पटना: पटना हाईकोर्ट ने रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्या कांड मामले में सुनवाई हुई. अदालत ने सुनवाई करते हुए सभी आठ आरोपियों को नोटिस जारी किया है. ब्रह्मेश्वर मुखिया के बेटे कुमार इंदूभूषण की याचिका की सुनवाई जस्टिस संदीप कुमार ने की. पटना हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए इन्हें स्वयं या अपने वकीलों के माध्यम से अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखने को कहा गया है. इस मामले पर चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी.
ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड मामले पर सुनवाई: पटना हाईकोर्ट ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई यहां चल रही है लिहाजा आरा कोर्ट में चल रहे इस हत्याकांड के ट्रायल पर भी रोक जारी रहेगी. इसे पहले लोअर कोर्ट में चल रहे केस के ट्रायल पर पहली बार 15 जुलाई 2024 को ट्रायल पर रोक लगाया था.पटना हाई कोर्ट ने हत्याकांड के ट्रायल प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए सीबीआई की ओर से दायर याचिका के साथ इस मामले को सुनवाई के लिए प्रस्तुत करने का आदेश दिया था.
सीबीआई ने जांच कर आरोप पत्र दाखिल किया था: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता माधव राज ने कोर्ट को बताया था कि बरमेश्वर मुखिया के हत्या के बाद आरा नवादा पुलिस थाना में दर्ज प्राथमिकी का अनुसन्धान बिहार पुलिस कर रही थी।पुलिस की ओर से आरोप पत्र दाखिल किया गया था और सीबीआई को जांच के लिए सौंप दिया गया. सीबीआई ने जांच कर कई लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.
निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती: अधिवक्ता माधव राज का कहना था कि जब केस को सीबीआई के हवाले कर दिया गया तो सीबीआई की ओर से दायर आरोप पत्र के आधार पर ट्रायल प्रक्रिया चलनी चाहिए, लेकिन निचली अदालत ने बिहार पुलिस की ओर से दाखिल आरोप पत्र के आधार पर केस का ट्रायल कर रही हैं. अधिवक्ता माधव राज ने कोर्ट को बताया कि बिहार पुलिस के बजाय सीबीआई की ओर से दाखिल आरोप पत्र के आधार पर ट्रायल प्रक्रिया चलाने की गुहार आरा सिविल कोर्ट से लगाई गई थी. कोर्ट ने अनुरोध को मानने से इंकार करते हुये खारिज कर दिया. निचली अदालत के इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.
1 जून 2012 को ब्रह्मेश्वर मुखिया की हुई थी हत्या: आपको बताते चलें कि 1 जून 2012 को आरा के नवादा थाना क्षेत्र के कतीरा मोहल्ला स्थित अपने आवास से कुछ ही दूरी पर ब्रह्मेश्वर मुखिया की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद मुखिया के समर्थकों में आक्रोश भड़क उठा था. आरा से पटना तक उनकी शवयात्रा में शामिल समर्थकों ने बदले की भावना से कई जगहों पर हिंसा और आगजनी भी की थी. लगभग 10 साल बाद सीबीआई ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.
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