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नया कानून लागू होने के बाद आईपीसी में FIR पर हाई कोर्ट ने हमीरपुर एसपी से मांगा जवाब - High Court News

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 29, 2024, 10:15 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद रेप मामले में आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज करने हाई हमीरपुर एसपी से जवाब मांगा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Etv Bharat)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जुलाई में रेप के एक मामले में भारतीय न्याय संहिता के प्रावधान लागू नहीं करने पर हमीरपुर के पुलिस अधीक्षक से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि जब भारतीय न्याय संहिता मामले की एफआईआर दर्ज होने से दो दिन पहले यानी एक जुलाई 2024 को लागू हो गई थी तो रेप की एफआईआर इस नए कानून की धारा के तहत क्यों नहीं दर्ज की गई. न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने दीपू व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए हमीरपुर के पुलिस अधीक्षक से इस संदर्भ में हलफनामा मांगा है.

कोर्ट ने आदेश में कहा कि 3 जुलाई की एफआईआर आईपीसी के प्रावधान के तहत दर्ज की गई है. जबकि भारतीय न्याय संहिता एक जुलाई 2024 को लागू हुई है. याचिकाकर्ता रेप की एफआईआर रद्द करने की मांग की गई है.

मामले के तथ्यों के अनुसार 14 वर्षीय पीड़िता ने आरोप लगाया कि 28 जून को दीपू सहित अन्य आरोपी पिस्तौल लेकर उसके घर में घुस आए और अश्लील हरकतें कीं. पीड़िता के शोर मचाने पर उसके परिवार वालों वहां पहुंचकर उसे बचाया. पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि बीते अप्रैल माह में भी दीपू पिस्तौल लेकर उसके घर में घुस आया था और उसका रेप कर वीडियो भी बनाया. इसके बाद उसने वीडियो का इस्तेमाल उसे धमकाने के लिए किया और उसका शारीरिक शोषण करना जारी रखा. आरोपियों के खिलाफ गत तीन जुलाई को आईपीसी की धारा 376 (2) (एन), 354, 147, 452, 504 व 506 एवं पोक्सो एक्ट की धारा चार के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. आरोपियों ने याचिका दाखिल कर एफआईआर को चुनौती दी है.

इसे भी पढ़ें-हाईकोर्ट से अफजाल अंसारी को बड़ी राहत; गैंगस्टर की सजा का आदेश रद, सांसदी जाने का खतरा टला

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जुलाई में रेप के एक मामले में भारतीय न्याय संहिता के प्रावधान लागू नहीं करने पर हमीरपुर के पुलिस अधीक्षक से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि जब भारतीय न्याय संहिता मामले की एफआईआर दर्ज होने से दो दिन पहले यानी एक जुलाई 2024 को लागू हो गई थी तो रेप की एफआईआर इस नए कानून की धारा के तहत क्यों नहीं दर्ज की गई. न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने दीपू व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए हमीरपुर के पुलिस अधीक्षक से इस संदर्भ में हलफनामा मांगा है.

कोर्ट ने आदेश में कहा कि 3 जुलाई की एफआईआर आईपीसी के प्रावधान के तहत दर्ज की गई है. जबकि भारतीय न्याय संहिता एक जुलाई 2024 को लागू हुई है. याचिकाकर्ता रेप की एफआईआर रद्द करने की मांग की गई है.

मामले के तथ्यों के अनुसार 14 वर्षीय पीड़िता ने आरोप लगाया कि 28 जून को दीपू सहित अन्य आरोपी पिस्तौल लेकर उसके घर में घुस आए और अश्लील हरकतें कीं. पीड़िता के शोर मचाने पर उसके परिवार वालों वहां पहुंचकर उसे बचाया. पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि बीते अप्रैल माह में भी दीपू पिस्तौल लेकर उसके घर में घुस आया था और उसका रेप कर वीडियो भी बनाया. इसके बाद उसने वीडियो का इस्तेमाल उसे धमकाने के लिए किया और उसका शारीरिक शोषण करना जारी रखा. आरोपियों के खिलाफ गत तीन जुलाई को आईपीसी की धारा 376 (2) (एन), 354, 147, 452, 504 व 506 एवं पोक्सो एक्ट की धारा चार के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. आरोपियों ने याचिका दाखिल कर एफआईआर को चुनौती दी है.

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