प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि लंबी सेवाओं की आड़ में किसी अवैध नियुक्ति को वैधानिक मान्यता नहीं दी जा सकती है. इसी के साथ कोर्ट ने 30 वर्ष पहले नियुक्त अध्यापक की सेवा समाप्ति को वैध माना है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने बलिया के श्री चिंतामणि बाबा जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक रहे दिनेश कुमार सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है. एसटीएफ ने प्रदेशभर में हुई गोपनीय जांच में याची की अवैध बीएड डिग्री चिह्नित की थी. बीएसए की जांच के बाद नियोक्ता ने अध्यापक की 30 वर्ष पुरानी नियुक्ति को निरस्त कर दिया था.
याची को 1991 में राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर से जारी शिक्षा अलंकार डिग्री के आधार पर नियुक्त किया गया था. याची के अधिवक्ता ने कोर्ट से तीन दशक लंबे अध्यापन कार्य का हवाला देते हुए राहत की मांग की. वहीं, राज्य सरकार के वकील ने हाईकोर्ट के विनोद कुमार उपाध्याय केस का हवाला दिया, जिसमें शिक्षा अलंकार उपाधि को अवैध घोषित करते हुए प्रदेश भर से उक्त डिग्री के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को बर्खास्त करने के निर्देश दिए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सूर्य प्रकाश पांडेय बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में शिक्षा अलंकार डिग्री के आधार पर की गई 22 वर्ष पहले की नियुक्ति का निरस्तीकरण वैध माना है. इसके अलावा हाईकोर्ट ने भी ऐसे कई मामलों में शिक्षकों को अनुतोष नहीं दिया है इसलिए याची की बर्खास्तगी में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप कर राहत देना न्यायोचित नहीं है.
अलंकार डिग्री पर बर्खास्त हुए कई शिक्षकों की सेवाएं जारी
हाईकोर्ट में राज्य सरकार की उदासीन पैरवी के कारण शिक्षा अलंकार डिग्री पर बर्खास्त हुए कई शिक्षकों की सेवाएं जारी हैं. अलीगढ़ के एक इंटर कॉलेज में नियुक्त एक प्रवक्ता को वर्ष 2021 में शिक्षा अलंकार डिग्री के कारण बर्खास्त कर दिया गया था. वह 2021 से हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के आधार पर वेतन पा रहे हैं. ऐसे ही एक अन्य प्रकरण महाराजगंज के एक इंटर कॉलेज में नियुक्त शिक्षक का है. शिक्षा विभाग द्वारा ऐसी याचिकाओं को सूचीबद्ध कराने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किए जाने के कारण उक्त शिक्षकों की सेवाएं जारी हैं.