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CPS मामला अब सुप्रीम कोर्ट में, हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल की SLP, सुनवाई आज - SUKHU GOVT ON CPS CASE

सुप्रीम कोर्ट में CPS मामले में आज सुनवाई होगी. हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ SC में एसएलपी दाखिल की है.

HIMACHAL CPS CASE
सुप्रीम कोर्ट में CPS मामले में सुनवाई आज (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 22, 2024, 7:23 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश का बहुचर्चित सीपीएस नियुक्ति मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी यानी स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की है. राज्य सरकार की तरफ से मामले की पैरवी कपिल सिब्बल करेंगे. इस केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज होगी.

हाईकोर्ट ने PS Act को अमान्य करार दिया

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य के संसदीय सचिव एक्ट-2006 को अमान्य करार दिया है. साथ ही छह सीपीएस को तुरंत प्रभाव से हटाने के आदेश जारी किए गए थे. साथ ही सीपीएस को दी गई गाड़ियां, आवास व स्टाफ हटा लिया गया था. हाईकोर्ट ने इस मामले में असम के बिमलांग्शु रॉय केस का हवाला दिया था.

CPS मामले पर राज्य सरकार का पक्ष

उधर, राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल का कहना है कि हिमाचल का एक्ट असम से अलग है. हिमाचल में सीपीएस को मंत्रियों जैसी सुविधा नहीं दी गई थी और न ही वे मंत्रियों की तरह कार्य करते थे. इसी को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई है. अमूमन सुप्रीम कोर्ट में नए मामलों की सुनवाई सोमवार व शुक्रवार को होती है. सोमवार को सीपीएस केस नहीं लग पाया था, लिहाजा अब शुक्रवार को इसके लिस्ट होने और सुनवाई के आसार हैं.

CPS मामले को लेकर राज्य सरकार में मतभेद

राज्य सरकार में सीपीएस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने को लेकर मत में भेद भी सामने आया था. कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने इस केस को सुप्रीम कोर्ट में न ले जाने की बात कही थी. वहीं, जिस दिन हाईकोर्ट से इस केस में फैसला आया था, राज्य के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने कहा था कि सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. ऐसे में अब सीपीएस केस में भाजपा की निगाहें भी सुप्रीम कोर्ट पर टिक गई हैं. वहीं, भाजपा सीपीएस पद से हटाए गए विधायकों की सदस्यता को लेकर भी आगामी रणनीति तैयार करने में जुट गई है. भाजपा इन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार देने वाले कानूनी पहलुओं की संभावनाएं तलाश रही है. ऐसे में आने वाले समय में हिमाचल में राजनीतिक हलचल तेज होने के आसार हैं.

ये भी पढ़ें: क्या था हिमाचल का संसदीय सचिव एक्ट? हाईकोर्ट ने कर दिया है अमान्य, अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला

ये भी पढ़ें: आठ साल पहले दी थी सीपीएस नियुक्ति को चुनौती, उस याचिका पर भी आया एक्ट को असंवैधानिक बताने वाला फैसला

ये भी पढ़ें: CPS मामला: सुखविंदर सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश पर की स्टे की मांग, कहा- सही नहीं था फैसला

ये भी पढ़ें: CPS मामला: सुखविंदर सरकार ने HC के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, BJP ने भी फाइल की कैविएट

ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट के आदेश के बाद पद से हटे सुक्खू सरकार के 6 सीपीएस, ये सुविधाएं भी ली जाएंगी वापस

ये भी पढ़ें: Himachal CPS Case: जानें हाइकोर्ट के 33 पन्नों के आदेश में क्या है मुख्य बातें ?

शिमला: हिमाचल प्रदेश का बहुचर्चित सीपीएस नियुक्ति मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी यानी स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की है. राज्य सरकार की तरफ से मामले की पैरवी कपिल सिब्बल करेंगे. इस केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज होगी.

हाईकोर्ट ने PS Act को अमान्य करार दिया

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य के संसदीय सचिव एक्ट-2006 को अमान्य करार दिया है. साथ ही छह सीपीएस को तुरंत प्रभाव से हटाने के आदेश जारी किए गए थे. साथ ही सीपीएस को दी गई गाड़ियां, आवास व स्टाफ हटा लिया गया था. हाईकोर्ट ने इस मामले में असम के बिमलांग्शु रॉय केस का हवाला दिया था.

CPS मामले पर राज्य सरकार का पक्ष

उधर, राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल का कहना है कि हिमाचल का एक्ट असम से अलग है. हिमाचल में सीपीएस को मंत्रियों जैसी सुविधा नहीं दी गई थी और न ही वे मंत्रियों की तरह कार्य करते थे. इसी को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई है. अमूमन सुप्रीम कोर्ट में नए मामलों की सुनवाई सोमवार व शुक्रवार को होती है. सोमवार को सीपीएस केस नहीं लग पाया था, लिहाजा अब शुक्रवार को इसके लिस्ट होने और सुनवाई के आसार हैं.

CPS मामले को लेकर राज्य सरकार में मतभेद

राज्य सरकार में सीपीएस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने को लेकर मत में भेद भी सामने आया था. कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने इस केस को सुप्रीम कोर्ट में न ले जाने की बात कही थी. वहीं, जिस दिन हाईकोर्ट से इस केस में फैसला आया था, राज्य के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने कहा था कि सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. ऐसे में अब सीपीएस केस में भाजपा की निगाहें भी सुप्रीम कोर्ट पर टिक गई हैं. वहीं, भाजपा सीपीएस पद से हटाए गए विधायकों की सदस्यता को लेकर भी आगामी रणनीति तैयार करने में जुट गई है. भाजपा इन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार देने वाले कानूनी पहलुओं की संभावनाएं तलाश रही है. ऐसे में आने वाले समय में हिमाचल में राजनीतिक हलचल तेज होने के आसार हैं.

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