचार निजी हमलों तक पहुंच गया था. कांग्रेस ने कंगना को बीफ विवाद पर घेरने का प्रयास किया. विक्रमादित्य सिंह को प्रदेश में अपनी ही पार्टी की सरकार का सहारा था, साथ ही वीरभद्र सिंह परिवार का निजी वोट बैंक भी कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण थी. यहां से वीरभद्र सिंह व प्रतिभा सिंह सांसद रह चुके हैं. कंगना और विक्रमादित्य सिंह, दोनों का ये पहला लोकसभा चुनाव है. कंगना को पीएम नरेंद्र मोदी के मैजिक व राम लहर से उम्मीद है. उन्होंने अपने प्रचार में भी पीएम मोदी के नाम व काम पर फोकस किया था. खैर, अब क्वीन व किंग का भाग्य ईवीएम में कैद है और 1 जून को हुए मतदान का परिणाम 4 जून को निकलेगा.
मंडी सीट पर विशेषज्ञों का मत
वरिष्ठ मीडियाकर्मी नूतन ठाकुर के मुताबिक मंडी सीट पर कांग्रेस बीजेपी को कांटे की टक्कर दे रही है. उन्होंने कहा कि इस बार मतदान को कई चीजों ने प्रभावित किया है. जैसे की भाषा, दोनों ही प्रत्याशियों के चुनावी वार निजी स्तर तक पहुंच गए थे. हालांकि जनता ने किस प्रत्याशी की भाषा को ज्यादा गंभीरता से लिया ये चुनावी नतीजे तय करेंगे. इसके अलावा विक्रमादित्य सिंह युवा नेता हैं और युवाओं में उनकी पकड़ ज्यादा है. मंडी सीट से विक्रमादित्य सिंह के पिता स्वर्गीय वीरभद्र सिंह 3 बार सांसद रहे हैं और 6 बार सीएम रहे हैं, उनकी माता प्रतिभा सिंह भी मंडी सीट से 3 बार की सांसद हैं. खुद विक्रमादित्य सिंह मौजूदा सरकार में PWD मंत्री हैं. बुजुर्ग वर्ग में अभी भी स्वर्गीय राजा वीरभद्र के लिए सम्मान है. ऐसे में उनको राजनीति विरासत के तौर पर मिली है, जिसका उनको चुनाव में लाभ मिल सकता है. नूतन ठाकुर ने कहा कि भाजपा में टिकट आवंटन के समय पुराने वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा हुई है, जिसका भाजपा को मंडी सीट पर नुकसान हो सकता है. हालांकि सराज में बीजेपी की बढ़त दिख रही है, लेकिन रामपुर में कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी मजबूत है. नूतन ठाकुर का कहना है कि अगर मंडी जिले में कंगना को 45 से 50 हजार की बढ़त भी कंगना को मिलती है तो भी जीत मुश्किल लग रही है, क्योंकि कुल्लू जिले की 3 सीटों पर कांग्रेस को भी 20 से 25 हजार की बढ़त मिल रही है.
वरिष्ठ मीडियाकर्मी एवं लेखक कृष्ण भानू का कहना है कि हिमाचल में न कोई लहर है और न ही कोई आंधी. उनका कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी तूफान के चलते प्रदेश की चारों सीटों पर भाजपा जीती थी, लेकिन इस बार सीटों का आकंड़ा 2-2 का होता दिख रहा है. कांगड़ा, हमीरपुर भाजपा और शिमला, मंडी कांग्रेस के खाते में जा सकती है. कांगना को वापस मुंबई लौटना होगा. कृष्ण भानू का कहना है कि इस बार कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है. चित भी उनकी है और पट भी उनकी है. हालांकि कृष्ण भानू का ये विश्लेषण एग्जिट पोल आने से पहले का है.