जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी भर्तियों में अभ्यर्थियों के अलग-अलग तथ्यात्मक मुद्दों के निस्तारण के लिए अलग से शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनाए जाने की मंशा जताई है. अदालत ने कहा कि क्यों न हाईकोर्ट में याचिका दायर करने से पहले इस प्रकोष्ठ में मामला पेश किया जाए और यहां अपीलीय अधिकारी स्तर पर मुद्दों को तय किया जाए. इसके बाद भी यदि अभ्यर्थी संतुष्ट न हो तो फिर हाईकोर्ट में याचिका पेश की जाए. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से भर्तियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों के निस्तारण के लिए कोई आयोग या कमेटी नहीं है. ऐसे में सीधे हाईकोर्ट आने से अदालत पर भी केसों का भार बढ़ रहा है.
अदालत ने 22 नवंबर को प्रमुख चिकित्सा सचिव को भी इस संबंध में पक्ष रखने को कहा है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश एएनएम भर्ती से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर दायर ज्योति कुमारी मीना व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि एएनएम भर्ती में भी कई बिन्दुओं पर अलग-अलग याचिकाएं दायर हुई हैं. यह सभी याचिकाएं तथ्य आधारित हैं और इन सभी में एक साथ सुनवाई किया जाना मुश्किल है. इसलिए राज्य सरकार भर्तियों से जुड़े इन सभी तथ्यों के लिए एक आयोग या कमेटी बनाए, ताकि वह पता कर सके कि अभ्यर्थियों को नियुक्ति किन कारणों से नहीं दी जा रही.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता रामप्रताप सैनी और तनवीर अहमद ने कहा कि वर्तमान में गृह विभाग, चिकित्सा विभाग व शिक्षा विभाग से जुड़ी भर्तियों के ही सर्वाधिक मामले हाईकोर्ट में आते हैं. इन भर्तियों से जुड़े विभागों के लिए भी दिशा-निर्देश दिए जाए. दूसरी ओर डेंटल ऑफिसर भर्ती-2024 के विवादित प्रश्न-उत्तर मामले में हाईकोर्ट में सभी पक्षों की बहस पूरी हो गई. अदालत ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.