प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4000 करोड़ रुपए से अधिक जीएसटी फ्रॉड में शामिल दर्जनों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. राष्ट्रीय स्तर पर किए गए इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने आरोपियों को कोई भी राहत दिए जाने के योग्य नहीं पाया. आरोपी राजीव जिंदल सहित 55 ज़मानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने यह आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि जमानत देते समय अदालत को अपराध की प्रकृति, साक्ष्य की प्रकृति, दंड की गंभीरता, अभियुक्त का चरित्र और व्यवहार, उसकी परिस्थितियों, मुकदमे में आरोपी की उपस्थिति, गवाहों को प्रभावित कर सकते की संभावना आम जनता और राज्य का व्यापक हित आदि तमाम बातों पर विचार करना होता है. कोर्ट ने कहा कि इस अपराध में अपराधियों के तार कई राज्यों तक फैले हुए हैं. अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत दिए जाने का कोई आधार नहीं है.
एक नामी पोर्टल के संपादक सौरभ द्विवेदी ने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी कि उनकी फर्जी आईडी इस्तेमाल कर बिना उनकी अनुमति के पंजाब और महाराष्ट्र में जीएसटी फर्मों का पंजीकरण कराया गया. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी गठित कर मामले की जांच शुरू की तो राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे फ्रॉड का मामला सामने आया. इसी प्रकरण को लेकर नोएडा सेक्टर 20 थाने में तीन एफआईआर दर्ज की गई. जांच में सामने आया कि पूरे फ्रॉड में दर्जनों अभियुक्त शामिल हैं. जो लोगों की फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर जीएसटी रजिस्ट्रेशन करते हैं और उस पर फर्जी तरीके से टैक्स इनपुट क्रेडिट लेकर सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं.
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता नीतीश कुमार श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि आरोपी फर्जी जीएसटी फर्म का रजिस्ट्रेशन करा कर इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करके सरकार को हजारों करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंच चुके हैं. अब तक की जांच में 4000 करोड़ के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का मामला सामने आया है. जबकि 2,645 हजार करोड़ रुपए से अधिक का सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचाया जा चुका है. जांच अभी चल रही है. इस मामले में कई आरोपी सामने आए हैं, जिनके बयान के आधार पर अन्य के नाम सामने आए हैं.
दूसरी तरफ याची के अधिवक्ताओं का कहना था कि वह लोग एफआईआर में नामजद नहीं है और उनका इस घटना में कोई हाथ नहीं है. फर्जी तरीके से फंसाया गया है. जबकि अभियोजन का कहना था कि जांच में कई आरोपियों के पास से बड़ी संख्या में कंपनियों के डाटा, फर्जी सिम कार्ड, मोबाइल फोन, फर्जी दस्तावेज और नगद रुपए बरामद हुए हैं. याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने यह भी दलील दी की फर्जी जीएसटी नंबर उत्तर प्रदेश के बाहर के राज्यों से प्राप्त किए गए हैं. शिकायतकर्ता स्वयं दिल्ली का रहने वाला है और एफआईआर गौतम बुद्ध नगर में दर्ज कराई गई है. कोर्ट ने इस आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि भले ही फर्जी कंपनियां दूसरे राज्यों में बनाई गई है. जीएसटी में सिर्फ राज्य के भीतर ही नहीं अंतरराज्यीय सप्लाई चेन की भी निगरानी की जाती है. कोर्ट ने कहा कि शिकायत की सत्यता पर क्षेत्राधिकार के आधार पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है. कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए सभी जमानत याचिकाओं को खारिज़ कर दिया है.