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बिलासपुर हाईकोर्ट में परिसीमन विवाद पर सुनवाई, दोनों पक्षों ने दिए अपने तर्क - Hearing regards delimitation - HEARING REGARDS DELIMITATION

Hearing regards delimitation बिलासपुर नगर निगम में परिसीमन को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसके बाद हाईकोर्ट ने परिसीमन से जुड़े अन्य मामलों की सुनवाई एक साथ करने की बात कही है. Bilaspur High Court

delimitation held in Bilaspur
परिसीमन को लेकर सुनवाई (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 31, 2024, 3:59 PM IST

बिलासपुर : बिलासपुर वार्ड परिसीमन मामले में निगम का तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इसी विषय में दायर अन्य मामलों की एक साथ सुनवाई तय कर दी है. निगम की ओर से अधिवक्ता रणवीर मरहाज ने कहा कि बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र में जनसंख्या अनुपात बदलने के कारण परिसीमन किया जा रहा है. साथ ही इस संदर्भ में राज्य शासन ने 29 जुलाई को अधिसूचना भी जारी कर दी है.

क्या है निगम का तर्क : परिसीमन मामले में निगम के वकील ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि शहर के वार्डों से झुग्गियां हटाकर अन्य वार्डों में शिफ्ट की गईं हैं. इस प्रक्रिया में 2600 से ज्यादा परिवारों का वार्डों से विस्थापन और व्यवस्थापन हुआ है. जनसंख्या के लिहाज से यह संख्या हजारों में है. इससे वार्डों में जनसंख्या अनुपात कम ज्यादा हुआ. इस कारण परिसीमन जरूरी है ताकि जनसंख्या अनुपात सही हो सके. साथ ही कल 29 जुलाई को राज्य शासन ने परिसीमन की अधिसूचना जारी कर दी है इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती.तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने अन्य मामलों के साथ इस मामले की भी सुनवाई एक साथ रख दी है. अगले सप्ताह प्रकरणों में एक साथ सुनवाई की संभावना है.

किसने दायर की है याचिका ?: आपको बता दें कि बिलासपुर नगर निगम के परिसीमन के खिलाफ पूर्व कांग्रेस विधायक शैलेश पांडे और शहर के ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों की ओर से याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि राज्य सरकार ने अपने सर्कुलर में परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है. राज्य सरकार इसके पहले वर्ष 2014 और 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन कर चुकी है. जब आधार एक ही है तो इस बार फिर क्यों परिसीमन किया जा रहा है.

याचिका में ये भी कहा गया है कि वर्ष 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है. पुरानी जनगणना को आधार मानकर तीसरी बार परिसीमन कराने की जरूरत क्यों पड़ रही है.याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार जनता को परेशान कर रही है. परिसीमन से कुछ लाभ नहीं होगा.

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बिलासपुर : बिलासपुर वार्ड परिसीमन मामले में निगम का तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इसी विषय में दायर अन्य मामलों की एक साथ सुनवाई तय कर दी है. निगम की ओर से अधिवक्ता रणवीर मरहाज ने कहा कि बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र में जनसंख्या अनुपात बदलने के कारण परिसीमन किया जा रहा है. साथ ही इस संदर्भ में राज्य शासन ने 29 जुलाई को अधिसूचना भी जारी कर दी है.

क्या है निगम का तर्क : परिसीमन मामले में निगम के वकील ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि शहर के वार्डों से झुग्गियां हटाकर अन्य वार्डों में शिफ्ट की गईं हैं. इस प्रक्रिया में 2600 से ज्यादा परिवारों का वार्डों से विस्थापन और व्यवस्थापन हुआ है. जनसंख्या के लिहाज से यह संख्या हजारों में है. इससे वार्डों में जनसंख्या अनुपात कम ज्यादा हुआ. इस कारण परिसीमन जरूरी है ताकि जनसंख्या अनुपात सही हो सके. साथ ही कल 29 जुलाई को राज्य शासन ने परिसीमन की अधिसूचना जारी कर दी है इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती.तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने अन्य मामलों के साथ इस मामले की भी सुनवाई एक साथ रख दी है. अगले सप्ताह प्रकरणों में एक साथ सुनवाई की संभावना है.

किसने दायर की है याचिका ?: आपको बता दें कि बिलासपुर नगर निगम के परिसीमन के खिलाफ पूर्व कांग्रेस विधायक शैलेश पांडे और शहर के ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों की ओर से याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि राज्य सरकार ने अपने सर्कुलर में परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है. राज्य सरकार इसके पहले वर्ष 2014 और 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन कर चुकी है. जब आधार एक ही है तो इस बार फिर क्यों परिसीमन किया जा रहा है.

याचिका में ये भी कहा गया है कि वर्ष 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है. पुरानी जनगणना को आधार मानकर तीसरी बार परिसीमन कराने की जरूरत क्यों पड़ रही है.याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार जनता को परेशान कर रही है. परिसीमन से कुछ लाभ नहीं होगा.

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