प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और एसएसपी सहारनपुर को 27 जनवरी को तलब किया है. कोर्ट ने इस मामले में दोनों अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए व्यक्तिगत हलफनामा मांगते हुए पूछा है कि क्यों न उन पर सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के आदेश न मानने के लिए अवमानना की कार्रवाई की जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने देहरादून निवासी अलका सेठी की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता अवनीश त्रिपाठी एवं डॉ. आस्था मिश्रा को सुनकर दिया है.
मामले के तथ्यों के अनुसार ध्रुव सेठी एवं उनकी पत्नी अलका सेठी ने सहारनपुर में एक ज़मीन खरीदी थी. लेकिन स्थानीय भू माफिया एवं रेवेन्यू व पुलिस के अधिकारियों की मदद से उनकी ज़मीन कब्जा करना शुरू कर दिया. जब उन्होंने इस बात के लिए दो एफआईआर दर्ज कराई एवं मुख्य मंत्री पोर्टल पर भी दो बार शिकायत, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके उलट माफिया ने पुलिस से सांठगांठ कर उल्टा उनके ही ख़िलाफ़ एससी/एसटी एक्ट और आईपीसी की गंभीर धारा में एफआईआर दर्ज करा दी और पुलिस ने इनके खिलाफ चार्जशीट भी लगा दी.
इस चार्जशीट को दंपती ने हाईकोर्ट में उच्च न्यायालय में चुनौती दी. जिसमें उच्च न्यायालय ने न सिर्फ उक्त चार्जशीट को निरस्त कर दिया, बल्कि सहारनपुर में चल रहे भूमाफिया की अधिकारियों से सांठगांठ पर भी कड़ी टिप्पणी करते हुए डीजीपी को दंपती की ओर से दर्ज दोनों एफआईआर एवं आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज शिकायत को चार महीने में एसएसपी सहारनपुर से जांच करा रिपोर्ट पूरी करने का आदेश दिया. इसके बाद छह माह बीत जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. उल्टा भू माफिया और सरकारी लेखपाल ने मिलकर दंपती का घर बुलडोजर से गिरा दिया.
इसकी शिकायत दंपती ने एसओ बिहारीगढ़ से की लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर डीजीपी से भी शिकायत की, यहां भी कोई राहत नहीं मिली. लेखपाल ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा. इसके बाद भी दंपती का घर गिरा दिया गया. इस घटना के कारण अलका सेठी के गर्भ में ही बच्चे की मौत हो गई.
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