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श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद: केंद्र और राज्य सरकार को सीधे पक्षकार बनाने की मांग खारिज - HIGH COURT VERDICT

इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह की ओर से दाखिल की गई थी अर्जी, कई अन्य वाद पर भी हुई बहस

श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद
श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर विचाराधीन दीवानी मुकदमों में केंद्र, राज्य सरकार और भारतीय पुरातत्व विभाग को पक्षकार बनाने की अनुमति देने की मांग में दाखिल अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि वादी सीपीसी की धारा 80(1) का नोटिस देकर दो माह अवधि बीत जाने के बाद इन्हें पक्षकार बना सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति आरएमएन मिश्र ने दिया है.

अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह की ओर से दाखिल अर्जी में सीपीसी की धारा 80 का नोटिस देने की अनिवार्यता माफ कर सीधे पक्षकार बनाने की मांग की गई थी. अधिवक्ता का कहना था कि विवादित ढांचे का संरक्षक होने के नाते एएसआई को पक्षकार बनाना जरूरी है. सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र व राज्य सरकार की है, इसलिए उन्हें भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की ओर से कहा गया कि कोई अर्जेंसी नहीं है, इसलिए नोटिस देकर आएं.

भगवान श्रीकृष्ण विराजमान व अन्य मुकदमों की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने वाद संख्या एक व 11 में संशोधन अर्जी दाखिल कर उन्हें निस्तारित करने की प्रार्थना की. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की अधिवक्ता तसनीम अहमदी ने इस पर आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा. आशुतोष पांडेय ने सीपीसी के आदेश 39 नियम 7 की शार्ट सर्वे की अर्जी निस्तारित करने की मांग की. अधिवक्ता रीना एन सिंह ने भी समर्थन किया. वाद संख्या आठ में सत्यवीर सिंह ने कहा कि मुकदमे का संबंध जन्मभूमि से नहीं है. गलत स्थानांतरित किया गया है. इसकी सुनवाई जिला अदालत मथुरा में की जानी चाहिए. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता महमूद प्राचा ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से बहस में कहा कि सभी केसों की एकसाथ सुनवाई के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है, तब तक कोई आदेश न किया जाए.

वाद संख्या 13 में महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सर्वे करने पर कोई अवरोध नहीं है. अधिवक्ता हरे राम त्रिपाठी, नसीरुज्जमा आदि ने भी पक्ष रखा. कोर्ट ने विपक्षी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय देते हुए मुकदमों में अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तारीख लगाई है.

इसे भी पढ़ें-श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस: हाईकोर्ट ने मीडिया को संयम बरतने का निर्देश दिया, कहा- गलत रिपोर्टिंग कोर्ट की अवमानना

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर विचाराधीन दीवानी मुकदमों में केंद्र, राज्य सरकार और भारतीय पुरातत्व विभाग को पक्षकार बनाने की अनुमति देने की मांग में दाखिल अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि वादी सीपीसी की धारा 80(1) का नोटिस देकर दो माह अवधि बीत जाने के बाद इन्हें पक्षकार बना सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति आरएमएन मिश्र ने दिया है.

अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह की ओर से दाखिल अर्जी में सीपीसी की धारा 80 का नोटिस देने की अनिवार्यता माफ कर सीधे पक्षकार बनाने की मांग की गई थी. अधिवक्ता का कहना था कि विवादित ढांचे का संरक्षक होने के नाते एएसआई को पक्षकार बनाना जरूरी है. सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र व राज्य सरकार की है, इसलिए उन्हें भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की ओर से कहा गया कि कोई अर्जेंसी नहीं है, इसलिए नोटिस देकर आएं.

भगवान श्रीकृष्ण विराजमान व अन्य मुकदमों की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने वाद संख्या एक व 11 में संशोधन अर्जी दाखिल कर उन्हें निस्तारित करने की प्रार्थना की. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की अधिवक्ता तसनीम अहमदी ने इस पर आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा. आशुतोष पांडेय ने सीपीसी के आदेश 39 नियम 7 की शार्ट सर्वे की अर्जी निस्तारित करने की मांग की. अधिवक्ता रीना एन सिंह ने भी समर्थन किया. वाद संख्या आठ में सत्यवीर सिंह ने कहा कि मुकदमे का संबंध जन्मभूमि से नहीं है. गलत स्थानांतरित किया गया है. इसकी सुनवाई जिला अदालत मथुरा में की जानी चाहिए. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता महमूद प्राचा ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से बहस में कहा कि सभी केसों की एकसाथ सुनवाई के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है, तब तक कोई आदेश न किया जाए.

वाद संख्या 13 में महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सर्वे करने पर कोई अवरोध नहीं है. अधिवक्ता हरे राम त्रिपाठी, नसीरुज्जमा आदि ने भी पक्ष रखा. कोर्ट ने विपक्षी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय देते हुए मुकदमों में अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तारीख लगाई है.

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