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दिल्ली जल बोर्ड के खातों की जांच में तेजी लाए सीएजीः हाईकोर्ट

Delhi Jal Board: मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने CAG को दिल्ली जल बोर्ड के खातों की जांच में तेजी लाने को कहा है. मामला 2018 से लेकर 2021 तक के खातों की जांच से जुड़ा है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 6, 2024, 6:44 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने महालेखा परीक्षक (CAG) को निर्देश दिया कि वो दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के 2018 से लेकर 2021 तक के खातों की जांच में तेजी लाएं. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया. मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीएजी की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्हें दिल्ली जब बोर्ड की ओर से 2018-19 से लेकर 2020-21 तक के वार्षिक अकाउंट स्टेटमेंट मिल चुके हैं और उनका ऑडिट चल रहा है. उसके बाद कोर्ट ने याचिका का ये कहते हुए निस्तारण कर दिया कि सीएजी खातों की जांच में तेजी लाएं.

28 नवंबर 2023 को DJB ने कहा था कि उसने अपने छह साल के खातों को जांच के लिए CAG को भेज दिया है. सुनवाई के दौरान डीजेबी की ओर से पेश वकील ने कहा था कि 2015-16 से लेकर 2020-21 तक के वार्षिक खाते तैयार कर लिए गए हैं और उन्हें सीएजी को भेज दिया गया है. याचिका बीजेपी नेता हरीश खुराना ने दायर किया था.

याचिकाकर्ता की ओर से वकील समृद्धि अरोड़ा ने कहा था कि दिल्ली जल बोर्ड एक्ट की धारा 70 के मुताबिक बोर्ड को अपने लाभ और हानि का बैलेंस शीट मेंटेन करना होता है. उन्होंने मांग की थी कि जल बोर्ड को निर्देश दिया जाए कि वो 2015 से लेकर 2021 तक का बैलेंस शीट जारी करें. साथ ही CAG को निर्देश दिया जाए कि वो एक तय समय में दिल्ली जब बोर्ड के खातों का आडिट करें.

यह भी पढ़ेंः हाईकोर्ट से केजरीवाल को राहत, आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में जारी समन को किया रद्द

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड की ओर से पेश वकील संजय घोष ने कहा था कि ये याचिका एक राजनीतिक दल के नेता की ओर से दायर की गई है. इनके राजनीतिक हित हैं. उन्होंने कहा कि ऑडिट का काम चल रहा है. याचिका में कहा गया था कि जल बोर्ड एक्ट की धारा 70 के मुताबिक वार्षिक खाते को मेंटेन करना अनिवार्य है. इन खातों की सीएजी हर साल ऑडिट करेगी.

याचिका में कहा गया था कि 11 मई, 24 मई, 22 जुलाई को आरटीआई के जरिए दायर आवेदन के जवाब में कहा गया था कि 2015-16 से लेकर आगे का बैलेंस शीट तैयार किया जा रहा है. दिल्ली जब बोर्ड और सीएजी दोनों दिल्ली जल एक्ट की धारा 70 के मुताबिक अपना संवैधानिक दायित्व निभाने में विफल रहे हैं. वार्षिक वित्तीय खातों को मेंटेन करना पारदर्शिता बरकरार रखने के लिए जरूरी है.

यह भी पढ़ेंः केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली सरकार को बताया सबसे भ्रष्ट, कहा- हर एक विभाग में हो रहा है भ्रष्टाचार

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने महालेखा परीक्षक (CAG) को निर्देश दिया कि वो दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के 2018 से लेकर 2021 तक के खातों की जांच में तेजी लाएं. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया. मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीएजी की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्हें दिल्ली जब बोर्ड की ओर से 2018-19 से लेकर 2020-21 तक के वार्षिक अकाउंट स्टेटमेंट मिल चुके हैं और उनका ऑडिट चल रहा है. उसके बाद कोर्ट ने याचिका का ये कहते हुए निस्तारण कर दिया कि सीएजी खातों की जांच में तेजी लाएं.

28 नवंबर 2023 को DJB ने कहा था कि उसने अपने छह साल के खातों को जांच के लिए CAG को भेज दिया है. सुनवाई के दौरान डीजेबी की ओर से पेश वकील ने कहा था कि 2015-16 से लेकर 2020-21 तक के वार्षिक खाते तैयार कर लिए गए हैं और उन्हें सीएजी को भेज दिया गया है. याचिका बीजेपी नेता हरीश खुराना ने दायर किया था.

याचिकाकर्ता की ओर से वकील समृद्धि अरोड़ा ने कहा था कि दिल्ली जल बोर्ड एक्ट की धारा 70 के मुताबिक बोर्ड को अपने लाभ और हानि का बैलेंस शीट मेंटेन करना होता है. उन्होंने मांग की थी कि जल बोर्ड को निर्देश दिया जाए कि वो 2015 से लेकर 2021 तक का बैलेंस शीट जारी करें. साथ ही CAG को निर्देश दिया जाए कि वो एक तय समय में दिल्ली जब बोर्ड के खातों का आडिट करें.

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सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड की ओर से पेश वकील संजय घोष ने कहा था कि ये याचिका एक राजनीतिक दल के नेता की ओर से दायर की गई है. इनके राजनीतिक हित हैं. उन्होंने कहा कि ऑडिट का काम चल रहा है. याचिका में कहा गया था कि जल बोर्ड एक्ट की धारा 70 के मुताबिक वार्षिक खाते को मेंटेन करना अनिवार्य है. इन खातों की सीएजी हर साल ऑडिट करेगी.

याचिका में कहा गया था कि 11 मई, 24 मई, 22 जुलाई को आरटीआई के जरिए दायर आवेदन के जवाब में कहा गया था कि 2015-16 से लेकर आगे का बैलेंस शीट तैयार किया जा रहा है. दिल्ली जब बोर्ड और सीएजी दोनों दिल्ली जल एक्ट की धारा 70 के मुताबिक अपना संवैधानिक दायित्व निभाने में विफल रहे हैं. वार्षिक वित्तीय खातों को मेंटेन करना पारदर्शिता बरकरार रखने के लिए जरूरी है.

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