पटना: हाई कोर्ट में मुजफ्फरपुर पुलिस द्वारा सड़क दुर्घटना में मरे एक शख्स के शव को बगैर अस्पताल पहुंचाए नदी में फेंक दिये जाने के मामले पर सुनवाई पूरी हो गयी. स्वतः संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की. इस मामले पर कोर्ट द्वारा आदेश बाद में पारित किया जायेगा.
मुजफ्फरपुर रोड एक्सीडेंट केस की सुनवाई पूरी: राज्य सरकार की ओर से की गयी कार्रवाईयों का ब्यौरा देते हुए एक अंतरिम रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था. इसमें इस मामले में की गयी कार्रवाईयों के सम्बन्ध में कोर्ट को जानकारी दी गई थी. पिछली सुनवाई में राज्य सरकार को दिशा निर्देश जारी करने के लिए कहा था.
दोषी पुलिस अधिकारियों पर हो रही कार्रवाई: इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि राज्य सरकार को राज्य की पुलिस को संवेदनशील बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए. पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में सरकार द्वारा संज्ञान लिया जा चुका है और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है
नदी में शव को फेंकने का मामला: गौरतलब है कि शव को सीधे नदी में फेंक कर ठिकाने लगा दिया गया,जिसका वीडियो वायरल हो गया. राष्ट्रीय राजमार्ग 22 पर एक घातक सड़क दुर्घटना ने एक अज्ञात व्यक्ति की जान ले ली. दुर्घटना स्थल पर एक अज्ञात ट्रक द्वारा कुचले जाने के बाद उस व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो गई.
पूरा मामला: बाद में घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने न तो शव को अस्पताल पहुंचाया और न ही पोस्टमार्टम कराया. इसके बजाय, कुछ पुलिस कर्मियों ने बेरहमी से शव को सड़क से उठाया और, बेहद अमानवीय तरीके से, एक पुल के ऊपर से लाठियों का उपयोग करके उसे नदी में फेंक दिया.
बिहार मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट पर भी संज्ञान: पुलिस की हरकतें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. वीडियो के व्यापक रूप से प्रसारित होने के बाद पुलिस की आलोचना बढ़ गई. वीडियो में साफ दिखा कि खून से लथपथ शव को पुलिसवालों ने लाठी से पुल से नदी में धकेल कर ठिकाने लगा दिया.हाई कोर्ट ने बिहार मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया, जिसमें कोविड के दौरान शवों को नदी में बहाए जाने की बात उजागर हुई थी.
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