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सोनार दुर्ग को लेकर हाईकोर्ट सख्त, किले और आसपास क्षेत्र में अतिक्रमण से नाराज - PIL About Sonar Fort Jaisalmer

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 28, 2024, 11:42 AM IST

उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ की एक खंडपीठ ने जैसलमेर के सोनारगढ़ किले की सुरक्षा और संरक्षण के लिए विरासत उप-नियमों को तैयार करने के निर्देशों का पालन करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और सक्षम प्राधिकारी को निर्देश जारी किए है.

PIL ABOUT SONAR FORT JAISALMER
सोनारगढ़ को लेकर जनहित याचिका (Etv Bharat JAISALMER)
सोनारगढ़ को लेकर जनहित याचिका (Etv Bharat JAISALMER)

जैसलमेर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वर्णनगरी जैसलमेर के प्रतिष्ठित सोनार किले के आसपास अतिक्रमण और इसके संरक्षण में लापरवाही के साथ-साथ पहले के न्यायालय के आदेश का पालन न करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है. उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ की एक खंडपीठ ने किले की सुरक्षा और संरक्षण के लिए विरासत उप-नियमों को तैयार करने के निर्देशों का पालन करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और सक्षम प्राधिकारी को निर्देश जारी किए है. इसको लेकर उच्च न्यायालय में गत 24 मई को सुनवाई हुई थी, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के डीजी को 24 जुलाई को आवश्यक दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया गया था, लेकिन किसी कारणवश वे उपस्थित नहीं हुए. जिस कारण अब आगामी दिनों में सोनार किले के संरक्षण के लिए फिर से सुनवाई रखी गई है.

एक आदेश में अदालत ने कहा कि कई अवसर दिए जाने के बावजूद भारत संघ और राज्य अपने निर्देशों के अनुपालन के बारे में अदालत को संतुष्ट करने में विफल रहे और सोनार किले के लिए बनाए गए किसी भी उप-नियम को प्रस्तुत करने में असमर्थ रहे. अदालत ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई तक अदालत के निर्देशों का पालन न करने पर एएसआई के महानिदेशक और अन्य को कानून के अनुसार स्मारकों के संरक्षण और सुरक्षा की प्रक्रिया को समझाने के लिए अदालत के समक्ष उपस्थित होना होगा.

दीवारों को पहुंच रहा नुकसान : याचिकाकर्ता सुनील पालीवाल ने कहा कि जैसलमेर के सोनार किले को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला हुआ है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने विश्व विरासत समिति के सामने सोनार किले के लिए एक साइड प्रबंधन योजना पेश की थी. इस योजना में कई चिंताएं जताई गई हैं, जिनमें मौजूदा प्रबंधन ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता, पानी का रिसाव, अवैध होटल और रेस्तरां के संचालन के कारण किले की दीवारों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. इसकी छवि को प्रभावित करने वाली बिजली की लाइनें और द गार्बेज सहित अन्य मुख्य मुद्दे हैं. उप-नियम को प्रस्तुत करने के लिए जिला कलेक्टर एक कमेटी बनाएंगे जिसमें ग्राउंड रिपोर्ट देनी पड़ती है लेकिन अभी तक किसी भी तरीके की ग्राउंड रिपोर्ट भी नहीं दी गई है. जिससे उप-नियम को प्रस्तुत करने में परेशानी आ रही है.

इसे भी पढ़ें : जैसलमेर के म्याजलार गांव के पास मिली एंटी पर्सनल लैंड माइन, क्षेत्र में फैली सनसनी - land mine found in Jaisalmer

याचिकाकर्ता सुनील पालीवाल ने कहा कि अब आगामी दिनों में कोर्ट में सुनवाई होगी, जिसे ASI DG को उप-नियम को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा रिपोर्ट में किले के भीतर ट्रैफिक कंट्रोल पर जोर दिया गया है. वहीं कमर्शियल एक्टिविटी पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है.

सोनारगढ़ को लेकर जनहित याचिका (Etv Bharat JAISALMER)

जैसलमेर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वर्णनगरी जैसलमेर के प्रतिष्ठित सोनार किले के आसपास अतिक्रमण और इसके संरक्षण में लापरवाही के साथ-साथ पहले के न्यायालय के आदेश का पालन न करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है. उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ की एक खंडपीठ ने किले की सुरक्षा और संरक्षण के लिए विरासत उप-नियमों को तैयार करने के निर्देशों का पालन करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और सक्षम प्राधिकारी को निर्देश जारी किए है. इसको लेकर उच्च न्यायालय में गत 24 मई को सुनवाई हुई थी, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के डीजी को 24 जुलाई को आवश्यक दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया गया था, लेकिन किसी कारणवश वे उपस्थित नहीं हुए. जिस कारण अब आगामी दिनों में सोनार किले के संरक्षण के लिए फिर से सुनवाई रखी गई है.

एक आदेश में अदालत ने कहा कि कई अवसर दिए जाने के बावजूद भारत संघ और राज्य अपने निर्देशों के अनुपालन के बारे में अदालत को संतुष्ट करने में विफल रहे और सोनार किले के लिए बनाए गए किसी भी उप-नियम को प्रस्तुत करने में असमर्थ रहे. अदालत ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई तक अदालत के निर्देशों का पालन न करने पर एएसआई के महानिदेशक और अन्य को कानून के अनुसार स्मारकों के संरक्षण और सुरक्षा की प्रक्रिया को समझाने के लिए अदालत के समक्ष उपस्थित होना होगा.

दीवारों को पहुंच रहा नुकसान : याचिकाकर्ता सुनील पालीवाल ने कहा कि जैसलमेर के सोनार किले को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला हुआ है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने विश्व विरासत समिति के सामने सोनार किले के लिए एक साइड प्रबंधन योजना पेश की थी. इस योजना में कई चिंताएं जताई गई हैं, जिनमें मौजूदा प्रबंधन ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता, पानी का रिसाव, अवैध होटल और रेस्तरां के संचालन के कारण किले की दीवारों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. इसकी छवि को प्रभावित करने वाली बिजली की लाइनें और द गार्बेज सहित अन्य मुख्य मुद्दे हैं. उप-नियम को प्रस्तुत करने के लिए जिला कलेक्टर एक कमेटी बनाएंगे जिसमें ग्राउंड रिपोर्ट देनी पड़ती है लेकिन अभी तक किसी भी तरीके की ग्राउंड रिपोर्ट भी नहीं दी गई है. जिससे उप-नियम को प्रस्तुत करने में परेशानी आ रही है.

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याचिकाकर्ता सुनील पालीवाल ने कहा कि अब आगामी दिनों में कोर्ट में सुनवाई होगी, जिसे ASI DG को उप-नियम को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा रिपोर्ट में किले के भीतर ट्रैफिक कंट्रोल पर जोर दिया गया है. वहीं कमर्शियल एक्टिविटी पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है.

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