बिलासपुर: तेंदुओं के संरक्षण को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका में गुरुवार को सुनवाई हुई है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्र्द कुमार अग्रवाल की बेंच ने वन विभाग को कहा कि, "पहले अपने यहां जो वन्यप्राणी है, उनको तो सुरक्षित करें. उनकी रक्षा करना हमारा धर्म है.
तेंदुओं को उनके रहवान में छोड़ना है, ना कि दूर: हाईकोर्ट के सामने वन विभाग ने माना कि जब भी तेंदुए की कोई समस्या आती है, तो विभाग बिना चिन्हित किए कौन सा तेंदुआ प्रॉब्लम एनिमल है, जाने बिना तेंदुआ पकड़ लेता है और बहुत दूर छोड़ देता है. उसे रेडियो कॉलर भी नहीं लगाते. वन विभाग के ऐसे कार्य के लिए भारत सरकार की गाइडलाइंस भी है. सुनवाई के दौरान वकील के माध्यम से याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि भारत सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार सबसे पहले कौन सा तेंदुआ समस्या है. उसे पहले चिन्हित करना है, उसे पकड़ कर रेडियो कॉलर लगाना है और उसे उसी के रहवास वाले वन में छोड़ना है. ना की बहुत दूर.
बिलासपुर हाईकोर्ट में लगी याचिका: दरअसल, छत्तीसगढ़ में तेंदुओं की हो रही खराब स्थिति और कम हो रही संख्या को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगी है. याचिका में बताया गया है कि वन विभाग तेंदुओं को बिना जानकारी ही इंसानों के लिए खतरा बताकर अन्यंत्र स्थान छोड़ देती है, जिससे नए रहवास होने की वजह से तेंदुओं को शिकार के साथ ही वातावरण में ढलने के दिक्कत होती है. कई बार उनकी मौत हो जाती है. वन्य प्राणी प्रेमी नितिन सिंघवी ने कोर्ट को बताया है कि तेंदुए अपने वन में जहां वह रहता है, उसके लिए बहुत झुकाव रखते हैं. अगर उन्हें दूर छोड़ा जाता है तो वह वापस अपने जंगल लौटेगा. घर से दूर छोड़े जाने पर तेंदुए को मानसिक आघात लगता है. वह वापस अपने जंगल लौटने लगता है तो जंगल के बीच पड़ने वाले गावों में मानव-तेंदुआ द्वन्द बढ़ने की पूरी सम्भावना रहती है.
बिना चिन्हित किये तेंदुआ पकड़ता है विभाग: सुनवाई के दौरान कोर्ट को एक घटना के बारे में जानकारी दी गई कि, "कांकेर में तेंदुए की समस्या पैदा होने पर बिना चिन्हित किए एक साथ तीन तेंदुए पकड़ लिए गए. एक तेंदुआ को जंगल में छोड़ दिया गया, दो को रायपुर लाया गया जिसमें से एक की मौत सेप्टीसीमिया से हो गई, दूसरे को वापस कांकेर ले जाकर जंगल में छोड़ा गया, जबकि वन विभाग को मालूम है कि तेंदुए को जब बेहोशी की दवा का इंजेक्शन लगाया जाता है, तब बेहोशी से बाहर निकलते वक्त छटपटाहट और घबराहट के कारण, पिंजरे में इधर-उधर टकराकर वह खुद को घायल कर लेता है.उसे बाहरी चोट तो नहीं लगती है परन्तु आंतरिक चोट लगने से उसे सेप्टीसीमिया हो जाती है. जिससे कुछ ही दिनों में उसकी मौत हो जाती है. वन विभाग ने स्वीकार किया कि इस घटना में सेप्टीसीमिया से ही तेंदुए की मौत हुई थी.
लगातार घट रही तेंदुओं की संख्या: बता दें कि छत्तीसगढ़ में 2018 की तुलना में 2022 में किए गए तेंदुओं के संख्या के अनुमान के अनुसार 130 से 175 तेंदुए कम हुए हैं. सबसे ज्यादा तेंदुए छत्तीसगढ़ के तीनों टाइगर रिजर्व में कम हुए हैं. इंद्रावती टाइगर रिजर्व में 95 फीसद, उदंती सीता नदी में 70 फीसद और अचानकमार टाइगर रिजर्व में 11 फीसद तेंदुए कम हुए हैं.