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HC ने बाढ़ राहत कार्य और नदियों के चैनलाइजेशन मामले में सरकार से मांगा जवाब, पढ़ें पूरी खबर - Flood relief work in Uttarakhand - FLOOD RELIEF WORK IN UTTARAKHAND

Uttarakhand Flood Relief Work उत्तराखंड हाईकोर्ट में बाढ़ राहत कार्य और नदियों के चैनलाइजेशन करने मामले में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार को दो सप्ताह के भीतर  स्थिति से स्पष्ट कराने को कहा है.

uttarakhand high court
उत्तराखंड हाईकोर्ट (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 2, 2024, 3:46 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नंधौर नदी सहित प्रदेश की अन्य नदियों का चैनलाइजेशन, बाढ़ राहत के कार्य व नदियों से मलबा नहीं हटाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में दो सप्ताह के भीतर स्थिति से स्पष्ट कराने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई जुलाई अंतिम सप्ताह की तिथि नियत की है.

सुनवाई पर याचिकाकर्ता ने कहा कि पूर्व के आदेश पर राज्य सरकार ने अभी तक अपना शपथ पत्र पेश नहीं किया. राज्य सरकार पिछले एक साल से शपथ पत्र पेश करने के लिए समय मांग रही है. जो अभी तक पेश नहीं किया,जबकि मानसून सत्र शुरू हो चुका है. पहली बारिश में ही नंधौर नदी में आई बाढ़ ने भूकटाव शुरू कर दिया है. कभी भी बाढ़ आबादी क्षेत्र में आ सकती है. जो भूकटाव हुआ है, उनके भी फोटोग्राफ कोर्ट में पेश किए. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से स्थिति से अवगत कराने को कहा.

मामले के अनुसार समाजसेवी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नंधौर नदी समेत गौला, कोसी, गंगा, दाबका नदी में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण उनका अभी तक चैनलाइजेशन नहीं करने के कारण अबादी क्षेत्रों में जल भराव, भूकटाव हो रहा है. माननीय उच्च न्यायालय के पूर्व के आदेशों का अनुपालन भी नहीं किया गया. जबकि दायर जनहित याचिका में कहा है कि 15 जून के बाद मानसून सत्र शुरू हो गया है, लिहाजा पूर्व के आदेशों का पालन शीघ्र कराया जाए.

ताकि पूर्व में आई आपदा जैसी घटना फिर से न घटित हो. विगत वर्ष नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह गई थी. नदियों का चैनलाइज नहीं करने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया था. जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर,रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी. बाढ़ से कई पुल बह गए थे. आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही रही. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर, मिलबा को नहीं हटाया गया. मामले की पैरवी उनके द्वारा स्वयं की गई.

पढ़ें-सिंचाई शोध संस्थान रुड़की के आवासीय भवनों को आवांटित करने का मामला, नियमों को कोर्ट में पेश करेगी सरकार

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नंधौर नदी सहित प्रदेश की अन्य नदियों का चैनलाइजेशन, बाढ़ राहत के कार्य व नदियों से मलबा नहीं हटाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में दो सप्ताह के भीतर स्थिति से स्पष्ट कराने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई जुलाई अंतिम सप्ताह की तिथि नियत की है.

सुनवाई पर याचिकाकर्ता ने कहा कि पूर्व के आदेश पर राज्य सरकार ने अभी तक अपना शपथ पत्र पेश नहीं किया. राज्य सरकार पिछले एक साल से शपथ पत्र पेश करने के लिए समय मांग रही है. जो अभी तक पेश नहीं किया,जबकि मानसून सत्र शुरू हो चुका है. पहली बारिश में ही नंधौर नदी में आई बाढ़ ने भूकटाव शुरू कर दिया है. कभी भी बाढ़ आबादी क्षेत्र में आ सकती है. जो भूकटाव हुआ है, उनके भी फोटोग्राफ कोर्ट में पेश किए. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से स्थिति से अवगत कराने को कहा.

मामले के अनुसार समाजसेवी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नंधौर नदी समेत गौला, कोसी, गंगा, दाबका नदी में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण उनका अभी तक चैनलाइजेशन नहीं करने के कारण अबादी क्षेत्रों में जल भराव, भूकटाव हो रहा है. माननीय उच्च न्यायालय के पूर्व के आदेशों का अनुपालन भी नहीं किया गया. जबकि दायर जनहित याचिका में कहा है कि 15 जून के बाद मानसून सत्र शुरू हो गया है, लिहाजा पूर्व के आदेशों का पालन शीघ्र कराया जाए.

ताकि पूर्व में आई आपदा जैसी घटना फिर से न घटित हो. विगत वर्ष नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह गई थी. नदियों का चैनलाइज नहीं करने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया था. जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर,रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी. बाढ़ से कई पुल बह गए थे. आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही रही. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर, मिलबा को नहीं हटाया गया. मामले की पैरवी उनके द्वारा स्वयं की गई.

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