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सीएम व डिप्टी सीएम पर हमीरपुर के किले को बचाने का जिम्मा, लोकसभा ही नहीं विधानसभा उपचुनाव में भी जीत की चुनौती - Lok Sabha Election 2024

बीजेपी की ओर से हमीरपुर लोकसभा सीट से सांसद अनुराग ठाकुर है. वहीं कांग्रेस इस बार इस सीट को झटकना चाहेगी. कांग्रेस के दो कद्दावर नेता मुख्यमंत्री सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री इन्हीं क्षेत्रों से चुनकर विधानसभा पहुंचे है. ऐसे इस जीत को कांग्रेस की झोली में डालने की जिम्मेदारी इनके कंधों पर ही होगी.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 3, 2024, 12:21 PM IST

Updated : Apr 3, 2024, 2:34 PM IST

LOK SABHA ELECTION 2024
सीएम व डिप्टी सीएम पर हमीरपुर के किले को बचाने का जिम्मा

शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल का सियासी माहौल इस समय बड़ा रोचक हो गया है. सुक्खू सरकार के पास चालीस विधायकों का प्रचंड बहुमत था और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल था. विधानसभा की 68 सीटों में से भाजपा के पास केवल 25 सीटें थीं, लेकिन राज्यसभा चुनाव के बाद से ही यह हिमाचल प्रदेश की राजनीति में उठा-पटक शुरू हो गया.

सीएम और डिप्टी सीएम की साख दांव पर: अब आलम ये है कि न केवल सीएम बल्कि डिप्टी सीएम की साख दांव पर है. दोनों बड़े नेताओं के समक्ष एक नहीं अनेक चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हो गई हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का संसदीय क्षेत्र एक ही है. दोनों नेता हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से हैं.

उपचुनाव में इन सीटों पर बचानी होगी नाक: सीएम एवं डिप्टी सीएम के सामने लोकसभा चुनाव में अनुराग ठाकुर के रूप में चुनौती है. सीएम व डिप्टी सीएम को केवल लोकसभा सीट पर ही राजनीतिक चुनौती से नहीं निपटना है, बल्कि सुजानपुर, बड़सर व कुटलैहड़ व गगरेट में विधानसभा उपचुनाव में भी नाक बचानी है.

अभी बीजेपी की पलड़ा दिख रहा भारी: गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस से छह बागी नेताओं ने क्रॉस वोट की थी. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दिया. हर्ष राज्यसभा चुनाव की जंग जीत गए. भाजपा हाईकमान ने इस अहसान का बदला बागियों को गले लगाकर और उन्हें उपचुनाव में टिकट देकर चुकाने का पहला प्रयास किया. अब भाजपा का दूसरा प्रयास इन बागियों की जीत सुनिश्चित करना है. बागी नेताओं का खुद का समर्थक वोट बैंक और भाजपा के कैडर सहित पीएम मोदी के मैजिक उन्हें मजबूत करता है.

कांग्रेस के लिए बनी ये बड़ी चुनौती: अगर कांग्रेस की बात करे तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का गृह जिला हमीरपुर है. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का गृह जिला ऊना है. ये दोनों हमीरपुर संसदीय सीट के तहत आते हैं. सबसे पहले तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी को नादौन विधानसभा क्षेत्र से अच्छी-खासी लीड दिलाने का जिम्मा होगा. फिर हमीरपुर जिला की सभी सीटों से लोकसभा चुनाव में बढ़त की चुनौती होगी. यदि ऐसा नहीं हुआ तो भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिलेगा.

सीएम को इन मुद्दों से पाना होगा पार: भाजपा ये प्रचार करेगी कि सत्ता में होने के बावजूद सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने ही गृह जिला की सीटों से बढ़त नहीं दिला सके. फिर ऊना में यही चुनौती डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के समक्ष होगी. दोनों पर ये दबाव रहेगा कि वे अपने गृह जिला से लोकसभा चुनाव में बढ़त दिलाएं. उधर, अनुराग ठाकुर के साथ उनका केंद्र में कद और नरेंद्र मोदी सरकार के काम का सहारा है. साथ ही लोकसभा चुनाव में राम नाम का मैजिक भी चलेगा. राम मंदिर एक भावनात्मक मुद्दा है और कांग्रेस कई बिंदुओं पर बैकफुट पर है. सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस ने राम सेतु को लेकर हलफनामा भी दिया था. राम मंदिर निर्माण की राह में रोड़े अटकाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल से लेकर अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नेताओं ने पैरवी की थी. भाजपा इन सारे पहलुओं को भुनाएगी.

कांग्रेस के पास ओपीएस का सहारा: कांग्रेस वोटर्स को ओपीएस सहित महिलाओं को 1500 रुपये की गारंटी के बारे में बताएगी. साथ ही राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराएगी. सीएम सहित सभी कांग्रेस नेता बार-बार ये कह रहे हैं कि भाजपा ने धनबल का प्रयोग किया है. कांग्रेस कह रही है कि धनबल के सामने जनबल की जीत होगी. वहीं, राम मंदिर निर्माण को लेकर कांग्रेस का तर्क रहेगा कि राम सभी के हैं और भाजपा के पास इसका पेटैंट नहीं है.

पार्टी की हार सीएम व डिप्टी सीएम की हार: अगर बात विधानसभा उपचुनाव की करते है तो कांग्रेस ये भी कहेगी कि हमीरपुर से पार्टी ने एक नेता को सीएम बनाया है और ऊना से डिप्टी सीएम बनाया है. ऐसे में दोनों जिलों की जनता को ये सोचना चाहिए कि कांग्रेस की हार सीएम व डिप्टी सीएम की हार है. जनता को सीएम व डिप्टी सीएम के हाथ मजबूत करने चाहिए, क्योंकि ये हमीरपुर व ऊना के स्वाभिमान का सवाल है.

भाजपा के पास मनोवैज्ञानिक बढ़त: सीएम व डिप्टी सीएम के समक्ष चुनौतियों की कमी नहीं है. मौजूदा चुनौतियों की बात की जाए तो प्रत्याशी चयन में कांग्रेस पीछे है. भाजपा ने न केवल लोकसभा बल्कि विधानसभा उपचुनाव के लिए भी प्रत्याशी उतार दिए हैं. भाजपा का प्रचार अभियान गति पकड़ चुका है. कांग्रेस ने अभी पहला ही कदम नहीं उठाया है. कांग्रेस को लोकसभा व विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने हैं. यहां कांग्रेस पीछे है और भाजपा के पास मनोवैज्ञानिक बढ़त है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी हेमंत कुमार का कहना है कि चुनाव में मनोवैज्ञानिक बढ़त का अपना ही महत्व है.

सुक्खू नहीं भांप सके पार्टी नेताओं की नाराजगी: राज्यसभा चुनाव में हार कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है. ये तो अब जगजाहिर है कि कांग्रेस में असंतोष को सीएम समय रहते नहीं भांप पाए. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने भी इंटेलिजेंस फेल्योर को स्वीकार किया है. अब दोनों ही बड़े नेताओं के सामने ये चुनौती है कि इस नुकसान की भरपाई लोकसभा व विधानसभा उपचुनाव में हो जाए। यदि सीएम व डिप्टी सीएम लोकसभा चुनाव में अपने ही गृह जिला की विधानसभा सीटों पर बढ़त नहीं दिला पाए तो स्वभाविक रूप से भाजपा को उन पर हमला करने का मौका मिलेगा. साथ ही छह में से चार उपचुनाव इन दोनों नेताओं के गृह जिला में है. वहां भी साख को बचाने की चुनौती है. कुल मिलाकर ये चुनाव न केवल कांग्रेस का भविष्य तय करेंगे. सीएम व डिप्टी सीएम की साख भी दांव पर है.

ये भी पढ़ें:मंडी सीट पर ठाकुर और ब्राह्मण उम्मीदवारों का रहा है दबदबा, BJP से कंगना के बाद सबकी नजर अब कांग्रेस प्रत्याशी पर टिकी

शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल का सियासी माहौल इस समय बड़ा रोचक हो गया है. सुक्खू सरकार के पास चालीस विधायकों का प्रचंड बहुमत था और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल था. विधानसभा की 68 सीटों में से भाजपा के पास केवल 25 सीटें थीं, लेकिन राज्यसभा चुनाव के बाद से ही यह हिमाचल प्रदेश की राजनीति में उठा-पटक शुरू हो गया.

सीएम और डिप्टी सीएम की साख दांव पर: अब आलम ये है कि न केवल सीएम बल्कि डिप्टी सीएम की साख दांव पर है. दोनों बड़े नेताओं के समक्ष एक नहीं अनेक चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हो गई हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का संसदीय क्षेत्र एक ही है. दोनों नेता हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से हैं.

उपचुनाव में इन सीटों पर बचानी होगी नाक: सीएम एवं डिप्टी सीएम के सामने लोकसभा चुनाव में अनुराग ठाकुर के रूप में चुनौती है. सीएम व डिप्टी सीएम को केवल लोकसभा सीट पर ही राजनीतिक चुनौती से नहीं निपटना है, बल्कि सुजानपुर, बड़सर व कुटलैहड़ व गगरेट में विधानसभा उपचुनाव में भी नाक बचानी है.

अभी बीजेपी की पलड़ा दिख रहा भारी: गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस से छह बागी नेताओं ने क्रॉस वोट की थी. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दिया. हर्ष राज्यसभा चुनाव की जंग जीत गए. भाजपा हाईकमान ने इस अहसान का बदला बागियों को गले लगाकर और उन्हें उपचुनाव में टिकट देकर चुकाने का पहला प्रयास किया. अब भाजपा का दूसरा प्रयास इन बागियों की जीत सुनिश्चित करना है. बागी नेताओं का खुद का समर्थक वोट बैंक और भाजपा के कैडर सहित पीएम मोदी के मैजिक उन्हें मजबूत करता है.

कांग्रेस के लिए बनी ये बड़ी चुनौती: अगर कांग्रेस की बात करे तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का गृह जिला हमीरपुर है. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का गृह जिला ऊना है. ये दोनों हमीरपुर संसदीय सीट के तहत आते हैं. सबसे पहले तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी को नादौन विधानसभा क्षेत्र से अच्छी-खासी लीड दिलाने का जिम्मा होगा. फिर हमीरपुर जिला की सभी सीटों से लोकसभा चुनाव में बढ़त की चुनौती होगी. यदि ऐसा नहीं हुआ तो भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिलेगा.

सीएम को इन मुद्दों से पाना होगा पार: भाजपा ये प्रचार करेगी कि सत्ता में होने के बावजूद सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने ही गृह जिला की सीटों से बढ़त नहीं दिला सके. फिर ऊना में यही चुनौती डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के समक्ष होगी. दोनों पर ये दबाव रहेगा कि वे अपने गृह जिला से लोकसभा चुनाव में बढ़त दिलाएं. उधर, अनुराग ठाकुर के साथ उनका केंद्र में कद और नरेंद्र मोदी सरकार के काम का सहारा है. साथ ही लोकसभा चुनाव में राम नाम का मैजिक भी चलेगा. राम मंदिर एक भावनात्मक मुद्दा है और कांग्रेस कई बिंदुओं पर बैकफुट पर है. सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस ने राम सेतु को लेकर हलफनामा भी दिया था. राम मंदिर निर्माण की राह में रोड़े अटकाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल से लेकर अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नेताओं ने पैरवी की थी. भाजपा इन सारे पहलुओं को भुनाएगी.

कांग्रेस के पास ओपीएस का सहारा: कांग्रेस वोटर्स को ओपीएस सहित महिलाओं को 1500 रुपये की गारंटी के बारे में बताएगी. साथ ही राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराएगी. सीएम सहित सभी कांग्रेस नेता बार-बार ये कह रहे हैं कि भाजपा ने धनबल का प्रयोग किया है. कांग्रेस कह रही है कि धनबल के सामने जनबल की जीत होगी. वहीं, राम मंदिर निर्माण को लेकर कांग्रेस का तर्क रहेगा कि राम सभी के हैं और भाजपा के पास इसका पेटैंट नहीं है.

पार्टी की हार सीएम व डिप्टी सीएम की हार: अगर बात विधानसभा उपचुनाव की करते है तो कांग्रेस ये भी कहेगी कि हमीरपुर से पार्टी ने एक नेता को सीएम बनाया है और ऊना से डिप्टी सीएम बनाया है. ऐसे में दोनों जिलों की जनता को ये सोचना चाहिए कि कांग्रेस की हार सीएम व डिप्टी सीएम की हार है. जनता को सीएम व डिप्टी सीएम के हाथ मजबूत करने चाहिए, क्योंकि ये हमीरपुर व ऊना के स्वाभिमान का सवाल है.

भाजपा के पास मनोवैज्ञानिक बढ़त: सीएम व डिप्टी सीएम के समक्ष चुनौतियों की कमी नहीं है. मौजूदा चुनौतियों की बात की जाए तो प्रत्याशी चयन में कांग्रेस पीछे है. भाजपा ने न केवल लोकसभा बल्कि विधानसभा उपचुनाव के लिए भी प्रत्याशी उतार दिए हैं. भाजपा का प्रचार अभियान गति पकड़ चुका है. कांग्रेस ने अभी पहला ही कदम नहीं उठाया है. कांग्रेस को लोकसभा व विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने हैं. यहां कांग्रेस पीछे है और भाजपा के पास मनोवैज्ञानिक बढ़त है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी हेमंत कुमार का कहना है कि चुनाव में मनोवैज्ञानिक बढ़त का अपना ही महत्व है.

सुक्खू नहीं भांप सके पार्टी नेताओं की नाराजगी: राज्यसभा चुनाव में हार कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है. ये तो अब जगजाहिर है कि कांग्रेस में असंतोष को सीएम समय रहते नहीं भांप पाए. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने भी इंटेलिजेंस फेल्योर को स्वीकार किया है. अब दोनों ही बड़े नेताओं के सामने ये चुनौती है कि इस नुकसान की भरपाई लोकसभा व विधानसभा उपचुनाव में हो जाए। यदि सीएम व डिप्टी सीएम लोकसभा चुनाव में अपने ही गृह जिला की विधानसभा सीटों पर बढ़त नहीं दिला पाए तो स्वभाविक रूप से भाजपा को उन पर हमला करने का मौका मिलेगा. साथ ही छह में से चार उपचुनाव इन दोनों नेताओं के गृह जिला में है. वहां भी साख को बचाने की चुनौती है. कुल मिलाकर ये चुनाव न केवल कांग्रेस का भविष्य तय करेंगे. सीएम व डिप्टी सीएम की साख भी दांव पर है.

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Last Updated : Apr 3, 2024, 2:34 PM IST
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