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High court : शिक्षिका से छेड़खानी में आरोपी इविवि के प्रोफेसरों की अर्जी पर फैसला सुरक्षित - इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छेड़खानी के मामले में तीन पूर्व व वर्तमान प्रोफेसरों की अर्जी पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 14, 2024, 7:43 AM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (high court) ने शिक्षिका से छेड़खानी के मामले में गैर जमानती वारंट के खिलाफ इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के तीन पूर्व व वर्तमान प्रोफेसरों की अर्जी पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी एवं विनय सरन, अधिवक्ता कात्यायनी, पीके मिश्र, ऐश्वर्य प्रताप सिंह, अवनीश त्रिपाठी को सुनकर दिया. मामले के तथ्यों के अनुसार इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. मनमोहन कृष्ण, प्रो. प्रहलाद और प्रो. जावेद अख्तर के खिलाफ एक शिक्षिका ने वर्ष 2016 में छेड़खानी व एससी/एसटी एक्ट के तहत कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था.

इस मामले में तीनों प्रोफेसर के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की, जिस पर विशेष न्यायालय (एससी-एसटी एक्ट) से तीनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ. तीनों आरोपियों ने इस अर्जी में इसे चुनौती दी. हाईकोर्ट ने प्रारम्भिक सुनवाई के बाद तीनों प्रोफेसरों के खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. उसके बाद मंगलवार के पहले अर्जी पर 22 बार सुनवाई हो चुकी थी और आरोपी प्रोफेसरों को मिला अंतरिम आदेश चला आ रहा था.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (high court) ने शिक्षिका से छेड़खानी के मामले में गैर जमानती वारंट के खिलाफ इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के तीन पूर्व व वर्तमान प्रोफेसरों की अर्जी पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी एवं विनय सरन, अधिवक्ता कात्यायनी, पीके मिश्र, ऐश्वर्य प्रताप सिंह, अवनीश त्रिपाठी को सुनकर दिया. मामले के तथ्यों के अनुसार इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. मनमोहन कृष्ण, प्रो. प्रहलाद और प्रो. जावेद अख्तर के खिलाफ एक शिक्षिका ने वर्ष 2016 में छेड़खानी व एससी/एसटी एक्ट के तहत कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था.

इस मामले में तीनों प्रोफेसर के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की, जिस पर विशेष न्यायालय (एससी-एसटी एक्ट) से तीनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ. तीनों आरोपियों ने इस अर्जी में इसे चुनौती दी. हाईकोर्ट ने प्रारम्भिक सुनवाई के बाद तीनों प्रोफेसरों के खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. उसके बाद मंगलवार के पहले अर्जी पर 22 बार सुनवाई हो चुकी थी और आरोपी प्रोफेसरों को मिला अंतरिम आदेश चला आ रहा था.

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