आगरा : पूर्व राज्यमंत्री चौधरी उदयभान के पोते दिव्यांश चौधरी की मुश्किल कम नहीं हो रही हैं. पहले पुलिस ने फरारी के चलते दिव्यांश पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया. अब हाईकोर्ट से भी दिव्यांश को अंतरिम राहत नहीं मिली है. जिससे अब दिव्यांशी की गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है. हाईकोर्ट ने दिव्यांश चौधरी को 21 दिन में सरेंडर करने का आदेश दिया है. इधर, 31 दिन बाद भी पुलिस अभी तक दिव्यांश को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. जबकि, आरोपी पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित है. पीड़ित शूज कारोबारी ने बताया कि समाज के लोगों के साथ अब आरोपी दिव्यांश चौधरी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पुलिस कमिश्नर से मिलेंगे.
बता दें कि 15 अप्रैल 2024 की रात में शाहगंज के ऋषि मार्ग पर घर के सामने शूज कारोबारी विवेक महाजन और उनकी बेटी पर पूर्व मंत्री चौधरी उदयभान के पोते दिव्यांश ने कार चढ़ाने का प्रयास किया था. आरोपी दिव्यांश ने कार से दोनों को कुचलने का प्रयास किया था. जब पिता और पुत्री ने शोर मचाया तो आरोपी भाग गया था. इस मामले में पीड़ित परिवार और पड़ोसियों ने हंगामा किया था. पुलिस से आरोपी को दबोचने की मांग की थी. जब पीडित परिवार के साथ पंजाबी समाज आया तो पुलिस ने फजीहत से बचाने के लिए मुकदमा दर्ज किया.
31 दिन बाद भी पुलिस की पहुंच से आरोपी दूर
पंजाबी समाज ने भाजपा के ब्रज क्षेत्र कार्यालय पर हंगामा किया. मांग की थी कि पीड़ित परिवार को पूर्व मंत्री की वजह से न्याय नहीं मिल रहा है. इधर, लगातार हंगामा और प्रदर्शन के चलते पुलिस ने फरार आरोपी दिव्यांश चौधरी पर 25 हजार रुपये का इनाज घोषित कर दिया. मगर, पुलिस अभी तक 31 दिन बाद भी आरोपी दिव्यांश चौधरी गिरफ्तार नहीं कर सकी है. जबकि, पुलिस ने आरोपी दिव्यांश की कार पूर्व मंत्री चौधरी उदयभान सिंह के घर से बरामद की थी. पुलिस ने तब आरोपी की कुर्की की बात की. मगर, ये कार्रवाई भी अटकी हुई है.
पहले आगरा में हुई थीअग्रिम जमानत खारिज
बता दें कि, वारदात के बाद से आरोपी दिव्यांश फरार है. पुलिस उसकी तलाश का दावा कर रही है. उधर आरोपी दिव्यांश चौधरी ने कोर्ट में अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दिया. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद आरोपी के अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत याचिका दायर की. जिस पर शुक्रवार दोपहर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 438 के तहत राहत देने से इंकार कर दिया. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि, यदि आवेदक तीन सप्ताह के भीतर संबंधित न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करता है और जमानत के लिए आवेदन करता है तो जमानत आवेदन पर न्यायालयों द्वारा निर्धारित कानून के अनुसार शीघ्रता से निर्णय लिया जाएगा. उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
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