नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल दुग्ध उत्पादक संघ लालकुआं में फर्जीवाड़े और कैमिकल युक्त दूध की सप्लाई के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि पूर्व में कमिश्नर द्वारा दी गई जांच में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ अब तक की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट पेश करें. मामले की अंतिम सुनवाई 21 अगस्त को होगी.
मामले के अनुसार लालकुआं निवासी नरेंद्र सिंह कार्की और भुवन चंद्र पोखरिया ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि नैनीताल दुग्ध संघ में चरम सीमा पर भ्रष्टाचार कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है. जिसमें प्रदेशवासियों को अधोमानक दूध की सप्लाई की जा रही है. जिसके पीने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. जिसमें वर्ष 2020 के अंतिम 3 माह में लगभग 7 लाख लीटर दूध जांच के दौरान सभी मानकों में फेल होने के बावजूद प्रदेश भर में दूध की सप्लाई की गई. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि दुग्ध उत्पादन संघ के चेयरमैन फर्जी तरीके से मेंबरशिप अर्जित कर चेयरमैन बने हुए हैं. इन्होंने कभी भी संघ के लिए दूध की सप्लाई नहीं की है.
चेयरमैन पर यह भी आरोप है कि दुग्ध सप्लाई के लिए जिन टैंकरों का उपयोग किया जा रहा है, उनका ठेका अपने भाई के नाम से लिया हुआ है. आज सुनवाई पर भुवन चंद्र पोखरिया ने शपथ पत्र पेश कर कुमाऊं कमिश्नर द्वारा की गई जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की. जांच रिपोर्ट में कहा गया कि कुमाऊं कमिश्नर ने 19 अक्टूबर 2023 को इस मामले की जांच करके सरकार को रिपोर्ट भेज दी, लेकिन अभी तक सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और ना ही इस पर संज्ञान लिया गया. जबकि रिपोर्ट में दूध के सारे सैंपल मानकों के विपरीत पाए गए. दूध में अल्कोहल,कास्टिक और सोडा की मात्रा अधिक पाई गई.
ये भी पढ़ें-