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छठी आरआईबी कोलर में 2011-12 में भर्ती अस्थाई कर्मियों को बड़ी राहत, HC ने दिए नियुक्ति की तिथि से नियमित करने के आदेश - Himachal Pradesh High Court - HIMACHAL PRADESH HIGH COURT

High court order: हिमाचल प्रदेश  हाईकोर्ट ने छ्ठी आईआरबी में वर्ष 2011 और 2012 में भर्ती अस्थाई कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति की तारीख से ही नियमित करने के आदेश जारी किए हैं. केंद्र सरकार ने छठी आईआरबी स्थापित करने के लिए 14 मई 2009 को अपनी स्वीकृति दी थी.

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 25, 2024, 10:33 PM IST

शिमला: छठी इंडियन रिजर्व बटालियन कोलर जिला सिरमौर के कर्मचारियों को अदालत ने बड़ी राहत दी है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने छ्ठी आईआरबी में वर्ष 2011 और 2012 में भर्ती अस्थाई कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति की तारीख से ही नियमित करने के आदेश जारी किए हैं. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने संजय कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिका को स्वीकारते हुए प्रदेश सरकार को आदेश दिए कि वह इन कर्मचारियों को बैक डेट से नियमित करे साथ ही कहा कि बैक डेट से नियमित करने के कारण उपजे सभी सेवालाभ भी 3 माह के भीतर अदा किये जाएं.

प्रार्थियों के अनुसार, केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश में छठी आईआरबी स्थापित करने के लिए 14 मई 2009 को अपनी स्वीकृति दी थी फिर 17 नवम्बर 2009 को प्रदेश सरकार ने छ्ठी आईआरबी स्थापित करने के लिए अधिसूचना जारी की. इसके अलावा सरकार ने विभिन्न श्रेणियों के 1007 पद सृजित किए. सरकार ने इन पदों को भरने के लिए विभिन्न रोजगार कार्यालयों के माध्यम से पात्र अभ्यर्थियों की मांग की.

प्रार्थियों के अनुसार उन्हें वर्ष 2011 और 2012 के दौरान क्लर्क, कुक,वाटर कैरियर, वॉशरमैन, बार्बर और स्वीपर के कुल 36 विभिन्न पदों पर बतौर अनुबंध व दिहाड़ीदार सेवार्थी के रूप में नियुक्त किया गया. प्रार्थियों का आरोप था कि चौथी, पांचवी और छ्ठी आईआरबी में अन्य पदों को तो सरकार ने नियमित तौर पर भरा परंतु उन्हें नियमित भर्ती करने की बजाए अनुबंध अथवा दिहाड़ीदार के रूप में नियुक्ति दी गई.

उन्हें रोजगार कार्यालय से जो कॉल लेटर भेजा गया उसमें इस बारे में कोई बात नहीं बताई गई कि नियुक्ति नियमित होगी या अस्थाई. इस बारे में उन्हें केवल तब पता चला जब उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपे गए. इसके बाद मजबूरन उन्होंने यह नियुक्तियां स्वीकार कर ली. परंतु इसके तुरंत बाद विभाग को प्रतिवेदन कर उनसे भेदभाव न करते हुए उन्हे शुरू से ही नियमित मानते हुए उन्हें सभी सेवालाभ देने की गुहार लगाई. प्रार्थियों का कहना था कि विभाग के उच्च अधिकारियों ने भी माना था कि उनके साथ भेदभाव हुआ है परंतु वित्त विभाग ने इस पर अपनी आपत्ति जताई. इस कारण उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. कोर्ट ने प्रार्थियों की दलीलों से सहमति जताते हुए उन्हें शुरू से ही नियमित मानते हुए सभी वित्तीय व अन्य लाभ देने के आदेश जारी किए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में अब डिपार्टमेंटल एग्जाम देने वाले करवा सकेंगे री-इवेल्यूएशन, जानिए हाईकोर्ट ने रद्द की कौन सी शर्त -

शिमला: छठी इंडियन रिजर्व बटालियन कोलर जिला सिरमौर के कर्मचारियों को अदालत ने बड़ी राहत दी है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने छ्ठी आईआरबी में वर्ष 2011 और 2012 में भर्ती अस्थाई कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति की तारीख से ही नियमित करने के आदेश जारी किए हैं. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने संजय कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिका को स्वीकारते हुए प्रदेश सरकार को आदेश दिए कि वह इन कर्मचारियों को बैक डेट से नियमित करे साथ ही कहा कि बैक डेट से नियमित करने के कारण उपजे सभी सेवालाभ भी 3 माह के भीतर अदा किये जाएं.

प्रार्थियों के अनुसार, केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश में छठी आईआरबी स्थापित करने के लिए 14 मई 2009 को अपनी स्वीकृति दी थी फिर 17 नवम्बर 2009 को प्रदेश सरकार ने छ्ठी आईआरबी स्थापित करने के लिए अधिसूचना जारी की. इसके अलावा सरकार ने विभिन्न श्रेणियों के 1007 पद सृजित किए. सरकार ने इन पदों को भरने के लिए विभिन्न रोजगार कार्यालयों के माध्यम से पात्र अभ्यर्थियों की मांग की.

प्रार्थियों के अनुसार उन्हें वर्ष 2011 और 2012 के दौरान क्लर्क, कुक,वाटर कैरियर, वॉशरमैन, बार्बर और स्वीपर के कुल 36 विभिन्न पदों पर बतौर अनुबंध व दिहाड़ीदार सेवार्थी के रूप में नियुक्त किया गया. प्रार्थियों का आरोप था कि चौथी, पांचवी और छ्ठी आईआरबी में अन्य पदों को तो सरकार ने नियमित तौर पर भरा परंतु उन्हें नियमित भर्ती करने की बजाए अनुबंध अथवा दिहाड़ीदार के रूप में नियुक्ति दी गई.

उन्हें रोजगार कार्यालय से जो कॉल लेटर भेजा गया उसमें इस बारे में कोई बात नहीं बताई गई कि नियुक्ति नियमित होगी या अस्थाई. इस बारे में उन्हें केवल तब पता चला जब उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपे गए. इसके बाद मजबूरन उन्होंने यह नियुक्तियां स्वीकार कर ली. परंतु इसके तुरंत बाद विभाग को प्रतिवेदन कर उनसे भेदभाव न करते हुए उन्हे शुरू से ही नियमित मानते हुए उन्हें सभी सेवालाभ देने की गुहार लगाई. प्रार्थियों का कहना था कि विभाग के उच्च अधिकारियों ने भी माना था कि उनके साथ भेदभाव हुआ है परंतु वित्त विभाग ने इस पर अपनी आपत्ति जताई. इस कारण उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. कोर्ट ने प्रार्थियों की दलीलों से सहमति जताते हुए उन्हें शुरू से ही नियमित मानते हुए सभी वित्तीय व अन्य लाभ देने के आदेश जारी किए.

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