शिमला/कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में आज अपनी मांगों को लेकर सभी डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर हैं. प्रदेशभर के 2900 डॉक्टर आज सामूहिक अवकाश पर हैं. इस दौरान अस्पतालों में इमरजेंसी केस को छोड़ कर बाकी सभी स्वास्थ्य सुविधाएं बंद हैं. जिसके चलते मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. राजधानी शिमला में भी सुबह जब मरीज डीडीयू अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे तो ओपीडी बंद थी और कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था. जिसके कारण बिना इलाज के ही मरीजों को घर वापस लौटना पड़ा.
बिना इलाज के निराश होकर वापस लौट रहे मरीज
घनहाटी से आई नम्रता कौशल ने बताया कि उनका बच्चा बीमार है. वह अपने बच्चे को लेकर इलाज के लिए डीडीयू में आई है, लेकिन यहां पर पर्ची भी नहीं बन रही है. उन्होंने अस्पताल परिसर में मौजूद स्टाफ ने बताया कि आज सभी डॉक्टर छुट्टी पर हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की हड़ताल के चलते आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, एक अन्य व्यक्ति भगत राम ने बताया कि वह अर्की से इलाज के लिए डीडीयू आए हैं. इससे पहले वह लोग धामी गए थे, लेकिन जब वहां डॉक्टर नहीं मिले तो वह लोग शिमला आए. मगर अब यहां भी डॉक्टर नहीं है और वह इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं. डीडीयू अस्पताल में सुबह से मरीज पहुंच रहे हैं, लेकिन ओपीडी में कोई डॉक्टर ही नहीं बैठा है.
मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख कर रहे मरीज
वहीं, कुल्लू जिले में भी डॉक्टरों की हड़ताल के चलते मरीज दर-दर इलाज के लिए भटकते रहे. हालांकि डॉक्टरों द्वारा पहले ही सामूहिक अवकाश की सूचना पहले ही जारी कर दी गई थी, लेकिन उसके बावजूद भी ग्रामीण इलाकों से लोग अपना इलाज करवाने के लिए ढालपुर अस्पताल पहुंचे. ऐसे में अस्पताल में डॉक्टर ना होने के चलते उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और उन्हें मजबूरन निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें डॉक्टर के सामूहिक अवकाश के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और वह 60 किलोमीटर दूर से सफर कर इलाज करवाने के लिए ढालपुर पहुंचे थे. अब उन्हें अपने इलाज के लिए सोमवार तक इंतजार करना होगा, क्योंकि रविवार तक अब छुट्टियां हैं. वहीं, ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि वह डॉक्टरों की मांग पर जल्द गौर करें, ताकि मरीजों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े.
सरकार से खफा हैं प्रदेशभर के डॉक्टर
शिमला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर राजधानी के सभी अस्पतालों में डॉक्टरों ने अपना विरोध दर्ज करवाया है. जिसके चलते सभी डॉक्टर आज सामूहिक अवकाश पर हैं. जिस कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेशभर के सभी डॉक्टर काफी समय से एनपीए की मांग कर रहे हैं. अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे डॉक्टर मांगें पूरी ना होने से सरकार से खफा हैं. इससे पहले डॉक्टर अपनी मांगें पूरी ना होने के विरोध में काले बिल्ले लगाकर काम कर रहे थे और उसके बाद डॉक्टरों ने पेन डाउन स्ट्राइक शुरू की थी.
सरकार के मिलते आश्वासनों से डॉक्टरों में रोष
डॉक्टरों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है. सरकार की ओर से डॉक्टरों को सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. बीते दिनों अपनी मांगों को लेकर डॉक्टरों ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी मुलाकात की थी और अपनी मांगों के संदर्भ में एक पत्र भी मुख्यमंत्री को सौंपा था. डॉक्टरों ने सरकार से NPA बहाल करने समेत 4-9-14 पे स्केल को भी फिर से बहाल करने की मांग की है.
डॉक्टरों की मुख्य मांगे
- नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (NPA) को बहाल किया जाए.
- डॉक्टरों के पास प्रमोशन के लिए बहुत ही कम पद स्वीकृत हैं, इसलिए 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम को फिर से बहाल किया जाए.
- डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम को केंद्र सरकार के तुल्य लागू किया जाए. केंद्र सरकार ने 2008 के बजट में और 2014 के एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी गजट में डॉक्टरों को डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत वित्तीय लाभ प्रदान किए हैं. बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार की तरह प्रदान की गई है.
- मेडिकल कॉलेजों में भी डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम को धरातल पर नहीं लाया जा रहा है. उसे भी लागू किया जाए.
- रेगुलर डीपीसी नहीं की जा रही है. रेगुलर डीपीसी ना करने से मेडिकल कॉलेज की मान्यताओं के ऊपर भी खतरा मंडरा रहा है. उसे रेगुलर किया जाए.
- जून 2023 को प्रोजेक्ट डायरेक्टर एड्स कंट्रोल सोसायटी का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को पुनः प्रदान करने के संदर्भ में सहमति जताई थी. वहीं, धरातल पर ना ही स्वास्थ्य निदेशक की स्थाई नियुक्ति हो पाई है और जो एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को दिया जाना था. वह मामला भी अधर में लटक गया है.
- स्वास्थ्य विभाग सेवानिवृत्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पदोन्नति के पदों पर पुनः रोजगार प्रदान ना किया जाए. किसी अधिकारी को सेवा विस्तार किए जाने की बात का विरोध जताया है, क्योंकि ऐसा करना प्रदेश में बेरोजगार युवा डॉक्टरों के हित में नहीं है. डॉक्टरों का कहना है कि सालों से अपनी प्रमोशन का इंतजार कर रहे डॉक्टरों को उनके प्रमोशन से वंचित रखना और उनका हक किसी और को दे देना एक दुखद विषय है.
- स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य निदेशक, उप स्वास्थ्य निदेशक और खंड चिकित्सा अधिकारियों के विभिन्न पद खाली हैं. इन पदों पर पदोन्नति योग्यता एवं वरिष्ठता के आधार पर शीघ्र भर्ती की जाए.
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