ETV Bharat / state

हाईकोर्ट का आदेश, जनरल ऑर्डर पारित कर नहीं जमा करवा सकते लाइसेंसी शस्त्र - High Court order - HIGH COURT ORDER

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2022 के अपने एक आदेश को दोहराते हुए कहा है कि जनरल ऑर्डर पारित करके लाइसेंसी शस्त्रधारकों के शस्त्र नहीं जमा करवाए जा सकते.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 1, 2024, 8:49 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2022 के अपने एक आदेश को दोहराते हुए कहा है कि जनरल ऑर्डर पारित करके लाइसेंसी शस्त्रधारकों के शस्त्र नहीं जमा करवाए जा सकते. न्यायालय ने कहा कि यदि शस्त्र जमा करवाने का कोई औचित्यपूर्ण कारण है तो सम्बंधित शस्त्रधारक के लिए आदेश पारित करते हुए, इसे जमा कराया जा सकता है. न्यायालय ने चेतावनी दी कि यदि आगे से जनरल ऑर्डर के आधार पर शस्त्र जमा कराने का कोई मामला उसके समक्ष आया तो सम्बंधित अधिकारियों पर हर्जाना लगाया जाएगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने अमेठी निवासी रविशंकर तिवारी व चार अन्य की ओर से दाखिल रिट याचिका पर पारित किया. याचियों का कहना था कि बिना किसी ठोस वजह के उन पर उनके लाइसेंसी शस्त्र जमा कराने का दबाव स्थानीय प्रशासन द्वारा डाला जा रहा है. मामले पर सुनवाई के उपरांत पारित अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि 25 फरवरी 2022 को राम रंग जायसवाल मामले में स्पष्ट आदेश दिया गया था कि अधिकारी जनरल ऑर्डर निकाल कर लाइसेंसी शस्त्र जमा करने को नहीं कह सकते.

न्यायालय ने कहा कि इसके पूर्व वर्ष 2002 में सर्वोच्च न्यायालय भी यही आदेश दे चुका है और यही नहीं वर्ष 2000 में शहाबुद्दीन मामले में और वर्ष 2021 में अरुण कुमार सिंह मामले में हाईकोर्ट इस प्रकार के आदेश जारी कर चुका है. न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदेश की सबसे बड़ी अदालत के आदेश को अनदेखा किया जा रहा है व उसका पालन नहीं हो रहा. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने चेतावनी दी कि यदि ऐसा मामला दोबारा उसके समक्ष आया तो सम्बंधित अधिकारी पर हर्जाना लगाया जाएगा.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2022 के अपने एक आदेश को दोहराते हुए कहा है कि जनरल ऑर्डर पारित करके लाइसेंसी शस्त्रधारकों के शस्त्र नहीं जमा करवाए जा सकते. न्यायालय ने कहा कि यदि शस्त्र जमा करवाने का कोई औचित्यपूर्ण कारण है तो सम्बंधित शस्त्रधारक के लिए आदेश पारित करते हुए, इसे जमा कराया जा सकता है. न्यायालय ने चेतावनी दी कि यदि आगे से जनरल ऑर्डर के आधार पर शस्त्र जमा कराने का कोई मामला उसके समक्ष आया तो सम्बंधित अधिकारियों पर हर्जाना लगाया जाएगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने अमेठी निवासी रविशंकर तिवारी व चार अन्य की ओर से दाखिल रिट याचिका पर पारित किया. याचियों का कहना था कि बिना किसी ठोस वजह के उन पर उनके लाइसेंसी शस्त्र जमा कराने का दबाव स्थानीय प्रशासन द्वारा डाला जा रहा है. मामले पर सुनवाई के उपरांत पारित अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि 25 फरवरी 2022 को राम रंग जायसवाल मामले में स्पष्ट आदेश दिया गया था कि अधिकारी जनरल ऑर्डर निकाल कर लाइसेंसी शस्त्र जमा करने को नहीं कह सकते.

न्यायालय ने कहा कि इसके पूर्व वर्ष 2002 में सर्वोच्च न्यायालय भी यही आदेश दे चुका है और यही नहीं वर्ष 2000 में शहाबुद्दीन मामले में और वर्ष 2021 में अरुण कुमार सिंह मामले में हाईकोर्ट इस प्रकार के आदेश जारी कर चुका है. न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदेश की सबसे बड़ी अदालत के आदेश को अनदेखा किया जा रहा है व उसका पालन नहीं हो रहा. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने चेतावनी दी कि यदि ऐसा मामला दोबारा उसके समक्ष आया तो सम्बंधित अधिकारी पर हर्जाना लगाया जाएगा.

यह भी पढ़ें : ‘ओपन जेल’ की व्यवस्था की योजना पेश करने का आदेश, सुधारात्मक उपायों पर जेल अधीक्षकों से हाईकोर्ट ने मांगी राय

यह भी पढ़ें : मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में स्क्रीनिंग कमेटी आवेदन छंटनी नहीं करेगी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.