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टेरर फंडिंग के आरोपी राशिद इंजीनियर के केस की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट को रेफर

-गुरुवार को कोर्ट जमानत याचिका पर सुनाने वाली थी फैसला. -जज चंदर जीत सिंह ने दिया आदेश.

राशिद इंजीनियर टेरर फंडिंग केस
राशिद इंजीनियर टेरर फंडिंग केस (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 21, 2024, 5:59 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने जम्मू कश्मीर टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और बारामूला के सांसद राशिद इंजीनियर से जुड़े मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज को भेज दिया है. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने ये आदेश दिया. अब प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज 25 नवंबर को इस मामले पर फैसला करेंगे.

कोर्ट ने कहा कि इस मामले के आरोपी राशिद इंजीनियर अब सांसद हो चुके हैं, इसलिए मामले की सुनवाई उस कोर्ट में ट्रांसफर होनी चाहिए जो एमपी-एमएलए से संबंधित मामलों की सुनवाई करती है. इसके बाद कोर्ट ने इसपर फैसला लेने के लिए प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज को भेज दिया. कोर्ट आज ही राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका पर भी फैसला सुनाने वाली थी. अब जमानत याचिका पर कौन सी कोर्ट सुनवाई करेगी इस पर भी प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज 25 नवंबर को फैसला करेंगे.

दो बार बढ़ाई गई अंतरिम जमानत: राशिद इंजीनियर ने 28 अक्टूबर को तिहाड़ जेल में सरेंडर किया था. वहीं 10 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने राशिद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी थी. इसके बाद से कोर्ट ने राशिद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई थी. राशिद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है. राशिद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

इनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश: इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च, 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था. एनआईए के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया.

आतंकी गतिविधियों के लिए लेन देन: 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई. एनआईए के मुताबिक, हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया.

यह भी पढ़ें- वीवो मोबाइल से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोपी हरिओम राय को मिली जमानत

यह भी पढ़ें- दिल्ली में वनक्षेत्र के तीन पेड़ों को हटाने की मांग पर हाईकोर्ट ने वन विभाग को लगाई फटकार, मांगा स्पष्टीकरण

नई दिल्ली: दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने जम्मू कश्मीर टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और बारामूला के सांसद राशिद इंजीनियर से जुड़े मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज को भेज दिया है. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने ये आदेश दिया. अब प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज 25 नवंबर को इस मामले पर फैसला करेंगे.

कोर्ट ने कहा कि इस मामले के आरोपी राशिद इंजीनियर अब सांसद हो चुके हैं, इसलिए मामले की सुनवाई उस कोर्ट में ट्रांसफर होनी चाहिए जो एमपी-एमएलए से संबंधित मामलों की सुनवाई करती है. इसके बाद कोर्ट ने इसपर फैसला लेने के लिए प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज को भेज दिया. कोर्ट आज ही राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका पर भी फैसला सुनाने वाली थी. अब जमानत याचिका पर कौन सी कोर्ट सुनवाई करेगी इस पर भी प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज 25 नवंबर को फैसला करेंगे.

दो बार बढ़ाई गई अंतरिम जमानत: राशिद इंजीनियर ने 28 अक्टूबर को तिहाड़ जेल में सरेंडर किया था. वहीं 10 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने राशिद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी थी. इसके बाद से कोर्ट ने राशिद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई थी. राशिद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है. राशिद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

इनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश: इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च, 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था. एनआईए के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया.

आतंकी गतिविधियों के लिए लेन देन: 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई. एनआईए के मुताबिक, हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया.

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