प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने करोना से मृत रोडवेज के संविदा कर्मचारी की पत्नी को मुआवजा देने से इनकार करने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने इस मामले में जिलाधिकारी फतेहपुर और यूपीएसआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक हरदोई को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. फतेहपुर की शोभा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पड़िया ने दिया.
याची का कहना है कि उसके पति रोडवेज में संविदा पर कंडक्टर थे. 2020 में कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से उनकी मृत्यु हो गई. इस बीच राज्य सरकार ने 11 अप्रैल 2020 को एक शासनादेश जारी कर कोरोना से मरने वाले कर्मचारियों के परिवार को मुआवजा देने की घोषणा की. याची ने उक्त शासनादेश के तहत जिलाधिकारी के समक्ष आवेदन किया मगर उसे मुआवजा नहीं दिया गया.
उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी फतेहपुर को याची के प्रतिवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया मगर डीएम ने इसका प्रतिवेदन खारिज कर दिया. सरकारी वकील का कहना था की चूंकि याची संविदा कर्मचारी था इसलिए वह उक्त शासनादेश के तहत मुआवजा पाने का हकदार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि शासनादेश के क्लाज चार में विभिन्न श्रेणियां के कर्मचारी का वर्णन है जिसमें संविदा कर्मचारियों को भी मुआवजा पाने का हकदार माना गया है.
कोर्ट ने इस बार यूपीएसआरटीसी को याची के प्रत्यावेदन पर निर्णय लेने को कहा मगर दूसरी बार भी इसका प्रत्यावेदन खारिज कर दिया गया तो उसने हाई कोर्ट में तीसरी बार याचिका दाखिल की. कोर्ट ने कहा कि शासनादेश के अनुसार जिला अधिकारी ही मुआवजे पर निर्णय लेने के लिए सक्षम प्राधिकारी है मगर दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से उन्होंने दो बार याची के प्रत्यावेदन को खारिज किया वह भी बिना किसी कानूनी प्राधिकार के. कोर्ट ने जिलाधिकारी और यूपीएसआरटीसी के रीजनल मैनेजर से इस मामले में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है.