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गया के मिर्जा गालिब कालेज में प्रिंसिपल की नियुक्ति को लेकर HC ने सुनाया बड़ा फैसला

मिर्जा गालिब कालेज में प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर मामला फंसा हुआ है. पटना उच्च न्यायालय ने इसको लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. पढ़ें खबर

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 8, 2024, 9:08 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने गया स्थित मिर्जा गालिब कालेज के प्रबंध समिति को छह महीने के भीतर नियमित प्रिंसिपल नियुक्त करने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन तथा जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कालेज की ओर से दायर एलपीए (अपील) को मंजूर करते हुए यह आदेश दिया.

मिर्जा गालिब कालेज के प्रिंसिपल पर HC में सुनवाई : दरअसल, कालेज प्रबंधन ने प्रोफेसर इंचार्ज डॉ सुजात अली खान को कालेज के प्रशासनिक प्रमुख पद से हटा दिया था. इसके खिलाफ उन्होंने रिट याचिका दायर की थी. एकल पीठ ने कालेज प्रबंधन को दो महीने के भीतर नियमित प्रिंसिपल नियुक्त करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि इस अवधि में ऐसा नहीं किया गया, तो डॉ सुजात फिर से कालेज के प्रशासनिक प्रमुख बन जाएंगे.

सिंगल बेंच के फैसले को दी गई चुनौती : कोर्ट के इस आदेश को कालेज प्रबंधन ने चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. प्रबंधन की ओर से वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट से कहा कि एकल पीठ का आदेश नियमों के खिलाफ है. कोर्ट ने उनकी दलील को माना और नियमित प्रिंसिपल नियुक्त करने के लिए दो महीने के बजाय छह महीने का समय दे दिया.

अब 6 महीने का दिया गया वक्त : इसके साथ ही पटना उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि दो महीने में प्रिंसिपल नियुक्त नहीं होने पर डॉ सुजात फिर से अपने पद पर वापस आ जाएंगे, वह नियमानुकूल नहीं है. ऐसे में 6 महीने का वक्त दिया जाता है.

पटना : पटना हाईकोर्ट ने गया स्थित मिर्जा गालिब कालेज के प्रबंध समिति को छह महीने के भीतर नियमित प्रिंसिपल नियुक्त करने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन तथा जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कालेज की ओर से दायर एलपीए (अपील) को मंजूर करते हुए यह आदेश दिया.

मिर्जा गालिब कालेज के प्रिंसिपल पर HC में सुनवाई : दरअसल, कालेज प्रबंधन ने प्रोफेसर इंचार्ज डॉ सुजात अली खान को कालेज के प्रशासनिक प्रमुख पद से हटा दिया था. इसके खिलाफ उन्होंने रिट याचिका दायर की थी. एकल पीठ ने कालेज प्रबंधन को दो महीने के भीतर नियमित प्रिंसिपल नियुक्त करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि इस अवधि में ऐसा नहीं किया गया, तो डॉ सुजात फिर से कालेज के प्रशासनिक प्रमुख बन जाएंगे.

सिंगल बेंच के फैसले को दी गई चुनौती : कोर्ट के इस आदेश को कालेज प्रबंधन ने चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. प्रबंधन की ओर से वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट से कहा कि एकल पीठ का आदेश नियमों के खिलाफ है. कोर्ट ने उनकी दलील को माना और नियमित प्रिंसिपल नियुक्त करने के लिए दो महीने के बजाय छह महीने का समय दे दिया.

अब 6 महीने का दिया गया वक्त : इसके साथ ही पटना उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि दो महीने में प्रिंसिपल नियुक्त नहीं होने पर डॉ सुजात फिर से अपने पद पर वापस आ जाएंगे, वह नियमानुकूल नहीं है. ऐसे में 6 महीने का वक्त दिया जाता है.

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