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मंडी सीट पर ठाकुर और ब्राह्मण उम्मीदवारों का रहा है दबदबा, BJP से कंगना के बाद सबकी नजर अब कांग्रेस प्रत्याशी पर टिकी - Lok Sabha Elections 2024

Mandi Lok Sabha Seat Caste Equations: मंडी लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस ने अधिकांशत: ब्राह्मण या फिर ठाकुर उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया है. ऐसे में इस बार भाजपा के बाद सबकी नजर कांग्रेस के उम्मीदवार पर टिकी है. भाजपा ने मंडी संसदीय सीट से फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत को मैदान में उतारा है. वहीं, इस सीट से कांग्रेस द्वारा मौजूदा सांसद प्रतिभा सिंह पर दांव लगाने की खबरें आ रही है. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 2, 2024, 5:42 PM IST

मंडी सीट
मंडी सीट

कुल्लू: देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है और सभी राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए तैयारी में जुट गए हैं. हिमाचल प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस मैदान में डट गए हैं. सभी संसदीय क्षेत्र में अपने-अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे जा रहे हैं. ऐसे में मंडी संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यहां पर भाजपा ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस अभी तक यहां पर अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है. ऐसे में देखना होगा कि भाजपा ने एक ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा गया है तो क्या कांग्रेस भी किसी ठाकुर का चुनाव करती है या फिर किसी अन्य को चुनावी मैदान में उतारा जाता है?

ठाकुर और ब्राह्मण उम्मीदवार पर दांव: 6 जिलों में फैले मंडी संसदीय क्षेत्र में अभी तक दोनों ही दलों ने ठाकुर और ब्राह्मण जाति के उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया है. हालांकि, यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाता काफी अधिक है. लेकिन उसके बावजूद भी कांग्रेस और भाजपा द्वारा मंडी संसदीय क्षेत्र से ब्राह्मण या ठाकुर जाति के लोगों को ही चुनावी मैदान में उतारा जाता है. मंडी संसदीय क्षेत्र की बात करें तो इसमें जिला कुल्लू, लाहौल स्पीति, मंडी, शिमला जिला का रामपुर, जिला किन्नौर, चंबा जिला का पांगी क्षेत्र आता है. मौजूदा दौर में भाजपा के 12 और कांग्रेस के 5 विधायक इन क्षेत्रों से चुने गए हैं. कांग्रेस की प्रदेश में सरकार है और इस सीट को जीतने के लिए पूरा प्रयास करेगी.

कई दशकों तक मंडी रहा कांग्रेस का गढ़: हालांकि मंडी संसदीय क्षेत्र कई दशकों तक कांग्रेस का गढ़ रहा है. लेकिन हाल ही के चुनावों में मंडी जिला से जयराम ठाकुर और अन्य भाजपा नेताओं के प्रयासों से इस विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बीजेपी की पैठ बढ़ती जा रही है. साल 2014 लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा था. वहीं भाजपा ने इस सीट पर ब्राह्मण कार्ड खेल कर रामस्वरूप को चुनावी मैदान में उतारा था और भाजपा की जीत हुई थी. वही मंडी संसदीय सीट पर स्वर्गीय पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम तीन बार सांसद रहे हैं. स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा दो बार सांसद रहे थे.

मंडी संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा सीट: साल 2019 में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही इस सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी को मैदान में उतारा था. जिसमें भाजपा से रामस्वरूप शर्मा ने जीत हासिल की थी. मौजूदा सांसद प्रतिभा सिंह की अगर बात करें तो उन्होंने साल 2004, 2013 और 2021 में लोकसभा चुनाव जीता है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी साल 1971, 1980 और 2009 में मंडी से सांसद बने थे. मंडी संसदीय सीट के खासियत यह भी है कि इसके 17 विधानसभा सीटों में 8 सीट एसी और एसटी के लिए आरक्षित है. इन सीटों में बल्ह, नाचन, करसोग, आनी व रामपुर एससी और किन्नौर, लाहौल स्पीति तथा भरमौर एसटी के लिए आरक्षित है.

मंडी लोकसभा सीट पर 13.59 लाख मतदाता: मंडी संसदीय क्षेत्र में अगर कुल मतदाताओं की बात करें तो यहां पर 13 लाख 59 हजार मतदाता है. जिनमे 6 लाख 90 हजार पुरुष और 6 लाख 68 हजार महिलाएं शामिल हैं. जातीय समीकरण की अगर बात करे तो अनुसूचित जाति के यहां पर 29.85 प्रतिशत वोट है. जबकि ब्राह्मण वोट 21.4 प्रतिशत है. ठाकुर जाति के वोट यहां पर 33.6 फ़ीसदी है. जबकी अन्य मतदाता भी संसदीय क्षेत्र में शामिल है. इस सीट पर सिर्फ एक बार अनुसूचित जाति के सांसद को चुना गया है. साल 1952 के आम चुनाव में गोपी राम अनुसूचित जाति से पहली बार सांसद चुने गए थे. हालांकि, कांग्रेस पार्टी द्वारा अभी तक अपने प्रत्याशी को लेकर कोई पत्ता नहीं खोला गया है. हालांकि बताया जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से प्रतिभा ठाकुर को एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. आने वाले दिनों में यह बात पूरी तरह से साफ हो जाएगी.

वहीं, राजनीतिक मामलों के जानकारी बलदेव राज और रोशन ठाकुर का कहना है कि मंडी संसदीय क्षेत्र में प्रत्याशियों के चयन में जातीय समीकरण काफी महत्व रखते हैं. इसी कारण से दोनों ही दलों द्वारा अब तक ब्राह्मण और ठाकुर जाति के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा गया है. लेकिन अगर अबकी बार दोनों ही दलों द्वारा जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए अन्य उम्मीदवारों को भी चुनावी मैदान में उतारा जाता तो इससे अब नए समीकरण भी इस क्षेत्र में देखने को मिल सकते थे. अब देखना यह होगा कि कांग्रेस पार्टी किसे अपना उम्मीदवार बनाकर चुनावी मैदान में उतारती है.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस कर रही मेरे बारे में दुष्प्रचार, सेवक की तरह करूंगी मंडी की सेवा: कंगना रनौत

कुल्लू: देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है और सभी राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए तैयारी में जुट गए हैं. हिमाचल प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस मैदान में डट गए हैं. सभी संसदीय क्षेत्र में अपने-अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे जा रहे हैं. ऐसे में मंडी संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यहां पर भाजपा ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस अभी तक यहां पर अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है. ऐसे में देखना होगा कि भाजपा ने एक ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा गया है तो क्या कांग्रेस भी किसी ठाकुर का चुनाव करती है या फिर किसी अन्य को चुनावी मैदान में उतारा जाता है?

ठाकुर और ब्राह्मण उम्मीदवार पर दांव: 6 जिलों में फैले मंडी संसदीय क्षेत्र में अभी तक दोनों ही दलों ने ठाकुर और ब्राह्मण जाति के उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया है. हालांकि, यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाता काफी अधिक है. लेकिन उसके बावजूद भी कांग्रेस और भाजपा द्वारा मंडी संसदीय क्षेत्र से ब्राह्मण या ठाकुर जाति के लोगों को ही चुनावी मैदान में उतारा जाता है. मंडी संसदीय क्षेत्र की बात करें तो इसमें जिला कुल्लू, लाहौल स्पीति, मंडी, शिमला जिला का रामपुर, जिला किन्नौर, चंबा जिला का पांगी क्षेत्र आता है. मौजूदा दौर में भाजपा के 12 और कांग्रेस के 5 विधायक इन क्षेत्रों से चुने गए हैं. कांग्रेस की प्रदेश में सरकार है और इस सीट को जीतने के लिए पूरा प्रयास करेगी.

कई दशकों तक मंडी रहा कांग्रेस का गढ़: हालांकि मंडी संसदीय क्षेत्र कई दशकों तक कांग्रेस का गढ़ रहा है. लेकिन हाल ही के चुनावों में मंडी जिला से जयराम ठाकुर और अन्य भाजपा नेताओं के प्रयासों से इस विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बीजेपी की पैठ बढ़ती जा रही है. साल 2014 लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा था. वहीं भाजपा ने इस सीट पर ब्राह्मण कार्ड खेल कर रामस्वरूप को चुनावी मैदान में उतारा था और भाजपा की जीत हुई थी. वही मंडी संसदीय सीट पर स्वर्गीय पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम तीन बार सांसद रहे हैं. स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा दो बार सांसद रहे थे.

मंडी संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा सीट: साल 2019 में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही इस सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी को मैदान में उतारा था. जिसमें भाजपा से रामस्वरूप शर्मा ने जीत हासिल की थी. मौजूदा सांसद प्रतिभा सिंह की अगर बात करें तो उन्होंने साल 2004, 2013 और 2021 में लोकसभा चुनाव जीता है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी साल 1971, 1980 और 2009 में मंडी से सांसद बने थे. मंडी संसदीय सीट के खासियत यह भी है कि इसके 17 विधानसभा सीटों में 8 सीट एसी और एसटी के लिए आरक्षित है. इन सीटों में बल्ह, नाचन, करसोग, आनी व रामपुर एससी और किन्नौर, लाहौल स्पीति तथा भरमौर एसटी के लिए आरक्षित है.

मंडी लोकसभा सीट पर 13.59 लाख मतदाता: मंडी संसदीय क्षेत्र में अगर कुल मतदाताओं की बात करें तो यहां पर 13 लाख 59 हजार मतदाता है. जिनमे 6 लाख 90 हजार पुरुष और 6 लाख 68 हजार महिलाएं शामिल हैं. जातीय समीकरण की अगर बात करे तो अनुसूचित जाति के यहां पर 29.85 प्रतिशत वोट है. जबकि ब्राह्मण वोट 21.4 प्रतिशत है. ठाकुर जाति के वोट यहां पर 33.6 फ़ीसदी है. जबकी अन्य मतदाता भी संसदीय क्षेत्र में शामिल है. इस सीट पर सिर्फ एक बार अनुसूचित जाति के सांसद को चुना गया है. साल 1952 के आम चुनाव में गोपी राम अनुसूचित जाति से पहली बार सांसद चुने गए थे. हालांकि, कांग्रेस पार्टी द्वारा अभी तक अपने प्रत्याशी को लेकर कोई पत्ता नहीं खोला गया है. हालांकि बताया जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से प्रतिभा ठाकुर को एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. आने वाले दिनों में यह बात पूरी तरह से साफ हो जाएगी.

वहीं, राजनीतिक मामलों के जानकारी बलदेव राज और रोशन ठाकुर का कहना है कि मंडी संसदीय क्षेत्र में प्रत्याशियों के चयन में जातीय समीकरण काफी महत्व रखते हैं. इसी कारण से दोनों ही दलों द्वारा अब तक ब्राह्मण और ठाकुर जाति के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा गया है. लेकिन अगर अबकी बार दोनों ही दलों द्वारा जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए अन्य उम्मीदवारों को भी चुनावी मैदान में उतारा जाता तो इससे अब नए समीकरण भी इस क्षेत्र में देखने को मिल सकते थे. अब देखना यह होगा कि कांग्रेस पार्टी किसे अपना उम्मीदवार बनाकर चुनावी मैदान में उतारती है.

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