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गाजियाबाद कोर्ट में लाठीचार्ज का विरोध में हाईकोर्ट के वकील कल करेंगे हड़ताल

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने न्यायिक कार्य से विरत रहने का किया ऐलान, गाजियाबाद जिला जज और संबंधित पुलिस अधिकारी को बर्खास्त करने की मांग

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 3, 2024, 9:23 PM IST

प्रयागराज: गाजियाबाद जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं पर पुलिस के लाठीचार्ज के विरोध में हाईकोर्ट के वकील सोमवार को न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने गाजियाबाद के जिला जज के विरुद्ध आपराधिक अवमानना का वाद दाखिल करने, जिला जज और संबंधित पुलिस अधिकारियों की तत्काल प्रभाव सेवा से बर्खास्तगी और घायल वकीलों को अविलम्ब क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रस्ताव पास किया है.

एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी की अध्यक्षता में रविवार की शाम को हुई कार्यकारिणी की आकस्मिक बैठक में गाजियाबाद जिला न्यायालय में जिला जज द्वारा पुलिस बुलाकर न्यायालय कक्ष में वकीलों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज कराने की भर्त्सना की गई. कहा गया कि वकीलों को तीन तरफ से प्रताड़ित करने का कार्य न्यायालयों द्वारा किया जा रहा है. यदि वकील किसी न्यायिक अधिकारी के गलत कृत्य के विरुद्ध कोई बात कहता तो संबंधित न्यायिक अधिकारी उसके विरुद्ध तत्काल आपराधिक अवमानना का संदर्भ उच्च न्यायालय प्रेषित कर देता है. उच्च न्यायालय में उक्त संदर्भ पर सुनवाई करते वक्त अधिवक्ता को अपना पक्ष रखने से रोककर बिना शर्त माफी मांगने का मजबूर किया जाता है.

वकीलों को नहीं रह गया अपनी बात रखने का अधिकार
अब वकीलों को न्यायालय कक्ष में पुलिस बुलाकर लाठी से पीटने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है. वकीलों द्वारा ऐसे किसी न्यायिक अधिकारी की मनमानी के विरोध में हड़ताल करने पर आपराधिक अवमानना की कार्यवाही भी प्रस्तावित कर दी जाती है. कुल मिलाकर यह है कि वकीलों को किसी भी प्रकार अपनी बात कहने का अधिकार नहीं रह गया है. यह परिस्थिति असहनीय है जिसे किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह भी कहा गया कि उच्च न्यायालय इस प्रकार के ठोस कदम उठाए कि भविष्य में किसी अन्य जिला न्यायालय में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो. साथ ही उच्च न्यायालय यदि गाजियाबाद के इस प्रकरण पर उच्च स्तरीय तथ्य अन्वेषण समिति का गठन करता है तो हाईकोर्ट बार द्वारा प्रस्तावित एवं नामित अधिवक्ता के प्रतिनिधित्व भी आवश्यक है. अन्यथा इस स्थिति में उक्त समिति की जांच रिपोर्ट अस्वीकार्य होगी.

बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक का संचालन महासचिव विक्रांत पांडेय ने किया. बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश खरे, उपाध्यक्ष अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अखिलेश कुमार मिश्र, सुभाष चंद्र यादव, नीरज त्रिपाठी व नीलम शुक्ला, संयुक्त सचिव सुमित श्रीवास्तव, अभिजीत पांडेय, पुनीत शुक्ल एवं आंचल ओझा, कोषाध्यक्ष रणविजय सिंह और गवर्निंग काउंसिल सदस्य अभिषेक मिश्र, अवधेश मिश्र, अभिषेक तिवारी, राजेश शुक्ल, वेद प्रकाश ओझा, अमरनाथ त्रिपाठी, ब्रजेश सिंह सेंगर उपस्थित रहे.

इसे भी पढ़ें-लाठीचार्ज के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे वकील, यूपी बार काउंसिल का फैसला

प्रयागराज: गाजियाबाद जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं पर पुलिस के लाठीचार्ज के विरोध में हाईकोर्ट के वकील सोमवार को न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने गाजियाबाद के जिला जज के विरुद्ध आपराधिक अवमानना का वाद दाखिल करने, जिला जज और संबंधित पुलिस अधिकारियों की तत्काल प्रभाव सेवा से बर्खास्तगी और घायल वकीलों को अविलम्ब क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रस्ताव पास किया है.

एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी की अध्यक्षता में रविवार की शाम को हुई कार्यकारिणी की आकस्मिक बैठक में गाजियाबाद जिला न्यायालय में जिला जज द्वारा पुलिस बुलाकर न्यायालय कक्ष में वकीलों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज कराने की भर्त्सना की गई. कहा गया कि वकीलों को तीन तरफ से प्रताड़ित करने का कार्य न्यायालयों द्वारा किया जा रहा है. यदि वकील किसी न्यायिक अधिकारी के गलत कृत्य के विरुद्ध कोई बात कहता तो संबंधित न्यायिक अधिकारी उसके विरुद्ध तत्काल आपराधिक अवमानना का संदर्भ उच्च न्यायालय प्रेषित कर देता है. उच्च न्यायालय में उक्त संदर्भ पर सुनवाई करते वक्त अधिवक्ता को अपना पक्ष रखने से रोककर बिना शर्त माफी मांगने का मजबूर किया जाता है.

वकीलों को नहीं रह गया अपनी बात रखने का अधिकार
अब वकीलों को न्यायालय कक्ष में पुलिस बुलाकर लाठी से पीटने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है. वकीलों द्वारा ऐसे किसी न्यायिक अधिकारी की मनमानी के विरोध में हड़ताल करने पर आपराधिक अवमानना की कार्यवाही भी प्रस्तावित कर दी जाती है. कुल मिलाकर यह है कि वकीलों को किसी भी प्रकार अपनी बात कहने का अधिकार नहीं रह गया है. यह परिस्थिति असहनीय है जिसे किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह भी कहा गया कि उच्च न्यायालय इस प्रकार के ठोस कदम उठाए कि भविष्य में किसी अन्य जिला न्यायालय में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो. साथ ही उच्च न्यायालय यदि गाजियाबाद के इस प्रकरण पर उच्च स्तरीय तथ्य अन्वेषण समिति का गठन करता है तो हाईकोर्ट बार द्वारा प्रस्तावित एवं नामित अधिवक्ता के प्रतिनिधित्व भी आवश्यक है. अन्यथा इस स्थिति में उक्त समिति की जांच रिपोर्ट अस्वीकार्य होगी.

बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक का संचालन महासचिव विक्रांत पांडेय ने किया. बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश खरे, उपाध्यक्ष अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अखिलेश कुमार मिश्र, सुभाष चंद्र यादव, नीरज त्रिपाठी व नीलम शुक्ला, संयुक्त सचिव सुमित श्रीवास्तव, अभिजीत पांडेय, पुनीत शुक्ल एवं आंचल ओझा, कोषाध्यक्ष रणविजय सिंह और गवर्निंग काउंसिल सदस्य अभिषेक मिश्र, अवधेश मिश्र, अभिषेक तिवारी, राजेश शुक्ल, वेद प्रकाश ओझा, अमरनाथ त्रिपाठी, ब्रजेश सिंह सेंगर उपस्थित रहे.

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