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श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद की सुनवाई जारी, जानिए अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट में क्या दलीले दीं - Shahi Eidgah dispute

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में जारी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 22, 2024, 10:44 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित कटरा केशव देव के नाम दर्ज जमीन से शाही ईदगाह का अवैध कब्जा हटाकर भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने सहित अन्य मांगों को लेकर विचाराधीन 18 दीवानी मुकदमों की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी. सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन कर रहे हैं.

गुरुवार को वक्फ बोर्ड की ओर से सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत दीवानी मुकदमे की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता तसनीम अहमदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस में कहा कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत किसी भी धार्मिक स्थल की 15 अगस्त 1947 की प्रकृति में बदलाव नहीं किया जा सकता. अदालत को इस मुद्दे को लेकर कोई मुकदमा सुनने का अधिकार नहीं है, इसलिए ये दीवानी मुकदमे निरस्त किए जाएं. उन्होंने आजादी से पहले दोनों पक्षों के बीच हुए एक समझौते का हवाला देते हुए कहा कि इस आधार पर भी दीवानी मुकदमा खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि अदालत से तय मामले को दोबारा अदालत में नहीं उठाया जा सकता.

उन्होंने यह भी कहा कि शाही ईदगाह वक्फ संपत्ति है, जिसे लेकर दीवानी अदालत को विवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है। दो घंटे से ज्यादा की लंबी बहस के बाद समयाभाव के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई, जो शुक्रवार को जारी रहेगी. अन्य विपक्षियों की ओर से अधिवक्ता नसीरुज्जमा, हरे राम त्रिपाठी, प्रणय ओझा, वरिष्ठ अधिवक्ता वजाहत हुसैन खान, एमके सिंह आदि ने पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी मनीष गोयल व एडवोकेट आकांक्षा शर्मा के अलावा वादी पक्ष के कई अधिवक्ता व पक्षकार उपस्थित रहे.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित कटरा केशव देव के नाम दर्ज जमीन से शाही ईदगाह का अवैध कब्जा हटाकर भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने सहित अन्य मांगों को लेकर विचाराधीन 18 दीवानी मुकदमों की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी. सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन कर रहे हैं.

गुरुवार को वक्फ बोर्ड की ओर से सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत दीवानी मुकदमे की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता तसनीम अहमदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस में कहा कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत किसी भी धार्मिक स्थल की 15 अगस्त 1947 की प्रकृति में बदलाव नहीं किया जा सकता. अदालत को इस मुद्दे को लेकर कोई मुकदमा सुनने का अधिकार नहीं है, इसलिए ये दीवानी मुकदमे निरस्त किए जाएं. उन्होंने आजादी से पहले दोनों पक्षों के बीच हुए एक समझौते का हवाला देते हुए कहा कि इस आधार पर भी दीवानी मुकदमा खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि अदालत से तय मामले को दोबारा अदालत में नहीं उठाया जा सकता.

उन्होंने यह भी कहा कि शाही ईदगाह वक्फ संपत्ति है, जिसे लेकर दीवानी अदालत को विवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है। दो घंटे से ज्यादा की लंबी बहस के बाद समयाभाव के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई, जो शुक्रवार को जारी रहेगी. अन्य विपक्षियों की ओर से अधिवक्ता नसीरुज्जमा, हरे राम त्रिपाठी, प्रणय ओझा, वरिष्ठ अधिवक्ता वजाहत हुसैन खान, एमके सिंह आदि ने पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी मनीष गोयल व एडवोकेट आकांक्षा शर्मा के अलावा वादी पक्ष के कई अधिवक्ता व पक्षकार उपस्थित रहे.

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