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एमएलए आशीष, पूर्व आईएएस राकेश शर्मा व हरियाणा के सीएम के पब्लिसिटी एडवाइजर तरुण भंडारी को अग्रिम जमानत, राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने का है आरोप - Himachal High Court

Himachal High Court: हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश के तीन आरोपी एमएलए आशीष, पूर्व आईएएस राकेश शर्मा व हरियाणा के सीएम के पब्लिसिटी एडवाइजर तरुण भंडारी को हिमाचल हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है.

HIMACHAL HIGH COURT
हिमाचल उच्च न्यायालय (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 27, 2024, 7:10 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश के तीन आरोपियों को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी है. इनमें हमीरपुर से एमएलए आशीष शर्मा सहित गगरेट से पूर्व एमएलए चैतन्य शर्मा के आईएएस रहे पिता राकेश शर्मा व हरियाणा के तत्कालीन सीएम के पब्लिसिटी एडवाइजर तरुण भंडारी शामिल हैं.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने तीनों आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की. इस दौरान न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने उन्हें पहले से दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत को स्थाई करने के आदेश जारी किए. याचिकाओं में दिए तथ्यों के अनुसार शिमला के बालूगंज पुलिस स्टेशन में कांग्रेस से बागी एवं गगरेट से विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा, हमीरपुर से तत्कालीन निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और हरियाणा के मुख्यमंत्री के तत्कालीन पब्लिसिटी एडवाइजर तरुण भंडारी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.

तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-420,171-ए और 171-सी, 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 एवं धारा-8 के तहत मुकदमा दर्ज है. एफआईआर में राकेश और आशीष शर्मा पर राज्यसभा चुनाव को गलत तरीके से प्रभावित करने का आरोप है. शिकायतकर्ताओं ने दोनों पर वोटों की खरीद-फरोख्त करने, रिश्वत व पैसों के लेनदेन के आरोप लगाए गए हैं. शिकायत में कहा गया है कि आरोपियों ने सरकार गिराने के लिए साजिश रची.

वहीं, तरुण भंडारी पर आरोप है कि उन्होंने हरियाणा की भाजपा सरकार के इशारे पर हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की. हिमाचल प्रदेश में सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र रचने के आरोप में तरुण भंडारी के विरुद्ध भी एफआइआर दर्ज की गई थी. राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग के मामले में भी तरुण भंडारी का नाम सामने आया था.

बालूगंज थाना पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है. हरियाणा में तरुण भंडारी भाजपा नेताओं की उस कमेटी में शामिल रहे हैं, जो दूसरे दलों के नेताओं को भाजपा में शामिल कराने का काम करती है. शिकायतकर्ताओं ने आरोपियों के बैंक खातों की जांच कराए जाने की भी मांग की है। फिलहाल, हाईकोर्ट ने तीनों को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी है.

ये भी पढ़ें: डिप्टी डायरेक्टर्स (एजुकेशन) के पद भरने को निर्धारित किया गया कोटा असंवैधानिक करार, हाईकोर्ट ने किया खारिज

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश के तीन आरोपियों को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी है. इनमें हमीरपुर से एमएलए आशीष शर्मा सहित गगरेट से पूर्व एमएलए चैतन्य शर्मा के आईएएस रहे पिता राकेश शर्मा व हरियाणा के तत्कालीन सीएम के पब्लिसिटी एडवाइजर तरुण भंडारी शामिल हैं.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने तीनों आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की. इस दौरान न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने उन्हें पहले से दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत को स्थाई करने के आदेश जारी किए. याचिकाओं में दिए तथ्यों के अनुसार शिमला के बालूगंज पुलिस स्टेशन में कांग्रेस से बागी एवं गगरेट से विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा, हमीरपुर से तत्कालीन निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और हरियाणा के मुख्यमंत्री के तत्कालीन पब्लिसिटी एडवाइजर तरुण भंडारी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.

तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-420,171-ए और 171-सी, 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 एवं धारा-8 के तहत मुकदमा दर्ज है. एफआईआर में राकेश और आशीष शर्मा पर राज्यसभा चुनाव को गलत तरीके से प्रभावित करने का आरोप है. शिकायतकर्ताओं ने दोनों पर वोटों की खरीद-फरोख्त करने, रिश्वत व पैसों के लेनदेन के आरोप लगाए गए हैं. शिकायत में कहा गया है कि आरोपियों ने सरकार गिराने के लिए साजिश रची.

वहीं, तरुण भंडारी पर आरोप है कि उन्होंने हरियाणा की भाजपा सरकार के इशारे पर हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की. हिमाचल प्रदेश में सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र रचने के आरोप में तरुण भंडारी के विरुद्ध भी एफआइआर दर्ज की गई थी. राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग के मामले में भी तरुण भंडारी का नाम सामने आया था.

बालूगंज थाना पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है. हरियाणा में तरुण भंडारी भाजपा नेताओं की उस कमेटी में शामिल रहे हैं, जो दूसरे दलों के नेताओं को भाजपा में शामिल कराने का काम करती है. शिकायतकर्ताओं ने आरोपियों के बैंक खातों की जांच कराए जाने की भी मांग की है। फिलहाल, हाईकोर्ट ने तीनों को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी है.

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