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दुष्कर्म पीड़िता से 3 महीने में करनी होगी शादी, नवजात की देखभाल भी, इस शर्त पर आरोपी को मिली बेल - ALLAHABAD HIGH COURT

सहारनपुर में नाबालिग से रेप का मामला, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शर्तों के साथ सुनाया फैसला, बच्ची के नाम जमा करने होंगे 2 लाख रुपए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 14, 2024, 10:55 PM IST

Updated : Oct 15, 2024, 11:47 AM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी को पीड़िता से शादी करने की शर्त पर जमानत दी है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी जेल से रिहा होने के बाद पीड़िता से शादी करेगा और अपने नवजात शिशु की देखभाल करेगा.

कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में चुनौती शोषण के वास्तविक मामलों और सहमति से बने संबंधों के मामलों के बीच अंतर करने की है. न्याय सुनिश्चित करने के लिए सूक्ष्म दृष्टिकोण और सावधानीपूर्वक न्यायिक विचार की आवश्यकता होती है. किसी व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक कि उसका अपराध सिद्ध न हो जाए.

संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को केवल इस आधार पर नहीं छीना जा सकता कि उस व्यक्ति पर अपराध करने का आरोप है. न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने अभिषेक की याचिका पर यह आदेश दिया है.

तथ्यों के अनुसार, सहारनपुर के थाना चिलकाना में अ​भिषेक पर पॉक्सो व दुष्कर्म के आरोम में मुकदमा दर्ज किया गया था. ​शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी बेटी से शादी का झूठा वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए, जिससे वह गर्भवती हो गई.

इसके बाद आरोपी ने शादी का वादा पूरा करने से इन्कार कर दिया. शिकायतकर्ता का दावा है कि उसकी बेटी की उम्र 15 वर्ष है. जबकि याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल रिपोर्ट से पीड़िता की उम्र 18 वर्ष निर्धारित हुई है. साथ ही सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयान में पीड़िता ने उस पर किसी भी प्रकार के बल प्रयोग से इन्कार किया है.

इसके अलावा याची के अधिवक्ता ने यह भी बताया कि याची पीड़िता की जिम्मेदारी लेने और उससे शादी करने को तैयार है. कोर्ट ने याची की जमानत अर्जी इस शर्त पर स्वीकार की कि वह जेल से रिहा होने के 3 महीने के भीतर पीड़िता से विवाह करेगा और उसकी नवजात बच्ची की देखभाल करेगा. साथ ही जेल से रिहा होने की तिथि से 6 महीने की अवधि के भीतर पीड़िता के वयस्क होने तक उसके नवजात शिशु के नाम पर 2 लाख रुपये की सावधि राशि जमा करेगा.

इसे भी पढ़ें-एक ही अपराध में दर्ज हो सकती है दूसरी एफआईआर, घटना के तथ्य-साक्ष्य भिन्न होने चाहिए

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी को पीड़िता से शादी करने की शर्त पर जमानत दी है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी जेल से रिहा होने के बाद पीड़िता से शादी करेगा और अपने नवजात शिशु की देखभाल करेगा.

कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में चुनौती शोषण के वास्तविक मामलों और सहमति से बने संबंधों के मामलों के बीच अंतर करने की है. न्याय सुनिश्चित करने के लिए सूक्ष्म दृष्टिकोण और सावधानीपूर्वक न्यायिक विचार की आवश्यकता होती है. किसी व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक कि उसका अपराध सिद्ध न हो जाए.

संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को केवल इस आधार पर नहीं छीना जा सकता कि उस व्यक्ति पर अपराध करने का आरोप है. न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने अभिषेक की याचिका पर यह आदेश दिया है.

तथ्यों के अनुसार, सहारनपुर के थाना चिलकाना में अ​भिषेक पर पॉक्सो व दुष्कर्म के आरोम में मुकदमा दर्ज किया गया था. ​शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी बेटी से शादी का झूठा वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए, जिससे वह गर्भवती हो गई.

इसके बाद आरोपी ने शादी का वादा पूरा करने से इन्कार कर दिया. शिकायतकर्ता का दावा है कि उसकी बेटी की उम्र 15 वर्ष है. जबकि याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल रिपोर्ट से पीड़िता की उम्र 18 वर्ष निर्धारित हुई है. साथ ही सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयान में पीड़िता ने उस पर किसी भी प्रकार के बल प्रयोग से इन्कार किया है.

इसके अलावा याची के अधिवक्ता ने यह भी बताया कि याची पीड़िता की जिम्मेदारी लेने और उससे शादी करने को तैयार है. कोर्ट ने याची की जमानत अर्जी इस शर्त पर स्वीकार की कि वह जेल से रिहा होने के 3 महीने के भीतर पीड़िता से विवाह करेगा और उसकी नवजात बच्ची की देखभाल करेगा. साथ ही जेल से रिहा होने की तिथि से 6 महीने की अवधि के भीतर पीड़िता के वयस्क होने तक उसके नवजात शिशु के नाम पर 2 लाख रुपये की सावधि राशि जमा करेगा.

इसे भी पढ़ें-एक ही अपराध में दर्ज हो सकती है दूसरी एफआईआर, घटना के तथ्य-साक्ष्य भिन्न होने चाहिए

Last Updated : Oct 15, 2024, 11:47 AM IST
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