नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा कांड के आरोपी अब्दुल मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ती रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने सरकारी भूमि को खुर्द-बुर्द करने के मामले में अब्दुल मलिक को जमानत दे दी है, लेकिन हिंसा फैलाने के मामले में अब्दुल मलिक की अभी जमानत नहीं हुई है.
मामले के अनुसार, अब्दुल मलिक के खिलाफ बनभूलपुरा दंगे के समय चार मुकदमे दर्ज हुए थे. जिसमें से एक मामला कूटरचित झूठे शपथपत्र के आधार पर राजकीय भूमि को हड़पने का भी था. यही नहीं, उसके द्वारा नजूल भूमि पर कब्जा करके प्लॉटिंग, अवैध निर्माण करके उसे बेचा गया.
राज्य सरकार की तरफ से अब्दुल मलिक की जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा गया कि बनभूलपुरा कांड की शुरुआत यहीं से हुई थी. कोर्ट को बताया गया कि जब प्रशासन इस अवैध अतिक्रमण को हटाने गया तो उनके ऊपर पथराव किया गया. बाद में घटना ने हिंसा का रूप ले लिया. इस हिंसा में पुलिस-प्रशासन के कई लोग घायल हो गए थे और कई लोगों की जान तक चली गयी.
ये भी बताया गया कि हिंसा से संबंधित मामलों में अब्दुल मलिक की हाईकोर्ट से जमानत नहीं हुई है इसलिए अब्दुल मलिक की जमानत निरस्त की जाए. वहीं याचिकाकर्ता का कहना था कि इस मुकदमे का संबंध हिंसा से नहीं है, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए.
क्या है पूरा मामला: बता दें कि, नैनीताल के हल्द्वानी बनभूलपुरा थाना क्षेत्र में 8 फरवरी 2024 को सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने गई पुलिस-प्रशासन की टीम पर कुछ लोगों ने हमला बोल दिया था. इस दौरान 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए थे और पांच लोगों की गोली लगने से मौत भी हो गई थी. साथ ही उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाना परिसर में भी आग लगा दी थी. जिस सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के दौरान हिंसा भड़की थी, उसका संचालक अब्दुल मलिक था. अब्दुल मलिक पर सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण करने का आरोप है.
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