लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं, जो सरकार के लिए चिंता का सबब बन रहे हैं. रोड सेफ्टी को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार काफी गंभीर है. इसलिए प्रदेश के सभी जिलों में एक-एक एआरटीओ रोड सेफ्टी की तैनाती की जा रही है. हाल ही में 50 आरटीओ रोड सेफ्टी के पदों पर मुहर भी लग चुकी है. यह फाइल अपर मुख्य सचिव (वित्त) के यहां लंबित है. पहले चरण में 43 जनपदों में एआरटीओ रोड सेफ्टी की तैनाती की तैयारी शुरू हो गई है. यह ऐसे जनपद हैं जहां पर पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. यहां पर इन अधिकारियों की तैनाती के बाद सभी 75 जिलों में एआरटीओ सड़क सुरक्षा की तैनाती होगी. इस वित्तीय वर्ष में हर हाल में सभी जगह यह तैनाती होनी है.
अपर परिवहन आयुक्त (प्रशासन) चित्रलेखा सिंह की तरफ से शासन को प्रदेश के 43 जनपदों में जहां पिछले तीन वर्षों में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुई है और लोगों की मौतें हुई हैं, उनका आंकड़ा भेजा गया है. इन सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 800 से ज्यादा है. पिछले तीन वर्षों के सड़क दुर्घटनाओं का औसत निकाला जाए तो प्रदेश में तीन वर्ष में घटित कुल सड़क दुर्घटनाएं 1,24,009 के सापेक्ष औसत दुर्घटनाएं 41,336 होती हैं. जो उन दुर्घटनाओं का 33.33 फीसद हैं, जबकि तीन वर्ष के सड़क दुर्घटनाओं के औसत के आधार पर मृतकों की संख्या का आंकलन किया जाए तो यह 67,474 है जो तीन साल की सड़क दुर्घटनाओं के औसत 41,336 के सापेक्ष 163.23 प्रतिशत है. सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या 67,474 है जिनमें 43 जनपद में औसत 800 से अधिक है. इनका प्रतिशत 73.72 है.
एआरटीओ रोड सेफ्टी का ये होगा कामः बता दें कि एआरटीओ रोड सेफ्टी का काम सड़क हादसों को रोकने के लिए प्लान बनाना, उनकी मॉनिटरिंग करना और लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई करना होगा. इसके साथ ही चेकिंग अभियान चलाएंगे और सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में हिस्सा लेंगे. जिलों में पहले से ही आरटीओ प्रवर्तन और एआरटीओ प्रवर्तन के साथ पीटीओ के दल भी तैनात रहेंगे. एआरटीओ रोड सेफ्टी को एआरटीओ प्रशासन और एआरटीओ प्रवर्तन की तरह ही सभी सुविधाएं मिलेंगी.
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