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चेक बाउंस मामले में हाईकोर्ट का फैसला- ईमेल और व्हाट्सएप से भेजा नोटिस वैध

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 13, 2024, 10:54 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि चेक बाउंस के मामले में ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा गया डिमांड नोटिस वैध है. कोर्ट ने कहा कि ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा गया नोटिस उसी तारीख को भेजा गया माना जाएगा, बशर्ते वह आईटी एक्ट की धारा 13 की आवश्यकताओं को पूरा करता हो.

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि चेक बाउंस के मामले में ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा गया डिमांड नोटिस वैध है. कोर्ट ने कहा कि ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा गया नोटिस उसी तारीख को भेजा गया माना जाएगा, बशर्ते वह आईटी एक्ट की धारा 13 की आवश्यकताओं को पूरा करता हो. यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने चेक बाउंस के मामले की कार्यवाही रद्द करने की मांग में दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है.

अर्जी में कहा गया था कि चेक बाउंस का परिवाद दोषपूर्ण है क्योंकि यह कानूनी आवश्यकता का उल्लंघन करते हुए नोटिस के 15 दिनों के भीतर दाखिल किया गया था. मामले के तथ्यों के अनुसार 13 जुलाई 2022 को चेक बाउंस होने के बाद 23 जुलाई 2022 को कानूनी नोटिस भेजा गया था और 31 अगस्त 2022 को दाखिल में नोटिस तामील होने की तारीख का नहीं है. यह भी कहा गया कि अधिनियम की धारा 27 के तहत 30 दिन की धारणा लागू होती है, जिसमें कहा गया है कि परिवाद नोटिस के 45 दिन बाद दाखिल किया जाना चाहिए. सरकारी वकील ने कहा कि चेक जारी करने वाले को परिवादी द्वारा भेजे गए नोटिस की तामील की तारीख का शिकायत और बचाव में उल्लेख करना आवश्यक नहीं है. कहा गया कि नोटिस दिया गया है या नहीं, चेक जारी करने वाले को तामील किया गया या नहीं, इस पर मुकदमे के दौरान विचार किया जा सकता है और यह अधिनियम के तहत परिवाद की कार्यवाही को रद्द करने का मामला नहीं हो सकता है.

सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि यदि परिवाद में नोटिस के तामील की कोई तारीख का उल्लेख नहीं किया गया है, तो अदालत साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 और सामान्य खंड की धारा 27 के तहत मान सकती है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि चेक बाउंस के मामले में ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा गया डिमांड नोटिस वैध है. कोर्ट ने कहा कि ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा गया नोटिस उसी तारीख को भेजा गया माना जाएगा, बशर्ते वह आईटी एक्ट की धारा 13 की आवश्यकताओं को पूरा करता हो. यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने चेक बाउंस के मामले की कार्यवाही रद्द करने की मांग में दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है.

अर्जी में कहा गया था कि चेक बाउंस का परिवाद दोषपूर्ण है क्योंकि यह कानूनी आवश्यकता का उल्लंघन करते हुए नोटिस के 15 दिनों के भीतर दाखिल किया गया था. मामले के तथ्यों के अनुसार 13 जुलाई 2022 को चेक बाउंस होने के बाद 23 जुलाई 2022 को कानूनी नोटिस भेजा गया था और 31 अगस्त 2022 को दाखिल में नोटिस तामील होने की तारीख का नहीं है. यह भी कहा गया कि अधिनियम की धारा 27 के तहत 30 दिन की धारणा लागू होती है, जिसमें कहा गया है कि परिवाद नोटिस के 45 दिन बाद दाखिल किया जाना चाहिए. सरकारी वकील ने कहा कि चेक जारी करने वाले को परिवादी द्वारा भेजे गए नोटिस की तामील की तारीख का शिकायत और बचाव में उल्लेख करना आवश्यक नहीं है. कहा गया कि नोटिस दिया गया है या नहीं, चेक जारी करने वाले को तामील किया गया या नहीं, इस पर मुकदमे के दौरान विचार किया जा सकता है और यह अधिनियम के तहत परिवाद की कार्यवाही को रद्द करने का मामला नहीं हो सकता है.

सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि यदि परिवाद में नोटिस के तामील की कोई तारीख का उल्लेख नहीं किया गया है, तो अदालत साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 और सामान्य खंड की धारा 27 के तहत मान सकती है.

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