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सब इंस्पेक्टर पेपर लीक मामले में ट्रेनी एसआई की जमानत खारिज - SI paper Leak Case

एसआई भर्ती परीक्षा 2021 पेपर लीक में ट्रेनी सब इंस्पेक्टर डालूराम मीणा की जमानत याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. जमानत याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता निर्दोष है और जांच में उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं, इसलिए उसे जमानत दी जाए.

ट्रेनी एसआई की जमानत खारिज
ट्रेनी एसआई की जमानत खारिज (ETV Bharat File Photo)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 11, 2024, 7:29 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा 2021 पेपर लीक से जुड़े मामले में ट्रेनी सब इंस्पेक्टर डालूराम मीणा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि मामले की गंभीरता और अनुसंधान को देखते हुए आरोपी को केस की इस स्टेज पर जमानत का लाभ देना उचित नहीं है.

जमानत याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता निर्दोष है और जांच में उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं. मामले में दर्ज एफआईआर में पुलिस ने तथ्यों को सत्यापित किए बिना आरपीए में ट्रेनिंग कर रहे याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया है. इसके अलावा मामले में एसओजी जांच पूरी कर चुकी है, जिसमें भी याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं. इसके अलावा मुकदमे का ट्रायल पूरा होने में लंबा समय लगने की संभावना है. इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए.

इसे भी पढ़ें- SI भर्ती पेपर लीक मामले के आरोपियों को नहीं मिली जमानत, कोर्ट ने कही ये बात - SI Paper Leak Case

दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका खारिज : याचिकाकर्ता की जमानत का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में 1 फरवरी 2024 को एसओजी ने मामला दर्ज किया था. जांच में सामने आया कि याचिकाकर्ता डालूराम ने खुद परीक्षा देने के बजाए एक डमी कैंडिडेट हरचंद को परीक्षा में बिठाया था. इसके बाद मेरिट में याचिकाकर्ता का चयन हो गया. ऐसे में याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत में याचिकाकर्ता की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा 2021 पेपर लीक से जुड़े मामले में ट्रेनी सब इंस्पेक्टर डालूराम मीणा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि मामले की गंभीरता और अनुसंधान को देखते हुए आरोपी को केस की इस स्टेज पर जमानत का लाभ देना उचित नहीं है.

जमानत याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता निर्दोष है और जांच में उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं. मामले में दर्ज एफआईआर में पुलिस ने तथ्यों को सत्यापित किए बिना आरपीए में ट्रेनिंग कर रहे याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया है. इसके अलावा मामले में एसओजी जांच पूरी कर चुकी है, जिसमें भी याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं. इसके अलावा मुकदमे का ट्रायल पूरा होने में लंबा समय लगने की संभावना है. इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए.

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दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका खारिज : याचिकाकर्ता की जमानत का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में 1 फरवरी 2024 को एसओजी ने मामला दर्ज किया था. जांच में सामने आया कि याचिकाकर्ता डालूराम ने खुद परीक्षा देने के बजाए एक डमी कैंडिडेट हरचंद को परीक्षा में बिठाया था. इसके बाद मेरिट में याचिकाकर्ता का चयन हो गया. ऐसे में याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत में याचिकाकर्ता की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.

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