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हिमाचल विधानसभा में मानसून सत्र का आज आखरी दिन, प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चल रही चर्चा का जवाब देंगे सीएम सुक्खू - Himachal Monsoon Session 2024

Himachal Assembly Monsoon Session 2024: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का आज 11वां और अंतिम दिन है. आज सुबह 11 बजे से सदन की कार्यवाही शुरू होगी. आज सदन में सीएम सुक्खू वित्तीय स्थिति पर चल रही चर्चा के बारे में जवाब देंगे. जिसके बाद मानसून सत्र की कार्यवाही समाप्त हो जाएगी.

Himachal Assembly Monsoon Session 2024
हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र 2024 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 10, 2024, 9:14 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सेशन का आज मंगलवार को 11 वां दिन है. 27 अगस्त से 10 सितंबर तक चलने वाले मानसून सत्र में आज सदन की कार्यवाही दोपहर बाद पूर्वाह्न 11 बजे से शुरू होगी और आज विधानसभा का मानसून सत्र समाप्त हो जाएगा. आज सदन में प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चल रही चर्चा में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जवाब देंगे. इसके अलावा कागजात भी सभा पटल पर रखे जाएंगे. वहीं, सदन में आज 50 सवाल लिस्टेड हैं.

मुख्यमंत्री से उत्तर के बाद समाप्त होगी वित्तीय चर्चा

हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में सदन में चल रही वित्तीय स्थिति पर आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू उत्तर देंगे. जिसके बाद चर्चा समाप्त हो जाएगी. सदन में नियम 130 के तहत भवानी सिंह, चंद्रशेखर व केवल सिंह की ओर से वित्तीय स्थिति पर लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है. जिस पर भवानी सिंह पठानिया ने कल सदन में कहा कि लोगों को सुविधा देने के लिए हर सरकार ने प्रयास किया है. प्रत्येक सरकार ने सुविधाएं देने की कोशिश की. हमने संस्थान खोले, एजुकेशन के लिए स्कूल और कॉलेज खोले, यूनिवर्सिटीज बनाई, हॉस्पिटल, सिविल हॉस्पिटल और डिस्पेंसरी खोलीं. पशु-औषधालय बनाएं. विभिन्न दफ्तर खोले. हर सहूलियत को जनता की तरफ ले जाने की कोशिश की. ये सारी सहूलियतें पहुंचाते-पहुंचाते वेलफेयर स्टेट का जो हमारा एक औचित्य होता है, हमने वह भी करने की कोशिश की. हमने मुफ्त राशन तक दिया.

भवानी सिंह पठानिया ने कहा, "पिछली सरकार ने जाने से पहले मुफ्त बिजली भी दी, मुफ्त पानी भी दिया और यह सब हमने प्रदेश हित के लिए किया, लेकिन एक बहुत बड़ी विडंबना ये है कि वर्ष 1985 के बाद से यह सब करने के बावजूद कोई भी सरकार वापिस पावर में नहीं आई. यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है और प्रश्न यह है कि हम जो सोचते हैं कि ये जनता की जरूरत है, क्या वह असलियत में जनता की जरूरत है या नहीं है? 75 लाख की जो हमारी हिमाचल प्रदेश की आबादी है, वो जनमानस सोचता क्या है, उनकी असली जरूरतें क्या हैं या उनकी असली आकांक्षाएं/अपेक्षाएं क्या हैं, वह समझना बहुत जरूरी है."

विधायक भवानी सिंह पठानिया ने कहा कि सभी सरकारों ने वो करने की कोशिश की जो हमें लगा कि जनता के लिए ये ठीक है. हमने मुफ्त राशन, बिजली, पानी, शिक्षा और हेल्थकेयर दी. सबकुछ मुफ्त दिया, लेकिन उसके बाद भी शायद जनता को ये सारे स्टेप्स रास नहीं आए. इसके पीछे की वजह को जानने की आज हमें बहुत जरूरत है. उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए कहा, "लोगों को मुफ्त का पानी, बिजली और उनको मुफ्त का राशन नहीं चाहिए. उनको जगह-जगह पर ऐसी डिस्पेंसरियां नहीं चाहिए, जहां नर्स तक नहीं होती है. वे हमसे क्वालिटी हेल्थकेयर मांग रहे हैं, वे क्वालिटी इलेक्ट्रिसिटी मांग रहे हैं, वे क्वालिटी ऑफ वाटर, क्वालिटी ऑफ रोड मांग रहे हैं. ये क्वालिटी देने के लिए हमें पूरे के पूरे ट्रांसफॉर्मेशन की जरूरत है. जिसको आपने व्यवस्था परिवर्तन के नाम से ऑलरेडी स्टार्ट कर दिया है."

सुक्खू सरकार को ठहराया जिम्मेदार

चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने राज्य की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि इस आर्थिक संकट के समाधान की जिम्मेदारी भी सरकार की है. प्रदेश की वित्तीय स्थिति हालत ये है कि विकास के लिए सिर्फ 28 फीसदी बजट ही रह गया है. वहीं, पूर्व भाजपा की सरकार में 2017-18 में यह 39.56 फीसदी था. उन्होंने कहा कि आज बजट का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा सिर्फ कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च हो रहा है. भाजपा सरकार में वर्ष 2017-18 में ये सिर्फ 27 फीसदी था. उन्होंने कहा कि खस्ताहाल वित्तीय स्थिति और राज्य के कर्ज के बोझ तले दब जाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार है. इसकी शुरुआत 1993 में तब हुई, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बिना किसी जरूरत के बिजली बोर्ड और वन निगम के नाम पर हजारों करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में जब भाजपा सत्ता में आई तो उसे 48 हजार करोड़ रुपए का ऋण विरासत में मिला.

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शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सेशन का आज मंगलवार को 11 वां दिन है. 27 अगस्त से 10 सितंबर तक चलने वाले मानसून सत्र में आज सदन की कार्यवाही दोपहर बाद पूर्वाह्न 11 बजे से शुरू होगी और आज विधानसभा का मानसून सत्र समाप्त हो जाएगा. आज सदन में प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चल रही चर्चा में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जवाब देंगे. इसके अलावा कागजात भी सभा पटल पर रखे जाएंगे. वहीं, सदन में आज 50 सवाल लिस्टेड हैं.

मुख्यमंत्री से उत्तर के बाद समाप्त होगी वित्तीय चर्चा

हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में सदन में चल रही वित्तीय स्थिति पर आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू उत्तर देंगे. जिसके बाद चर्चा समाप्त हो जाएगी. सदन में नियम 130 के तहत भवानी सिंह, चंद्रशेखर व केवल सिंह की ओर से वित्तीय स्थिति पर लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है. जिस पर भवानी सिंह पठानिया ने कल सदन में कहा कि लोगों को सुविधा देने के लिए हर सरकार ने प्रयास किया है. प्रत्येक सरकार ने सुविधाएं देने की कोशिश की. हमने संस्थान खोले, एजुकेशन के लिए स्कूल और कॉलेज खोले, यूनिवर्सिटीज बनाई, हॉस्पिटल, सिविल हॉस्पिटल और डिस्पेंसरी खोलीं. पशु-औषधालय बनाएं. विभिन्न दफ्तर खोले. हर सहूलियत को जनता की तरफ ले जाने की कोशिश की. ये सारी सहूलियतें पहुंचाते-पहुंचाते वेलफेयर स्टेट का जो हमारा एक औचित्य होता है, हमने वह भी करने की कोशिश की. हमने मुफ्त राशन तक दिया.

भवानी सिंह पठानिया ने कहा, "पिछली सरकार ने जाने से पहले मुफ्त बिजली भी दी, मुफ्त पानी भी दिया और यह सब हमने प्रदेश हित के लिए किया, लेकिन एक बहुत बड़ी विडंबना ये है कि वर्ष 1985 के बाद से यह सब करने के बावजूद कोई भी सरकार वापिस पावर में नहीं आई. यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है और प्रश्न यह है कि हम जो सोचते हैं कि ये जनता की जरूरत है, क्या वह असलियत में जनता की जरूरत है या नहीं है? 75 लाख की जो हमारी हिमाचल प्रदेश की आबादी है, वो जनमानस सोचता क्या है, उनकी असली जरूरतें क्या हैं या उनकी असली आकांक्षाएं/अपेक्षाएं क्या हैं, वह समझना बहुत जरूरी है."

विधायक भवानी सिंह पठानिया ने कहा कि सभी सरकारों ने वो करने की कोशिश की जो हमें लगा कि जनता के लिए ये ठीक है. हमने मुफ्त राशन, बिजली, पानी, शिक्षा और हेल्थकेयर दी. सबकुछ मुफ्त दिया, लेकिन उसके बाद भी शायद जनता को ये सारे स्टेप्स रास नहीं आए. इसके पीछे की वजह को जानने की आज हमें बहुत जरूरत है. उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए कहा, "लोगों को मुफ्त का पानी, बिजली और उनको मुफ्त का राशन नहीं चाहिए. उनको जगह-जगह पर ऐसी डिस्पेंसरियां नहीं चाहिए, जहां नर्स तक नहीं होती है. वे हमसे क्वालिटी हेल्थकेयर मांग रहे हैं, वे क्वालिटी इलेक्ट्रिसिटी मांग रहे हैं, वे क्वालिटी ऑफ वाटर, क्वालिटी ऑफ रोड मांग रहे हैं. ये क्वालिटी देने के लिए हमें पूरे के पूरे ट्रांसफॉर्मेशन की जरूरत है. जिसको आपने व्यवस्था परिवर्तन के नाम से ऑलरेडी स्टार्ट कर दिया है."

सुक्खू सरकार को ठहराया जिम्मेदार

चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने राज्य की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि इस आर्थिक संकट के समाधान की जिम्मेदारी भी सरकार की है. प्रदेश की वित्तीय स्थिति हालत ये है कि विकास के लिए सिर्फ 28 फीसदी बजट ही रह गया है. वहीं, पूर्व भाजपा की सरकार में 2017-18 में यह 39.56 फीसदी था. उन्होंने कहा कि आज बजट का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा सिर्फ कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च हो रहा है. भाजपा सरकार में वर्ष 2017-18 में ये सिर्फ 27 फीसदी था. उन्होंने कहा कि खस्ताहाल वित्तीय स्थिति और राज्य के कर्ज के बोझ तले दब जाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार है. इसकी शुरुआत 1993 में तब हुई, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बिना किसी जरूरत के बिजली बोर्ड और वन निगम के नाम पर हजारों करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में जब भाजपा सत्ता में आई तो उसे 48 हजार करोड़ रुपए का ऋण विरासत में मिला.

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