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सरकार के बुलडोजर कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक - high court stays on demolish house - HIGH COURT STAYS ON DEMOLISH HOUSE

डीग जिले में हाईकोर्ट ने एक घर को तोड़ने पर अंतरिम रोक लगा दी है. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि प्रशासन उसके घर को साइबर अपराध से अर्जित धन से बनाया हुआ बता रहा है, जबकि न तो उनके खिलाफ कोई आपराधिक प्रकरण लंबित है और ना ही उनका मकान पोखर या अन्य भूमि पर बना हुआ है.

high court stays on demolish house
राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर (photo etv bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 10, 2024, 9:16 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर साइबर अपराध से धन अर्जित करने का आरोप लगाकर उसके घर को तोड़ने की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव, डीजीपी, डीग कलेक्टर और एसपी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस अनिल उपमन की एकलपीठ ने यह आदेश इरशाद व अन्य की याचिकाओं पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिकाओं में वरिष्ठ अधिवक्ता नासिर अली नकवी ने अदालत को बताया कि एक याचिकाकर्ता के पिता ने वर्ष 2005 में जमीन खरीदी थी. इसके बाद जमीन पर घर बनाकर याचिकाकर्ता और उसका परिवार निवास करता आ रहा है. वहीं, दूसरे याचिकाकर्ता ने आवासीय प्लॉट पर मकान बनाया है. याचिका में कहा गया कि गत 22 जून को नगर के सर्किल ऑफिसर ने संबंधित एसडीएम को पत्र लिखा. इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता ने पोखर भूमि में मकान बनाया है और इसे बनाने में साइबर अपराध से अर्जित धन राशि काम में ली गई है.

ऐसे में मकान को ध्वस्त किया जाए, जबकि इससे पूर्व याचिकाकर्ता को विधिक प्रावधानों के तहत नोटिस नहीं दिया गया. इसके अलावा याचिकाकर्ता के साथ-साथ उसका परिवार भी घर में रहता है. याचिकाकर्ताओं पर वर्तमान में कोई आपराधिक प्रकरण भी लंबित नहीं है. जमीन की जमाबंदी से साबित है कि याचिकाकर्ता ने पोखर की जमीन पर मकान नहीं बनाया है. ऐसे में उनके घरों को तोड़ने के लिए की जा रही कार्रवाई को रद्द किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं के घरों को तोड़ने पर अंतरिम रोक लगा दी.

पढ़ें: बाबा रामदेव को एक और झटका, पतंजलि पर 50 लाख का जुर्माना, कपूर बेचने का मामला

हाईकोर्ट ने एक माह में ही एफएसएल रिपोर्ट आने पर जताया आश्चर्य: एक अन्य मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के प्रयास और धमकाने से जुड़े मामले में एक माह में ही एफएसएल रिपोर्ट आने पर आश्चर्य जताया है. अदालत ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि इस केस में एफएसएल रिपोर्ट जल्दी कैसे आई और अन्य केसों में तो मंगाने पर भी नहीं आती. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए एफएसएल निदेशक अजय शर्मा को 16 जुलाई को अदालत में हाजिर होने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस जीआर मीना ने यह आदेश तेजेन्द्र व अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई टालते हुए दिया.

यह भी पढ़ें: चिरंजीवी योजना की आय बंद होने के आधार पर सेवा से हटाने के आदेश पर रोक

सुनवाई के दौरान आरोपियों के अधिवक्ता पंकज गुप्ता ने अदालत को बताया कि यह मामला फर्जी है. मामले में ना तो बंदूक रिकवर हुई है और ना ही गोली. वहीं मामले में एफएसएल रिपोर्ट आ गई है, इसलिए आरोपियों को जमानत का लाभ दिया जाए. इसके विरोध में अधिवक्ता पवन शर्मा ने कहा कि क्या सभी केस में एफएसएल रिपोर्ट इतनी जल्दी आती है. कई बार तो एफएसएल रिपोर्ट केस की ट्रायल खत्म होने के बाद आती है, लेकिन इस केस में बिना मंगाए ही आ गई है. इस पर अदालत ने एफएसएल रिपोर्ट इस मामले में जल्दी व अन्य प्रकरणों में देरी से पेश करने के संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर साइबर अपराध से धन अर्जित करने का आरोप लगाकर उसके घर को तोड़ने की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव, डीजीपी, डीग कलेक्टर और एसपी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस अनिल उपमन की एकलपीठ ने यह आदेश इरशाद व अन्य की याचिकाओं पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिकाओं में वरिष्ठ अधिवक्ता नासिर अली नकवी ने अदालत को बताया कि एक याचिकाकर्ता के पिता ने वर्ष 2005 में जमीन खरीदी थी. इसके बाद जमीन पर घर बनाकर याचिकाकर्ता और उसका परिवार निवास करता आ रहा है. वहीं, दूसरे याचिकाकर्ता ने आवासीय प्लॉट पर मकान बनाया है. याचिका में कहा गया कि गत 22 जून को नगर के सर्किल ऑफिसर ने संबंधित एसडीएम को पत्र लिखा. इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता ने पोखर भूमि में मकान बनाया है और इसे बनाने में साइबर अपराध से अर्जित धन राशि काम में ली गई है.

ऐसे में मकान को ध्वस्त किया जाए, जबकि इससे पूर्व याचिकाकर्ता को विधिक प्रावधानों के तहत नोटिस नहीं दिया गया. इसके अलावा याचिकाकर्ता के साथ-साथ उसका परिवार भी घर में रहता है. याचिकाकर्ताओं पर वर्तमान में कोई आपराधिक प्रकरण भी लंबित नहीं है. जमीन की जमाबंदी से साबित है कि याचिकाकर्ता ने पोखर की जमीन पर मकान नहीं बनाया है. ऐसे में उनके घरों को तोड़ने के लिए की जा रही कार्रवाई को रद्द किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं के घरों को तोड़ने पर अंतरिम रोक लगा दी.

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हाईकोर्ट ने एक माह में ही एफएसएल रिपोर्ट आने पर जताया आश्चर्य: एक अन्य मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के प्रयास और धमकाने से जुड़े मामले में एक माह में ही एफएसएल रिपोर्ट आने पर आश्चर्य जताया है. अदालत ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि इस केस में एफएसएल रिपोर्ट जल्दी कैसे आई और अन्य केसों में तो मंगाने पर भी नहीं आती. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए एफएसएल निदेशक अजय शर्मा को 16 जुलाई को अदालत में हाजिर होने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस जीआर मीना ने यह आदेश तेजेन्द्र व अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई टालते हुए दिया.

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सुनवाई के दौरान आरोपियों के अधिवक्ता पंकज गुप्ता ने अदालत को बताया कि यह मामला फर्जी है. मामले में ना तो बंदूक रिकवर हुई है और ना ही गोली. वहीं मामले में एफएसएल रिपोर्ट आ गई है, इसलिए आरोपियों को जमानत का लाभ दिया जाए. इसके विरोध में अधिवक्ता पवन शर्मा ने कहा कि क्या सभी केस में एफएसएल रिपोर्ट इतनी जल्दी आती है. कई बार तो एफएसएल रिपोर्ट केस की ट्रायल खत्म होने के बाद आती है, लेकिन इस केस में बिना मंगाए ही आ गई है. इस पर अदालत ने एफएसएल रिपोर्ट इस मामले में जल्दी व अन्य प्रकरणों में देरी से पेश करने के संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है.

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