प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महानिबंधक को निर्देश दिया है कि भविष्य में याचिकाओं के साथ दाखिल होने वाले सभी प्रकार के शपथ पत्रों की जांच रजिस्ट्री स्वयं करेगी तथा यदि उसमें कोई खामी पाई जाती है तो उक्त कमी को दूर करने के लिए संबंधित अधिवक्ता को सूचित किया जाएगा. साथ ही कोर्ट ने शपथ आयुक्तों की नियुक्ति में उच्च मानकों का पालन करने का भी महानिबंधक को निर्देश दिया है.
एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान के समक्ष मामला आया, जिसमें शपथ पत्र पर न तो वादी के हस्ताक्षर थे और न ही उनके अधिवक्ता के हस्ताक्षर थे. शपथ आयुक्त द्वारा इस बात का ध्यान दिए बिना शपथ पत्र अनुमोदित किया गया था. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि शपथ आयुक्तों की नियुक्ति में उच्च मानकों का पालन करने की जरूरत है. ऐसा देखा जा रहा है कि शपथ आयुक्त व्यावसायिक स्तर को कायम नहीं रख पा रहे हैं और बिना हस्ताक्षर वाले शपथ पत्र अनुमोदित कर देते हैं. पहले भी इस मामले में सक्षम प्राधिकारी को कार्रवाई के लिए कहा जा चुका है मगर कोई कार्रवाई नहीं की गई. महानिबंधक को भी ऐसे प्रकरण से सूचित किया जा चुका है.
कोर्ट ने कहा कि भविष्य में सभी प्रकार के शपथ पत्र रजिस्ट्री द्वारा जांचने के बाद ही याचिका स्वीकृत की जाएगी. कोर्ट ने महानिबंधक को निर्देश दिया है कि वह सुनिश्चित करें कि शपथ आयुक्त अपने कर्तव्य का निर्वहन उच्च मानक के अनुसार करें. उनके द्वारा किसी प्रकार की लापरवाही को कदाचार माना जाए और इस प्रकार के कदाचार पर सक्षम प्राधिकारी तत्काल कार्रवाई करें.
कोर्ट ने कहा कि भविष्य में ऐसे किसी भी अधिवक्ता को शपथ आयुक्त नियुक्त किया न जाए, जिसके विरुद्ध किसी न्यायालय ने टिप्पणी की हो और न ही ऐसे व्यक्ति का रिनुअल किया जाए अथवा पुनः नियुक्त की जाए. यदि ऐसा करना है तो टिप्पणी करने वाली अदालत की अनुमति ली जाए. कोर्ट ने कहा कि महानिबंधक सुनिश्चित करें कि शपथ आयुक्त की वजह से न्यायालय के कार्य में बाधा न पहुंचे. इसके इसके साथ ही कोर्ट ने बिना हस्ताक्षर वाले शपथ पत्र को अनुमोदित करने वाले शपथ आयुक्त कमलेश कुमार सिंह को निलंबित करने का आदेश दिया है.
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